50 वर्ष पहले गांधी जयंती पर जम्मू पहुंची थी एकता की रेल, 1972 को देश से रेल नेटवर्क के जुड़ गया था जम्मू
दो अक्टूबर 1972। यही वह ऐतिहासिक दिन था जब जम्मू देश से रेल नेटवर्क के साथ जुड़ गया था और एकता की पहली रेलगाड़ी जम्मू रेलवे स्टेशन पहुंची थी। स्वतंत्र भारत में यह पहला मौका था जब जम्मू में भारतीय रेलवे ने दस्तक दी थी।
जम्मू, दिनेश महाजन। दो अक्टूबर 1972। यही वह ऐतिहासिक दिन था जब जम्मू देश से रेल नेटवर्क के साथ जुड़ गया था और एकता की पहली रेलगाड़ी जम्मू रेलवे स्टेशन पहुंची थी। स्वतंत्र भारत में यह पहला मौका था, जब जम्मू में भारतीय रेलवे ने दस्तक दी थी। इससे पहले कठुआ से पठानकोट तक नैरो गेज थी और बड़ी लाइन की ट्रेनें देश के अन्य हिस्सों से केवल पंजाब के पठानकोट तक ही आती थीं।
जम्मू में दो अक्टूबर को पहुंची पहली मालगाड़ी का स्वागत करने वालों में शामिल रहे तत्कालीन जम्मू रेलवे स्टेशन के स्टेशन मास्टर वाईआर गुप्ता ने बताया कि उन्हें आज भी वह ऐतिहासिक पल याद है। वे बताते हैं कि वर्ष 1969 में कठुआ से जम्मू तक रेल लाइन बिछाने का काम शुरू हुआ था, जो तीन साल में पूरा हुआ। उस समय स्टेशन में एक ही प्लेटफार्म होता था और वह भी कच्चा। उन्होंने कहा कि असली खुशी दो दिसंबर 1972 को मिली, जब पहली यात्री रेलगाड़ी श्रीनगर एक्सप्रेस (अब झेलम एक्सप्रेस) जम्मू पहुंची थी।
अब बाड़ी ब्राह्मणा में सैटेलाइट टर्मिनल तक आती हैं मालगाड़ियां:
जम्मू रेलवे स्टेशन के डायरेक्टर उचित सिंघल ने कहा कि पूरे देश में दो अक्टूबर का दिन महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के जन्मदिन के रूप में याद किया जाता है, लेकिन यह एक और वजह से विशेषकर जम्मू कश्मीर के लिए खास है। 50 वर्ष पूर्व इसी दिन जम्मू कश्मीर के लोगों को रेलगाड़ी का तोहफा मिला था। इस वर्ष 14 सितंबर से जम्मू रेलवे स्टेशन पर मालगाड़ी की आवाजाही बंद कर दी गई है। अब जम्मू आने वाली सभी मालगाडिय़ां बाड़ी ब्राह्मणा रेलवे स्टेशन में बनाए गए सैटेलाइट टर्मिनल तक आती हैं। जम्मू तक केवल इंडियन आयल कारपोरेशन का रेल वैगन ही आता है, जो अपने साथ पेट्रोल, डीजल और केरोसिन लेकर आता है।
पिछले 50 वर्षों में काफी कुछ बदल गया : सिंघल
उचित सिंघल ने कहा कि पिछले 50 वर्षों में काफी कुछ बदल गया। वर्तमान में रोजाना करीब 30 रेलगाडिय़ां देश के विभिन्न हिस्सों से जम्मू आती हैं। आने वाले दिनों में ट्रेन कश्मीर पहुंचेगी। इसके बाद कश्मीर से कन्याकुमारी तक रेल यातायात का सपना भी साकार हो जाएगा। इस ट्रैक पर चिनाब दरिया पर विश्व का सबसे ऊंचा आर्च रेलवे पुल भी लगभग तैयार हो चुका है, जो एक कीर्तिमान है।