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Jammu Kashmir: सैंपलों की रिपोर्ट गुम हो जाने में उलझा प्रशासन, रिपोर्ट मिलने में देरी से बढ़ रही बेचैनी

स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने यह माना कि इस तरह के मामले हुए हैं। उनका कहना है कि सैंपल गुम नहीं हुए हैं लेकिन उनकी रिपोर्ट का पता न चलने पर फिर से सैंपल लिए जाते हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 11:41 AM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 11:41 AM (IST)
Jammu Kashmir: सैंपलों की रिपोर्ट गुम हो जाने में उलझा प्रशासन, रिपोर्ट मिलने में देरी से बढ़ रही बेचैनी
Jammu Kashmir: सैंपलों की रिपोर्ट गुम हो जाने में उलझा प्रशासन, रिपोर्ट मिलने में देरी से बढ़ रही बेचैनी

जम्मू, रोहित जंडियाल। कोरोना जांच के लिए सैंपल लिया जाना और फिर इसका खो जाना। इसके बाद फिर सैंपल लेना.. और तभी पहले और दूसरे सैंपल की रिपोर्ट आ जाना। एक निगेटिव और दूसरी पॉजिटिव। ऐसी परिस्थितियों में मरीज घनचक्कर बन रहे हैं। यहां तक कि सैंपल की रिपोर्ट पांच-पांच दिन बाद मिलना भी लोगों की बेचैनी बढ़ा रहा है।

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जम्मू के छन्नी हिम्मत क्षेत्र की रहने वाली एक डॉक्टर कुछ दिन पहले दिल्ली से वापस लौटी थी। उसे प्रशासनिक क्वारंटाइन केंद्र में रखा गया। उसके सैंपल लिए गए। जब रिपोर्ट नहीं आई तो सैंपल फिर से लिए गए। अभी दूसरे सैंपल लिए ही थे कि पहले की निगेटिव रिपोर्ट आ गई। इसके बाद उसे घर भेज दिया गया। लेकिन कुछ दिन में ही उसकी दूसरी रिपोर्ट भी आ गई, जिसमें वह पॉजिटिव आई। अब वह आइसोलेशन वार्ड में भर्ती है। यह कोई अकेला मामला नहीं है। कोविड-19 के टेस्ट करवाने पहुंच रहे मरीजों की दास्तां कुछ ऐसी ही है। अधिकारी मौन हैं। लोग परेशान हैं और उनकी सुनने वाला कोई नहीं। गलती किसी की भी हो, सब छिपा दिया जाता है। किसी की जिम्मेदारी तय नहीं की जा रही है कि ऐसी लापरवाही क्यों हो रही है? अगर किसी ने शोर मचाया है तो उसे भी चुप रहने के लिए कहा दिया जाता है। इससे दूसरे प्रदेशों से आ रहे लोगों का दर्द और डर बढ़ रहा है। इस तरह के मामले किसी एक जगह से नहीं, बल्कि पूरे जम्मू-कश्मीर से आ रहे है। इससे बच्चे भी अछूते नहीं हैं।

सांबा के बड़ी ब्राह्मणा क्षेत्र में दस साल के बच्चे का सैंपल लिया गया। उसके पिता के मोबाइल पर संदेश आया कि बेटे की रिपोर्ट निगेटिव है। अभी परिजनों ने राहत की सांस ही ली थी कि अधिकारियों ने उन्हें बताया कि उनके बेटे का टेस्ट पॉजिटिव आया है। अब वह भी आइसोलेशन वार्ड में भर्ती है। हैरत की यह भी बात है कि उत्तरी कश्मीर के बारामुला जिले के सोपोर में कोविड के दो मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। उनके सैंपल 18 मई को लिए गए थे। उन्हें रिकवरी प्रमाणपत्र दिए गए, लेकिन जब उनके सैंपलों की रिपोर्ट आई तो दोनों पाजिटिव आए। लोगों का आरोप है कि जब वे बाहर से आते हैं तो उनसे कहा जाता है कि उनके टेस्ट की रिपोर्ट तीन या चार दिन में आ जाएगी। तब तक वे प्रशासनिक क्वारंटाइन केंद्रों या फिर भुगतान होटलों में रहेंगे, लेकिन समय पर रिपोर्ट नहीं मिलती। विरोध करो तो फिर से सैंपल ले लिए जाते हैं। इनके परिणाम में विरोधाभास होता है। शिकायत करने के बावजूद कार्रवाई कोई नहीं होती है।

संक्रमित मां के साथ आइसोलेशन में सात दिन रहा दो साल का बच्चाः सांबा जिले के बड़ी ब्राह्मणा में तो स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की घोर लापरवाही सामने आई। दो साल के बच्चे को सात दिनों तक उसकी संक्रमित मां के साथ घघवाल कोविड अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में रखा गया। परिजनों के अनुसार बच्चा, उसके पिता और मां सरकार की अनुमति के बाद 14 मई को दिल्ली से घर लौटे। इसके बाद 15 मई को तीनों के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए। प्रशासन ने सभी को घरों में ही क्वारंटाइन रहने को कहा। 20 मई को बच्चे के माता-पिता की रिपोर्ट तो आ जाती है, लेकिन बच्चे की रिपोर्ट नहीं आती है। माता-पिता दोनों ही संक्रमित आते हैं। परिजनों का आरोप है कि प्रशासन की टीम माता-पिता के साथ दो साल के बच्चे को भी उठाकर ले जाती है और उसे घघवाल कोविड अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में रखती है। बच्चा अपनी संक्रमित मां के साथ ही रहता है लेकिन मंगलवार की सुबह जब बच्चे की रिपोर्ट आती है। हालांकि, रिपोर्ट निगेटिव आती है। इस पर भी सवाल खड़े हो गए है। अब बच्चे के सैंपल फिर से लेने की तैयारी है।

जांच से संतुष्ट नहीं परिवार: परिजनों ने मांग की कि मामले की जांच होनी चाहिए। जिला प्रशासन मामले की जांच करा रहा है, लेकिन परिजन इससे संतुष्ट नहीं है। उनका कहना है कि इस पूरे मामले में देरी बरती गई है। इस परिवार के सात सदस्यों में से चार सदस्यों में संक्रमण की पुष्टि हो गई है। हैरानी की बात यह है कि दो बार इनकी रिपोर्ट में गड़बड़ी देखने को मिली है। सांबा के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी ने हालांकि इन आरोपों का खंडन किया है। उनका कहना है कि ऐसा कुछ नहीं है।

हां, इस तरह के मामले हुए हैंः स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने यह माना कि इस तरह के मामले हुए हैं। उनका कहना है कि सैंपल गुम नहीं हुए हैं, लेकिन उनकी रिपोर्ट का पता न चलने पर फिर से सैंपल लिए जाते हैं।

संक्रमण की बढ़ जाती है आशंकाः सैंपलों की जांच में हो रही गड़बड़ी के कारण पूरे परिवार व आसपास में रहने वाले लोगों में संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है। अगर एक सैंपल में मरीज को निगेटिव दिखाया जाता है तो वे घर में जाकर अन्य परिजनों के संपर्क में आ जाता है। डॉक्टर भी यह मानते हैं कि ऐसी लापरवाही से कोई भी संक्रमित हो सकता है।


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