सावधान! जम्मू में ट्रैफिक चालान के नाम पर साइबर ठगों का जाल, जानें कैसे करें असली और नकली की पहचान?
जम्मू में साइबर अपराधी ट्रैफिक चालान के नाम पर धोखाधड़ी कर रहे हैं। वे नकली चालान भेजकर लोगों से पैसे वसूल रहे हैं। असली और नकली चालान में अंतर करके इस धोखाधड़ी से बचा जा सकता है। सतर्क रहें और चालान की प्रामाणिकता की जांच करें।

पीड़ित को ठगी का अहसास तब होता है जब पैसा कट चुका होता है।
दिनेश महाजन, जम्मू। डिजिटल सुविधा के बढ़ते दौर में जहां लोग घर बैठे ट्रैफिक चालान भरते हैं, वहीं साइबर ठगों ने इसी सिस्टम को हथियार बनाकर आम जनता को ठगने का नया तरीका खोज लिया है।
जम्मू में हाल के दिनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें लोगों को मोबाइल पर फर्जी ट्रैफिक चालान भेजकर आनलाइन जुर्माना भरने के लिए कहा गया।
15 दिन के भीतर चालान न भरने पर आरसी रद की धमकी
संदेश में धमकी दी जाती है कि 15 दिन के भीतर चालान भरने में देरी हुई तो वाहन की आरसी (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट) को रद्द कर दिया जाएगा। इस तरह डर पैदा कर लोगों को एक लिंक पर क्लिक करवाया जाता है, जो असल में साइबर फ्राड का जाल होता है।
संदेश में मिनीस्ट्री आफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे व ई-चालान जैसे नाम लिखे होते हैं, जिससे लोग इसे सरकारी नोटिस समझ बैठते हैं। लिंक भी सरकारी वेबसाइट जैसा दिखता है लेकिन उसका डोमेन बदल दिया जाता है।
जैसे ही व्यक्ति उस लिंक को खोलता है, स्क्रीन पर फर्जी चालान का पेज खुलता है, जहां पीड़ित से बैंक संबंधी जानकारी, यूपीआई पिन या ओटीपी दर्ज करवाया जाता है। जानकारी दर्ज करते ही खाते से पैसे साफ हो जाते हैं और पीड़ित को ठगी का अहसास तब होता है जब पैसा कट चुका होता है।
जम्मू पुलिस को ठगी की मिल रही शिकायतें
डीआईजी ट्रैफिक हसीब मुगल ने बताया कि ट्रैफिक पुलिस को ऐसे मामलों की कई शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इसके बाद पुलिस ने इसे गंभीरता से लेते हुए आम लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है। ट्रैफिक पुलिस का कहना है कि चालान, टैक्स, वाहन संबंधित दस्तावेज आदि की जांच के लिए सरकार द्वारा केवल आधिकारिक वेबसाइट parivahan.gov.in और mParivahan ऐप ही मान्य है। किसी भी अन्य अनजान लिंक, विशेषकर एमएसएस में आए लिंक पर क्लिक करना जोखिम भरा है।
साइबर ठग कैसे डाल रहे हैं लोगों को जाल में
- सरकारी नाम का इस्तेमाल कर असली सूचना जैसा संदेश भेजा जाता है।
- आरसी रद्द करने या कानूनी कार्रवाई की धमकी देकर लोगों में डर पैदा किया जाता है।
- फर्जी लिंक भेजा जाता है, जो सरकारी साइट जैसा दिखता है, पर असली नहीं होता।
- लिंक खोलते ही व्यक्ति से बैंक व ओटीपी की जानकारी मांगी जाती है, जिसके बाद ठगी की जाती है।
चालान के नाम पर हजारों रुपये गंवा चुके
पुलिस के अनुसार, जिन लोगों ने जल्दबाजी में लिंक खोला और विवरण डाला, वे सीधे ठगों के निशाने पर आ गए। अब तक कई लोग आनलाइन चालान के नाम पर हजारों रुपये गंवा चुके हैं। पुलिस ने कहा है कि जनता सावधान रहे और चालान की जानकारी केवल अधिकृत माध्यमों से ही सत्यापित करें।
ट्रैफिक पुलिस ने साफ कहा है कि विभाग कभी भी फोन या संदेश भेजकर भुगतान के लिए दबाव नहीं बनाता। चालान का भुगतान हमेशा सुरक्षित सरकारी पोर्टल पर ही करें। किसी भी संदिग्ध संदेश या लिंक की जानकारी तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 पर दें ताकि कार्रवाई की जा सके।
साइबर ठगों से बचने के जरूरी टिप्स
- एसएमएस या व्हाट्सऐप पर आए लिंक पर क्लिक कभी न करें।
- चालान की जांच केवल parivahan.gov.in या mParivahan ऐप पर करें।
- बैंक जानकारी पिन, ओटीपी किसी को न बताएं।
- संदिग्ध संदेश मिलने पर स्क्रीनशाट लेकर तुरंत पुलिस को दें।
- मोबाइल में सिक्योरिटी और स्पैम फिल्टर सक्रिय रखें।
- लिंक खोलने से पहले यूआरएल ध्यान से जांचें
- असली सरकारी वेबसाइट हमेशा .gov.in पर समाप्त होती है।

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