डोमिसाइल कानून में जमीन-नौकरियों में जम्मू-कश्मीर के लोगों के हक को किया नजरंदाज: बुखारी
उन्होंने मांग की कि जब तक देश COVID-19 घातक बीमारी से उत्पन्न खतरों से बाहर नहीं हो जाता तब तक इस आदेश को अमल में न लाया जाए।
जम्मू, जेएनएन। जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी (जेकेएपी) के अध्यक्ष सैयद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी ने केंद्र सरकार द्वारा लागू किए डोमिसाइल कानून का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि जहां जम्मू-कश्मीर के लोग कोरोना वायरस (COVID-19) से लड़ रहे हैं, ऐसे में यह डोमिसाइल लागू करने का सही समय नहीं था। केंद्र सरकार को कोरोना प्रकोप के समाप्त होने तक इस आदेश को रोककर रखना चाहिए।
बुखारी ने कहा कि यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तरह का एक महत्वपूर्ण आदेश ऐसे समय में जारी किया गया है जब पूरा देश अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहा है। घातक कोरोनावायरस बीमारी के फैलने के डर से लोग अपने घरों में बंद हैं। अपनी पार्टी ने केंद्र सरकार के समक्ष यह मांग रखी थी कि डोमिसाइल लागू करते समय जम्मू-कश्मीर के लोगों के भूमि और नौकरियों पर अधिकार कायम रहने चाहिए परंतु जारी आदेश से यह स्पष्ट होता है कि इस कानून में राज्य के लोगों की उम्मीदों को साफ तौर पर नजरंदाज किया गया है। लोगों की उम्मीदों और उनकी आंकाक्षाओं को दरकिनार कर यह आदेश यह दर्शाता है कि यह नौकरशाही स्तर पर किया गया आकस्मिक फैसला है।
उन्होंने मांग की कि जब तक देश COVID-19 घातक बीमारी से उत्पन्न खतरों से बाहर नहीं हो जाता तब तक इस आदेश को अमल में न लाया जाए। बुखारी ने कहा कि सरकार द्वारा जारी किया गया आदेश संसद द्वारा बनाया गया कानून नहीं है। यही नहीं अभी तक इसकी न्यायिक समीक्षा भी नहीं की गई है। अपनी पार्टी इस आदेश को पूरी तरह से अस्वीकार्य करती है।
रोजगार के मामले में- नान गजेटेड, गजेटेड पद और पेशेवर कॉलेजों में प्रवेश, जम्मू और कश्मीर के लोगों के इन विशेषाधिकारों की सुरक्षा के लिए एक ठोस कानून और संवैधानिक तंत्र को लागू किया जाना चाहिए था। आदेश के विभिन्न अस्पष्ट खंडों पर टिप्पणी करते हुए अपनी पार्टी के अध्यक्ष ने इन विसंगतियों को दूर करने के लिए जम्मू और कश्मीर के सभी हितधारकों के साथ उचित चर्चा करने की मांग भी की।