बीडीसी चुनाव की कामयाबी राज्य प्रशासन की मुख्य चुनौती
राज्य ब्यूरो जम्मू -अनुछेद 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में पहली बार होने जा रहे कोई चुनाव - ग्रामीण लोकतंत्र को मतबूत बनाने के साथ विकास को दी जाएगी गति --------------------
राज्य ब्यूरो, जम्मू : अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद जम्मू कश्मीर में पहली बार होने जा रहे ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल (बीडीसी) के चुनाव राज्यपाल प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। राजनीति आधार पर 24 अक्टूबर को घोषित हो चुके इस चुनाव को कामयाब बनाने के लिए राज्य प्रशासन ने तैयारी व मुहिम शुरू कर दी है।
राज्यपाल प्रशासन विशेषतौर पर कश्मीर में सुरक्षा और विश्वास का माहौल बनाएगा, ताकि संभाग के दस जिलों में पंच-सरपंच ग्रामीण लोकतंत्र को मतबूत बनाने के लिए वोट डालने आ पाएं। राज्यपाल प्रशासन ऐसा वर्ष 2018 में भी कर चुका है, तब जम्मू कश्मीर में शाति व विकास चाहने वाले लोगों ने आतंकियों की धमकियों व कश्मीर केंद्रित पार्टियों के बहिष्कार के बावजूद पंचायती राज के अपने 7528 प्रतिनिधि चुनकर मोदी सरकार में विश्वास जताया था। आतंकी व अलगाववादियों पर कसी जाएगी नकेल :
प्रशासन ने एक बार फिर कम कसते हुए नागरिक व पुलिस प्रशासन को बीडीसी चुनाव को कामयाब बनाने के लिए जमीनी स्तर पर पुख्ता प्रबंध करने के निर्देश दे दिए हैं। इस चुनाव में आतंकी व अलगाववादी विघ्न न डालें, इसके लिए सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए जा रहे हैं। जम्मू कश्मीर में अब तक आतंकवादी 18 पंचों, सरपंचों की जान ले चुके हैं। ऐसे में प्रशासन सुरक्षा के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नही करेगा। वहीं, राजनीति आधार पर हो रहे इस चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और पीपुल्स कांफ्रेंस ने अभी साफ नहीं किया है कि वह इसमें भाग लेंगे या नहीं। ऐसे में सभी की भागेदारी को सुनिश्चत बनाना भी बड़ी चुनौती होगा। ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल के अध्यक्षों को मिलेंगे पूरे अधिकार :
मोदी सरकार को भी ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिलों से बड़ी उम्मीदें हैं। केंद्र जम्मू कश्मीर में जमीनी सतह पर बड़ा बदलाव लेकर विकास को तेजी देना चाहता है। ऐसे में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में 316 में से ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिलों के 310 अध्यक्ष चुने जाएंगे। उन्हीं के माध्यम से ग्रामीण इलाकों में फंड का इस्तेमाल होगा। ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल के अध्यक्ष खुलकर अपने-अपने इलाकों में ग्रामीणों का विकास कर पाएंगे। वे अपने इलाकों के सशक्त जन प्रतिनिधियों के रूप में विकास में अहम भूमिका निभाएंगे। स्पष्ट संकेत है कि जम्मू कश्मीर में अभी जल्द विधानसभा चुनाव की संभव नहीं हैं। बता दें कि 316 ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिलों में से चार महिलाओं के लिए आरक्षित थीं, लेकिन उनपर कोई महिला उम्मीदवार नहीं है और दो अन्य पर कोई उम्मीदवार नहीं था। आर्थिक रूप से भी मजबूत होंगी काउंसिलें : जुगल
जम्मू-पुंछ के भाजपा सांसद जुगल किशोर शर्मा ने कहा कि कश्मीर केंद्रित सरकारों ने पंचायती राज के नाम पर सिर्फ राजनीतिक की। अब सही मायने में जम्मू कश्मीर में पंचायती राज को मजबूत बनाने की मुहिम जारी है। फंड का दुरुपयोग करने वाली कश्मीर केंद्रित सरकारें नहीं चाहती थी कि जमीन पर विकास से लोगों को फायदा हो। अब बनने जा रही काउंसिलें अपना विकास करने के लिए आर्थिक रूप से भी मजबूत होंगी। चुनाव को कामयाब बनाने में पूरा सहयोग देंगे :
पंचों, सरंपचों के संगठन जम्मू कश्मीर पंचायती राज कांफ्रेंस के प्रधान अनिल शर्मा ने कहा कि बीडीसी चुनाव ग्रामीण विकास के स्वरूप को बदलाव देगा। हमारी पूरी कोशिश रहेगी कि अच्छे उम्मीदवार चुनकर आएं, जो अपने-अपने ब्लॉक में ग्रामीणों की उम्मीदों पर खरा उतरकर विकास को तेजी दें। हम इस चुनाव को कामयाब बनाने में पूरा सहयोग देंगे। श्रीनगर जिले में सिर्फ 43, जम्मू में 2703 मतदाता :
ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर जिले के चार ब्लॉकों में बीडीसी चुनाव के लिए महज 43 पंच, सरपंच ही मतदाता हैं। वहीं शीतकालीन राजधानी जम्मू जिले के 20 ब्लॉकों में 2703 मतदाता हैं। मतदाताओं के हिसाब से सबसे अधिक 2783 मतदाता कुपवाड़ा के 26 ब्लॉकों में हैं। दूसरे नंबर पर जम्मू व तीसरे नंबर पर राजौरी जिले के 19 ब्लॉकों के 2687 मतदाता हैं। पुंछ जिले के 11 ब्लाकों में 2069 मतदाता हैं। लेह जिले के 16 ब्लॉकों में 744 व कारगिल जिले के 15 ब्लॉकों में 841 पंचा, सरपंच मतदाता हैं। कुल मिलाकर जम्मू कश्मीर व लद्दाख के 316 ब्लाकों में 26629 पंच, सरपंच मतदाता 24 अक्टूबर को होने वाली मतदान में वोट डालकर अपना चेयरमैन चुनेंगे।