नए जमाने में पुराने कार्यक्रमों के सहारे जम्मू दूरदर्शन
अपर्याप्त बजट और कर्मचारियों के अभाव में जम्मू दूरदर्शन आधुनिकता की दौर में पुराने ऊबाऊ क
अपर्याप्त बजट और कर्मचारियों के अभाव में जम्मू दूरदर्शन आधुनिकता की दौर में पुराने ऊबाऊ कार्यक्रमों के सहारे अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है। बार-बार एक ही कार्यक्रम प्रसारण कर रहा है। हालत यह है कि जम्मू दूरदर्शन का बजट 3.5 करोड़ से घटाकर मात्र 50 लाख कर दिया गया है, जबकि जम्मू दूरदर्शन चलाने का वार्षिक बजट आठ करोड़ के करीब है। कार्यक्रम पुराना हो या नया इससे प्रसार भारती को कोई लेना देना नहीं। कलाकारों का कहना है कि अगर सरकार को पैसा ही बचाना है तो पुराने कार्यक्रमों के सहारे जम्मू दूरदर्शन चला कर कर्मचारियों और ढांचे पर करोड़ों खर्च करने कोई औचित्य नहीं है। बेहतर होता कि स्टेशन ही बंद कर दिया जाए ताकि जम्मू के लोगों को संतोष हो जाता कि उनके पास दूरदर्शन ही नहीं है।
जिन क्षेत्रों में जम्मू दूरदर्शन के अलावा लोगों के पास मनोरंजन का कोई साधन नहीं है, वे पाकिस्तानी चैनल देखने को मजबूर हैं। पुंछ के सीमांत क्षेत्र के रहने वाले हसन परवाज ने कहा कि उन्हें तो जम्मू दूरदर्शन देखना काफी समय हो गया। दूसरा कोई विकल्प नहीं है। इसलिए उन्हें पाकिस्तान से प्रसारित भारत विरोधी दुष्प्रचार सुनना पड़ता है। हमें तो हकीकत पता है, लेकिन बच्चों के सामने देश की छवि खराब होती है। जम्मू दूरदर्शन से अगर अच्छे कार्यक्रम प्रसारित हों तो बच्चों को राज्य की संस्कृति, साहित्य को समझने और उससे जुड़ने का मौका मिल सकता है।
दूरदर्शन अप्रूवड ड्रामा आर्टिस्ट एसोसिएशन (दादा) के अध्यक्ष जेएस बबली ने कहा कि कलाकार पिछले करीब सात वर्षो से दूरदर्शन से कट चुके हैं। कुछ समय तक तो थोड़े बहुत कार्यक्रम मिलते रहे, लेकिन पिछले चार वर्षो से तो कोई कार्यक्रम भी नहीं मिल रहा। पहले कई धारावाहिक प्रसारित हुआ करते थे लेकिन अब कई वर्षो से कोई नए कार्यक्रम प्रसारित नहीं होते हैं।
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कलाकारों से छीना जीने का सहारा
प्रोडक्शन कंट्रोलर संजीव निर्दोष, अखिल महाजन ने कहा कि दस हजार के करीब लोग दूरदर्शन के सहारे थे, लेकिन कार्यक्रमों का प्रसारण बंद कर उनसे उनके जीने का सहारा छीन लिया। इस समय जिस तरह से जम्मू दूरदर्शन चल रहा है, उससे तो बंद कर देना बेहतर है। वहीं वरिष्ठ कलाकार कुसुम टिक्कू ने कहा कि यह पहला सरकारी व्यवस्था है, जिसे सरकार ने ही बर्बाद कर दिया। ऐसा लगता है, जम्मू के कलाकारों को मिटाने की साजिश रची गई हो। हमसे हमारी पहचान छीन ली। सरकार के ऐसे रवैये से कलाकारों भविष्य अंधकार में है। -----------------
जम्मू दूरदर्शन से नए कार्यक्रमों के प्रसारण में बाधा पर्याप्त बजट न होना और कर्मचारियों की कमी है। हमें जितना पैसा मिलेगा उसी में काम चलाना पड़ता है। जम्मू दूरदर्शन करीब साढे़ चार घंटे का है। इतना प्रोडक्शन इस बजट से कैसे संभव हो सकता है।
-विनोद भान, इंचार्ज डायरेक्टर जम्मू दूरदर्शन