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Jammu Kashmir Border: सरहद की बंजर जमीन पर खेती के लिए किसान तैयार, सरकार से उम्मीदें

मामला अदालत में विचाराधीन होने के बावजूद गत नवंबर माह में चक चंगा और मनयारी के बीच तारबंदी के आगे 1300 कनाल जमीन पर उगी झाडिय़ों को साफ करवा कर प्रशासन व बीएसएफ की ओर से 900 कनाल में गेहूं की बिजाई करवाई गई थी

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 01 Feb 2021 09:42 AM (IST)Updated: Mon, 01 Feb 2021 09:44 AM (IST)
Jammu Kashmir Border: सरहद की बंजर जमीन पर खेती के लिए किसान तैयार, सरकार से उम्मीदें
सरकार 18 वर्षों से खाली पड़ी जमीन का किराया दे।

राजिंद्र माथुर, हीरानगर: सरहद पर तनाव और गोलीबारी के बावजूद सीमा सुरक्षा बल तारबंदी के आगे 18 साल से हजारों कनाल जमीन पर फिर से फसल लहलहाने की कोशिशों में जुटे हैं। मकसद साफ है कि दोनों तरफ के किसान अमन और शांति के माहौल में खेतीबाड़ी करें।

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दरअसल, कठुआ जिले के हीरानगर सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर 17 गांवों की 10 हजार कनाल जमीन है। वर्ष 2002 में पाक गोलाबारी के बाद तनाव के कारण तारबंदी के आगे जमीन पर खेती की अनुमति नहीं दी गई। हालांकि, जिला प्रशासन ने बीएसएफ जवानों के सहयोग से करीब 1300 कनाल जमीन की जुताई करवा वहां गेहंू की फसल की बिजाई करवाई। वहां अब फसल लहलहाने लगी है। प्रशासन और बीएसएफ अब इस प्रयास में है कि किसान स्वयं खेती करे। हालांकि, वे राजी भी हैं, लेकिन 18 साल का किराया मांग रहे हैं। फिलहाल यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है।

बहरहाल, मामला अदालत में विचाराधीन होने के बावजूद गत नवंबर माह में चक चंगा और मनयारी के बीच तारबंदी के आगे 1300 कनाल जमीन पर उगी झाडिय़ों को साफ करवा कर प्रशासन व बीएसएफ की ओर से 900 कनाल में गेहूं की बिजाई करवाई गई थी, जिस पर अब फसल लहलहाने लगी है। हालांकि, सीमा पर तारबंदी लगने से पाकिस्तान की तरफ से होने वाली घुसपैठ पर रोक लगी है। कुछ स्थानों पर तार सीमा से पिछे लगी होने के कारण काफी सारी जमीन आगे चली गई है। उस पर खेती करने में किसानों को कई तरह की दिक्कतें भी आ रही है। किसानों का कहना है कि वे फिर से खेती करने के लिए तैयार हैं। इसके लिए सरकार 18 वर्षों से खाली पड़ी जमीन का किराया दे।

इसके अलावा आगे खेती करते समय सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए जाने चाहिए। हालांकि, बीएसएफ और प्रशासन का कहना है कि अगर किसान खेती शुरू करें तो उन्हेंं सुरक्षा मुहैया करवाई जाएगी तथा कृषि विभाग उन्हें सब्सिडी पर बीज, कीटनाशक और घास नष्ट करने वाली दवाइयां भी उपलब्ध करवाएगा।

  • तारबंदी के आगे खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ही प्रशासन ने हीरानगर सेक्टर के मनियारी चक गांवों के बीच खेती शुरू करवाई है। 1300 कनाल जमीन पर उगी झाडिय़ों को बीएसएफ ने अपने ट्रैक्टर लगा कर साफ करवाया था। नौ सौ कनाल पर गेहूं की बिजाई भी बीएसएफ ने ही करवाई थी। इसके लिए कठुआ के कुछ उद्योगपतियों से भी मदद ली गई थी। बीएसएफ को डीजल, बीज व अन्य सामान दी गई थी। इस समय कृषि विभाग फसल की देखरेख कर रहा। अनाज किसानों में जमीन के हिसाब से बांट दिया जाएगा। अब आगे की खेती किसानों को खुद करनी चाहिए। - ओपी भगत, डीसी, कठुआ।

बोले किसान

  • तारबंदी के आगे 18 सालों से खेती नहीं होने से किसानों को लाखों का नुकसान हुआ है। किसान सरकार से खाली पड़ी जमीन का किराया मांग रहे हैं। मजबूर होकर हाई कोर्ट में जाना पड़ा। पिछला मुआवजा दे दिया जाए, आगे कुछ शर्तों के साथ खेती करने को तैयार हैं। इसके लिए सरकार को अलग योजना बनानी चाहिए। - नानक चंद, प्रधान, बार्डर वेलफेयर कमेटी, हीरानगर।
  • तारबंदी के आगे पहले भी किसान खेती करते थे। बाद में पाकिस्तान की तरफ से होती रही गोलीबारी के कारण बंद करनी पड़ी। तारबंदी के आगे मजदूर नहीं जा पाते। और भी कई तरह की दिक्कतें आती हैं। वर्ष 2002 के बाद भी किसान फसलें नहीं लगा पाए थे, जिसके एवज में सरकार ने आठ सौ रुपये प्रति कनाल के हिसाब से रेंट दिया था। जमीन पर खेती करने वालों का किराया देने के लिए अभी भी पांच करोड़ प्रशासन के पास पड़ा है। उसी तर्ज पर पिछला किराया सरकार दे तो आगे खेती करने के लिए किसान तैयार हैं। - भारत भूषण, सरपंच, पंचायत बोबिया।
  • जिन किसानों की सारी जमीन तारबंदी के आगे खाली पड़ी है। उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। किसान वर्षों से सरकार से मुआवजे की गुहार लगाते आ रहे हैं लेकिन कोई सुध नहीं ले रहा। यदि सरकार आगे खेती करवाना चाहती है तो उन्हें अब तक खेती नहीं होने की वजह में हुए करार का मुआवजा देना चाहिए, क्योंकि की इसकी जिम्मेदारी भी सरकार की थी। - तरसेम सिंह, बोबिया।
  • तारबंदी के आगे पड़ी जमीन पर बीएसएफ की ओर से ट्रैक्टर चला देने से खेतों की हदबंदी नहीं रही। किसान अपने खेत कैसे ढूंढेंगे। राजस्व विभाग को पहले इसकी निशानदेही करनी चाहिए। दूसरा वर्षों से आगे जमीन खाली रहने के कारण जंगली जानवरों की संख्या भी बढ़ गई है। जो फसलों को नष्ट कर देते हैं। सरकार को किसानों के साथ सभी समस्याओं पर चर्चा करनी चाहिए, तभी खेती करना संभव हो सकता है। -नरेश कुमार  

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