Dandiya Night में झूमा जम्मू शहर, राजस्थानी धुनों पर थिरके कदम
हाथों में डांडिया लिए और श्रृंगार किए अनारकली लहंगे में तो कोई राजस्थानी परंपरागत वेशभूषा तो कोई कलाइयों से कुहनियों तक चूड़ियां चूनर ओढ़े..। यह नजारा दिखा शनिवार शाम गुलशन ग्राउंड में जहां नवरात्र महोत्सव के तहत पर्यटन विभाग की ओर से डांडिया नाइट का आयोजन किया गया था।
जम्मू, जागरण संवाददाता : हाथों में डांडिया लिए और श्रृंगार किए अनारकली लहंगे में तो कोई राजस्थानी परंपरागत वेशभूषा तो कोई कलाइयों से कुहनियों तक चूड़ियां चूनर ओढ़े..। यह नजारा दिखा शनिवार शाम गुलशन ग्राउंड में जहां नवरात्र महोत्सव के तहत पर्यटन विभाग की ओर से डांडिया नाइट का आयोजन किया गया था। इस डांडिया नाइट में महिलाएं-युवतियां सहेलियों संग इस कदर झूमीं कि घंटों तक किसी को होश ही न रहा। हरी घास पर दूधिया रोशनी में इस डांडिया नाइट के आयोजन में शाम यादगार बन गई।
डांडिया नाइट में वीआइपी से लेकर आम लोगों ने देर रात तक धूम मचाई। शाम की धमाकेदार शुरुआत ढोल बाजे, नगाड़े संग ढोल बाजे, आधा है चंद्रमा रात आधी रीमिक्स, दीवाने तो दीवाने हैं, ढोली तारो ढोल बाजे. जैसे गीतों से हुई जिसके बाद राजस्थान से आए कलाकारों ने डांडिया, गरबा पेश कर सबको अपने साथ झूमने पर मजबूर कर दिया। मंदिरों के शहर जम्मू में रंग जमाने के लिए स्थानीय कलाकारों के अलावा राजस्थान से गौतम परमार एंड पार्टी आई थी। राजस्थान के इन 12 कलाकारों ने डांडिया पेश करने के साथ सपेरा जाति का पारंपरिक नृत्य कालबेलिया पेश किया।
राजस्थान के इस पारंपरिक प्रस्तुति के साथ जम्मू-कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी के कलाकारों ने डोगरी नृत्य पेश किया। इसके अलावा कुड डांस की प्रस्तुति हुई। गरबा-डांडिया नाइट के दौरान जम्मू के मंडलायुक्त डा. राघव लंगर मुख्य अतिथि थे। पर्यटन विभाग के निदेशक विवेकानंद राय ने उन्हें डांडिया भेंट कर स्वागत किया। इसके बाद सभी वीआइपी ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे लोगों के साथ मिलकर डांडिया खेला और नवरात्र महोत्सव की खुशी में शामिल हुए।
डांडिया नाइट के दौरान जम्मू-कश्मीर टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन तथा फूड क्राफ्ट इंस्ट्रीट्यूट की ओर से डोगरा व्यंजनों के स्टाल भी लगाए गए थे। शाम ढलती गई, धूम मचती गई पर्यटन विभाग की ओर से गरबा-डांडिया नाइट के आयोजन का समय शाम पांच बजे निर्धारित किया गया था। इसमें लोगों की एंट्री पूरी तरह से फ्री थी, लेकिन छह बजे तक डांडिया नाइट में हिस्सा लेने वाले लोगों की संख्या कम ही थी। सात बजे के बाद धीरे-धीरे भीड़ बढ़ने लगी और जैसे-जैसे घड़ी की सुई आगे बढ़ती गई, डांडिया नाइट की धूम मचती गई।