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जम्मू-कश्मीर में आम जनता के दर पर पहुंचे सरकारी बाबू, दिक्कतों से हो रहे रूबरू

जिला स्तर पर चलाए जा रहे अपनी तरह के पहले अभियान में जन सुनवाई अधिकार और उन्नत ग्राम अभियान चलाया जाएगा। इसकी जिम्मेदारी विभागों के प्रशासनिक सचिवों की होगी।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 11 Sep 2020 12:25 PM (IST)Updated: Fri, 11 Sep 2020 12:25 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर में आम जनता के दर पर पहुंचे सरकारी बाबू, दिक्कतों से हो रहे रूबरू
जम्मू-कश्मीर में आम जनता के दर पर पहुंचे सरकारी बाबू, दिक्कतों से हो रहे रूबरू

जम्मू, राज्य ब्यूरो : जम्मू कश्मीर के इतिहास में पहली बार सरकारी बाबू कार्यालयों में नहीं आम जनता के दरवाजे खटखटा कर उनकी दिक्कतों से रूबरू हो रहे थे। दरअसल प्रदेश प्रशासन का जनशिकायतें दूर करने करने के लिए वीरवार से 20 दिवसीय जन अभियान शुरू हुआ। यह अभियान कोरोना के कारण धीमी गति से जारी सरकारी कामकाज को तेजी देगा। सचिव जिलों के दौरे कर पूरे अभियान की मॉनीटरिंग करेंगे।

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जिला स्तर पर चलाए जा रहे अपनी तरह के पहले अभियान में जन सुनवाई, अधिकार और उन्नत ग्राम अभियान चलाया जाएगा। इसकी जिम्मेदारी विभागों के प्रशासनिक सचिवों की होगी। लोगों को डोमिसाइल प्रमाणपत्र, अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े क्षेत्र निवासी प्रमाणपत्र दिलवाने के अलावा केंद्रीय योजनाओं की शत प्रतिशत सफल बनाना शामिल होगा। यह अभियान अक्टूबर में बैक टृू विलेज (गांव की ओर) मुहिम की दिशा का हिस्सा है।

कई जिलों में अधिकारियों के दल ने लोगों के दर पर पहुंच उनकी दिक्कतों को सुना। किसी ने डोमिसाइल, राशन कार्ड, बीपीएल कार्ड, बिजली-पानी के कनेक्शन न लगने और बिजली बिल अधिक आने की समस्याओं से रूबरू कराया। मौके पर अधिकारियों ने समस्याओं को हल करने के पूरे प्रयास किए। शुक्रवार से अभियान पूरी तेजी से चलेगा।

मुख्य सचिव की बैठक : मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने जम्मू में उच्च स्तरीय बैठक में 20 दिवसीय अभियान को कामयाब बनाने की तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने प्रशासनिक सचिवों से कहा कि वे सुनिश्चित करें कि स्टाफ जमीनी सतह पर काम करके 14वें वित्त आयोग के तहत लंबित जिला, प्रदेश के प्लान के विकास कार्य फौरन शुरू हों। सचिवों से कहा कि वे अधिकारियों के मौके पर जाकर काम करने के लिए रोस्टर बनाएं। बैक टू विलेज-2 अभियान दो अक्टूबर से शुरू होने जा रहा है। ग्रामीण विकास को तेजी देने के लिए प्रशासन ने हर पंचायत को 10-10 लाख की अतिरिक्त वित्तीय सहायता देने का अहम फैसला किया था। 


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