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Corruption In Jammu Kashmir : जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा के चार अफसरों समेत आठ जबरन सेवानिवृत्त

Corruption In Jammu Kashmir कश्मीर के बीरवां के ब्लाक मेडिकल आफिसर (बीएमओ) डा. फियाज अहमद बांडे जबरन सेवानिवृत्त होने वाले पांचवें अधिकारी हैं। वह पहले से ही निलंबित चल रहे हैं। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने उन पर मामला दर्ज किया है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 29 Oct 2021 09:03 AM (IST)Updated: Fri, 29 Oct 2021 09:03 AM (IST)
Corruption In Jammu Kashmir : जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा के चार अफसरों समेत आठ जबरन सेवानिवृत्त
प्रशासनिक सुधार संस्थान और प्रशिक्षण विभाग के उप निदेशक नूर आलम को भी जबरन सेवानिवृत्त किया गया है।

जम्मू, राज्य ब्यूरो : जम्मू कश्मीर प्रशासन ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने अभियान को जारी रखते हुए वीरवार को जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा (जेकेएएस) के चार अधिकारियों और खाद्य आपूर्ति विभाग के तीन कर्मचारियों सहित आठ कर्मचारियों को नौकरी से जबरन सेवानिवृत्त कर दिया है।

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जम्मू-कश्मीर सिविल सर्विस नियम कहते हैं कि कोई भी कर्मचारी जिसकी सेवा 22 साल हो चुकी हो या उसकी उम्र 48 साल हो चुकी हो, सरकार उसे सार्वजनिक हित में सेवानिवृत्त भी कर सकती है। सभी आठ कर्मचारियों को भ्रष्टाचार और उचित व्यवहार न करने के आरोप में जबरन सेवानिवृत्त किया गया है।

सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) के मिशन डायरेक्टर रविंद्र कुमार भट पर विभिन्न विभागों में नौकरी के दौरान भ्रष्टाचार के आरोप लगे। तत्कालीन सतर्कता विभाग (अब भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) ने वर्ष 2015 में भट के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था। बडग़ाम के राजस्व विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर पद पर रहते हुए भट ने गैर कानूनी रूप से रोशनी योजना के तहत भूमि हस्तांतरित की थी। आरोप है कि उन्होंने मनमाने ढंग से जमीन की कीमत बाजार में प्रचलित कीमत से कम तय की। उक्त अधिकारी ने लाभार्थियों के साथ काम करते हुए सरकार को भारी नुकसान पहुंचाया। अक्टूबर 2019 में उक्त अधिकारी पर मुकदमा चलाने की मंजूरी भी दी गई। यही नहीं, जब वह ग्रामीण विकास विभाग में निदेशक थे तो भी भ्रष्टाचार के एक मामले में फंसे। उन्होंने टेंडर प्रक्रिया का पालन न करते हुए भारी खरीदारी की। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने औचक निरीक्षण कर इसका पर्दाफाश किया।

प्रशासन ने जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा के अधिकारी और सर्वे और लैंड रिकार्ड के रीजनल डायरेक्टर मोहम्मद कासिम वानी को भी जबरन सेवानिवृत्त किया। सूत्रों के अनुसार, वानी जब इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट स्कीम (आइसीडीएस) में जिला प्रोग्राम आफिसर थे तो उन्होंने घटिया सामान अधिक दामों पर खरीदा था। वानी पर भी भ्रष्टाचार के आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया। सरकार ने वर्ष 2020 में वानी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी। ट्रायल कोर्ट में उसके खिलाफ आरोप पत्र भी दाखिल किया गया है। वानी ने अपनी पत्नी के नाम पर जायदाद खरीदी है।

प्रशासनिक सुधार संस्थान और प्रशिक्षण विभाग के उप निदेशक नूर आलम को भी जबरन सेवानिवृत्त किया गया है। उनके खिलाफ दर्ज मामलों की जांच करने के बाद कार्रवाई हुई। विभिन्न विभागों में नौकरी करने के दौरान आलम ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए लाखों रुपये कमाए। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने वर्ष 2019 में मामला दर्ज किया। उसकी चार संपत्तियों को अटैच भी किया गया। इनमें जम्मू स्थित एक घर, 10 करला का जम्मू में प्लाट, तीन कनाल का प्लाट और 10 मरले का एक और प्लाट शामिल है। इसके अलावा भी उसने अपनी पत्नी के नाम काफी जायदाद बनाई। उसके पास कई गाडिय़ां भी मिलीं।

जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा के एक अन्य अधिकारी मोहम्मद मुजीब उर रहमान को भी जबरन सेवानिवृत्त किया गया है। वह पहले से ही निलंबित चल रहा है। उसने कोआपरेटिव विभाग में नौकरी के दौरान एक ऐसी अनाम संस्था को 223 करोड़ रुपयों का लोन दिया, जो कहीं पर थी ही नहीं।

कश्मीर के बीरवां के ब्लाक मेडिकल आफिसर (बीएमओ) डा. फियाज अहमद बांडे जबरन सेवानिवृत्त होने वाले पांचवें अधिकारी हैं। वह पहले से ही निलंबित चल रहे हैं। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने उन पर मामला दर्ज किया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी वेतन के बिल दिखा कर बीरवां ट्रेजरी से 1,15,89,851 रुपयों की हेराफेरी की है। अधिकारिक खाते से सेल्फ चेक जारी किया।

वहीं, प्रशासन ने खाद्य आपूर्ति विभाग ऊधमपुर में तत्कालीन जूनियर असिस्टेंट राकेश कुमार परगाल को भी जबरन सेवानिवृत्त कर दिया है। वह पहले से ही निलंबित चल रहा था। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने उस पर मामला दर्ज किया हुआ है। उस पर 260 करोड़ रुपये के दुरुपयोग का आरोप है। उस पर आरोप है कि उसने मिल मालिकों, ठेकदारों के साथ मिलकर यह दुरुपयोग किया।

प्रशासन ने तत्कालीन जूनियर असिस्टेंट और इस समय खाद्य आपूर्ति विभाग के स्टोर में जूनियर असिस्टेंट गुलाम मोहिउद्दीन को भी जबरन सेवानिवृत्त कर दिया है। वहीं, प्रशासन ने पंचैरी के तत्कालीन स्टोर कीपर पुरुषोत्तम कुमार को भी जबरन सेवानिवृत्त कर दिया है।

इनपर हुई कार्रवाई :

1- रूसा के मिशन डायरेक्टर रविंद्र कुमार भट

2- सर्वे और लैंड रिकार्ड के रीजनल डायरेक्टर मोहम्मद कासिम वानी

3- प्रशासनिक सुधार संस्थान और प्रशिक्षण विभाग के उप निदेशक नूर आलम

4- पहले से निलंबित जेकेएएस अधिकारी मोहम्मद मुजीब उर रहमान

5- बीरवां के बीएमओ डा. फियाज अहमद बांडे

6- पहले से निलंबित खाद्य आपूर्ति विभाग ऊधमपुर में जूनियर असिस्टेंट राकेश कुमार

7- चट्ठा में स्टोर में जूनियर असिस्टेंट गुलाम मोहिउद्दीन

8- पंचैरी के तत्कालीन स्टोर कीपर पुरुषोत्तम कुमार

पहले भी भ्रष्ट व देशविरोधियों के समर्थक कर्मियों पर हो चुकी कार्रवाई

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम तेज हुई है। दो साल में 300 से अधिक कर्मचारी, अधिकारी व अन्य लोगों के खिलाफ मामले दर्ज हुए हैं। उनमें से कइयों को जेल भी भेजा गया है। सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2020 में भ्रष्टाचार के मामलों में 256 लोगों की गिरफ्तारी हुई। साल 2021 में भी 100 से अधिक के खिलाफ मामले दर्ज हो चुके हैं। जम्मू-कश्मीर बैंक के पूर्व चेयरमैन मुश्ताक अहमद और परवेज अहमद नेंगरू के अलावा जम्मू-कश्मीर कोआपरेटिव बैंक के पूर्व चेयरमैन शफी डार, कोआपरेटिव सोसाइटी के डिप्टी रजिस्ट्रार आशिक हुसैन सहित कई अधिकारियों के खिलाफ मामले दर्ज हुए हैं। कई लोगों पर आया से अधिक संपत्ति रखने के आरोप भी हैं। इसके अलावा सरकारी विभागों में बैठकर देश विरोधी तत्वों का समर्थन करने वाले कर्मचारियों व अधिकारियों पर भी गाज गिरी है। 


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