Mughal Road: एक साल में भी नहीं बनी मुगल रोड सुरंग की डीपीआर, एतिहासिक रूप से बहुत अहम है यह मार्ग
मुगल रोड परियोजना से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि सुरंग बनने के बाद राजौरी-पुंछ और शोपियां के बीच 30 किलोमीटर की दूरी कम होगी। यही नहीं यह सड़क हमेशा यातायात के लिए बहाल रहेगी। कभी भूस्खलन और हिमपात में यह मार्ग बंद नहीं होगा।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। एतिहासिक मुगल रोड को श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग का एक सदाबहार विकल्प बनाने की योजना जल्द पूरी होती नजर नहीं आ रही है। कारण- मुगल रोड पर प्रस्तावित 10 किलोमीटर लंबी सुरंग के निर्माण की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) एक साल बीत जाने के बावजूद भी तैयार नहीं हुई है। वर्ष 2009 में बहाल किया गया मुगल रोड सर्दियों में हिमपात और भूस्खलन के कारण अकसर बंद रहता है।
मुगल रोड जम्मू को राजौरी-पुंछ के रास्ते कश्मीर घाटी को जिला शोपियां से जोड़ता है। इसकी लंबाई करीब 84 किलोमीटर है। इतिहासकार दावा करते हैं कि लाहौर से कश्मीर जाने और वहां से लौटने के लिए मुगल बादशाह इसी रास्ते का इस्तेमाल करते थे। वह अपने दावों काे सही साबित करने के लिए बताते हैं कि लाहौर लौटते हुए रास्ते में ही जहांगीर की मौत हो गई थी। उसकी मौत की खबर बाहर न फैले, इसलिए उसके शरीर से उसकी आंतड़िया़ निकाल राजौरी के चिंगस में दफनायी गई थी। जहांगीर के शव को हाथी पर बैठाकर लाहौर ले जाया गया था।
एतिहासिक रूप से यह सड़क बहुत अहम है। इस सड़क के बन जाने से राजौरी-पुंछ का कश्मीर से सीधा संपर्क बन गया है। मुगल रोड को मौजूदा श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग का विकल्प भी बताया जाता है। मुगल रोड परियोजना से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि सुरंग बनने के बाद राजौरी-पुंछ और शोपियां के बीच 30 किलोमीटर की दूरी कम होगी। यही नहीं यह सड़क हमेशा यातायात के लिए बहाल रहेगी। कभी भूस्खलन और हिमपात में यह मार्ग बंद नहीं होगा। मुगल रोड पर स्थित पीर की गली समुद्रतल से करीब 3485 मीटर की ऊंचाई पर है। यहां और इसके इसके साथ लगते इलाकों में हिमपात व भूस्खलन के कारण सड़क काे अकसर वाहनों की आवाजाही के लिए बंद करना पड़ता है।
पीर की गली से चिट्टापानी तक प्रस्तावित है सुरंग: मुगल रोड परियोजना से संबधित एक अधिकारी ने बताया के प्रस्तावित सुरंग पीर लाल गुलाम जजनार से लेकर पीर के गली के पार चिट्टापानी तक बनायी जानी है। पीर की गली मुगल रोड पर सबसे ऊंचा स्थान है। यह समुद्रतल से करीब 3485 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। सुरंग का निर्माण कार्य शुरु होने के बाद अगर इसमें कोई बाधा नहीं आती है तो भी यह काम कम से कम पांच साल में पूरा होगा।
अभी पीपीआर ही हो पायी है तैयार: एनएचआईडीसीएल को पिछले साल डीपीआर बनाने का जिम्मा सौपां गया है। एनएचआईडीसीएल, जम्मू कश्मीर नागरिक प्रशासन,रोडिक कंसल्टेंस प्राईवेट लिमिटेड ने एक विदेशी कंपनी गेटनिसा-यूरो स्टुडियो के साथ मिलकर यह काम शुरु किया। अगस्त 2019 में डीपीआर का काम शुरु किया गया। अभी तक सिर्फ प्रिलिमनेरी प्रोजेक्टर एसेसमेंट रिपोर्ट पीपीआर ही तैयार हो पायी है। कंसल्टेंट फर्म ने इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत 400 करोड़ रुपये आंकी है। उन्होंने बताया कि जब तक डीपीआर नहीं होगी, सुरंग निर्माण की दिशा में कोई अन्य कदम नहीं उठाया जा सकता। डीपीआर तैयार करने के लिए ज्योटैक्निकल विशेषज्ञता चाहिए। इसे तैयार करने में कम से कम एक साल लगेगा। डीपीआर के तैयार होने पर केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर प्रदेश सरकार और लोक कार्य विभाग पूरी योजना की समीक्षा करेगा। फिर उस पर अंतिम फैसला लेगा। इसलिए जब तक डीपीआर तैयार नहीं होगी, मुगल रोड पर सुरंग निर्माण के लिए काेई अन्य काम नहीं हो सकता।
पीडीपी-भाजपा सरकार ने सुरंग निर्माण को न्यूनतम साझा कार्यक्रम में किया था शामिल: राजौरी-पुंछ और कश्मीर के लोगां की मांगों को ध्यान में रखते हुए पीडीपी-भाजपा की गठबंधन सरकार ने वर्ष 2015 में सत्ता संभालते हुए पीर की गली में सुरंग निर्माण को अपने न्यूनतम साझा कार्यक्रम का हिस्सा बनाया था। तत्कालीन राज्य सरकार के प्रयासों के बाद ही एनएचआईडीसीएल ने 2017 में डीपीआर निर्माण के लिए विशेषज्ञ कंपनियों से निविदाएं आमंत्रित की थी। अलबत्ता, यह प्रक्रिया किन्हीं कारणों से अचानक ही बंद हो गई। उसके बाद 2019 में राज्यपाल शासन के दौरान एनएचआईडीसीएल ने मुगल रोड को दो तरफा बनाने और सुरंग निर्माण के लिए निविदाएं मांगी थी।