सात सालों से पुराने कार्यक्रमों के सहारे चल रहा जम्मू दूरदर्शन, बजट 3.5 करोड़ से 50 लाख पहुंचा
कलाकारों का कहना है कि जब सरकार पैसा बचाने पर ही आ गई है तो पुराने कार्यक्रमों के सहारे जम्मू दूरदर्शन चला कर कर्मचारियों और ढा़चें पर करोड़ों खर्चने का क्या लाभ है।
जम्मू, अशोक शर्मा। मनोरंजन भरा जीवन जीने की चाहत समेटे इस युग में जम्मू दूरदर्शन पिछले सात वर्ष से पुराने ऊबाऊ कार्यक्रमों का बार-बार प्रसारण कर चल रहा है। हालत यह है कि जम्मू दूरदर्शन का बजट 3.5 करोड से घटा कर मात्र 50 लाख कर दिया गया है जबकि जम्मू दूरदर्शन चलाने का वार्षिक बजट आठ करोड़ के करीब है। कार्यक्रम प्रसारित हों न हो, पुराना हो या नया इससे प्रसार भारती को कोई लेना देना नहीं। दूरदर्शन का बजट कम होने से परेशान कलाकारों का कहना है कि जब सरकार पैसा बचाने पर ही आ गई है तो पुराने कार्यक्रमों के सहारे जम्मू दूरदर्शन चला कर कर्मचारियों और ढा़चें पर करोड़ों खर्चने का क्या लाभ है। इसे तो अच्छा है कि स्टेशन ही बंद कर दिया जाए ताकि जम्मू के लोगों को एक संतोष तो हो कि उनके पास कोई दूरदर्शन नहीं है।
पाकिस्तानी चैनल देखने को मजबूर दूरदराज के लोग
जिन क्षेत्रों में जम्मू दूरदर्शन के अलावा लोगों के पास मनोरंजन का कोई साधन नहीं है, उन्हें दूरदर्शन की खराब गुणवत्ता के चलते पाकिस्तानी चैनल देखने को मजबूर होना पड़ता है। पुंछ के सीमांत क्षेत्र के रहने वाले हसन परवाज ने कहा कि उन्हें तो जम्मू दूरदर्शन देखना लंबे समय से नसीब ही नहीं हो रहा। दूसरा कोई नेटवर्क है नहीं। जिसके चलते उन्हें पाकिस्तान से प्रसारित भारत विरोधी दुष्प्रचार सुनना पड़ता है। हमें तो हकीकत पता है लेकिन बच्चों के सामने देश की छवि खराब होती है। जम्मू दूरदर्शन से अगर अच्छे कार्यक्रम प्रसारित हों तो बच्चों को राज्य की संस्कृति, साहित्य को समझने, जड़ों से जुड़ने का मौका मिल सकता है।
दूरदर्शन से दूर हाेते जा रहे हैं कलाकार
दूरदर्शन एप्रूवड़ ड्रामा आर्टिस्ट एसोसिएशन (दादा) के अध्यक्ष जेएस बबली ने कहा कि कलाकार पिछले करीब सात वर्षो से दूरदर्शन से कट चुके हैं। कुछ देर तो थोडे़ बहुत कार्यक्रम मिलते रहे लेकिन पिछले चार वर्षो से तो कोई कार्यक्रम भी नहीं मिल रहा। पहले कई धारावाहिक प्रसारित हुआ करते थे लेकिन अब कई वर्षो से कोई नई प्रोडक्शन नहीं हो रही। प्रोडक्शन कंट्रालर संजीव निर्दोष, अखिल महाजन ने कहा कि दस हजार के करीब लोग दूरदर्शन के सहारे थे लेकिन कार्यक्रमों का प्रसारण बंद कर उनसे उनके जीने का सहारा छीन लिया। इस समय जिस तरह से जम्मू दूरदर्शन चल रहा है, उससे तो बंद कर देना बेहतर है। वहीं वरिष्ठ कलाकार कुसुम टिक्कू ने कहा कि यह पहला सरकारी दायरा है, जिसे सरकार ने ही बर्बाद कर दिया। ऐसा लगता है, जम्मू के कलकारों को मिटाने की साजिश रची गई हो। हमसे हमोरी पहचान छीन ली। सरकार के ऐसे रवैये से कलाकारों का क्या भविष्य है।
बजट न होने के कारण प्रसारित किए जा रहे पुराने कार्यक्रम
पुराने कार्यक्रम बार-बार प्रसारित करने का कारण इंचार्ज डायरेक्टर जम्मू दूरदर्शन विनोद भान ने बजट न होना और कर्मचारियों की कमी बताया। उन्होंने कहा कि उन्हें जितना पैसा मिलेगा उसी से काम चलाना पड़ता है। जम्मू दूरदर्शन करीब साढे़ चार घंटे का है। इतनी प्रोडक्शन इस बजट से कैसे संभव हो सकती है।