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मेक स्मॉल स्ट्राॅन्ग: कड़ी मेहनत ने दिलाया बड़ा कारोबारी होने का मान

राजेंद्र गुप्ता बड़े कारोबारी होने के साथ साथ समाज सेवी में भी आगे हैं। जरूरतमंद लोगों का ख्याल रखना अपनी जिम्मेदारी समझते हैं। काेरोना महामारी के दौरान भी उन्होंने समाज सेवा में हाथ बंटाया। जगह जगह शिविर भी लगवाए। जरूरतमंद लोगों के लिए भोजन व जरूरत का सामान जुटाया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 20 Oct 2020 06:28 PM (IST)Updated: Tue, 20 Oct 2020 06:28 PM (IST)
मेक स्मॉल स्ट्राॅन्ग: कड़ी मेहनत ने दिलाया बड़ा कारोबारी होने का मान
राजेंद्र गुप्ता बड़े कारोबारी होने के साथ साथ समाज सेवी में भी आगे हैं।

जम्मू, जागरण संवाददाता: जनून से ही जिंदगी की राह निकलती है। अगर जीवन में जनून हो तो इंसान बड़ी बड़ी कठिनाईयों को पार करते हुए सफलता की सीढ़ियां चढ़ता जाता है। पैसा तो कमाता ही है मगर समाज में शोहरत भी मिलती है। देश दुनियां में अनेकों उदाहरण ऐसे हैं जब किसी ने छोटा सा काम शुरू किया हो मगर कड़ी मेहनत से उसे बड़ा करके दिखाया। ऐसे ही जैसे कि जम्मू के राजेंद्र गुप्ता ने किया। आज दवाईयों के कारोबार में उनका एक नाम और पहचान है। बड़े कारोबारियों में उनका नाम लिया जाता है।

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शहर के आसपास उनके दस के करीब मेडिकल स्टोर चल रहे हैं। लेकिन यह इतनी आसानी से नही बनेे। इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की । साधारण परिवार से संबंधित राजेंद्र गुप्ता ने 1985 में मेडिकल असिस्टेंट का कोर्स किया। चाहते तो वह किसी सरकारी नौकरी में जा सकते थे। लेकिन अपना कारोबार शुरू करने की सोच शुरू से ही थी। चूंकि मेडिकल विषय से संबंधित रहे, इसलिए अपनी दवाइयों की दुकान खोलने का निर्णय लिया गया। 1987 में उन्होंने तालाब खटीका में पहला मेडिकल स्टाेर राजेंद्र मेडिकल हाल अपने ही नाम से खोला। फिर इसे चलाने व कारोबार को बुलंदियों को ले जाने के लिए दिन रात काम किया। पिता जी सोमनाथ गुप्ता जोकि सरकारी नौकरी पर रहे हैं, ने भी इस स्टोर को चलाने में सहयोग दिया।

कड़ी मेहनत का ही परिणाम है कि तीन साल में राजेंद्र गुप्ता ने शालामार में राजेंद्र मेडिकल के नाम से दवाइयों की एक ओर दुकान खोल दी। इसके बाद पीछे मुड़कर नही देखा। राजेंद्र गुप्ता की मेहनत से काम का दायरा बढ़ता गया । कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए उनका छोटा भाई बाॅवी गुप्ता का भी पूरा सहयोग मिला। इसी का परिणाम है कि एक के बाद एक मेडिकल स्टोर खुलते गए। आज दो राजेंद्र मेडिकल हाल, तीन नेट प्राइज शाप, सिटी मेडिकल स्टोर, सरवाल में मेडिकल स्टोर व दवाईयों की दुकानें चल रही हैं और तकरीबन 90 से 100 लाेगों को रोजगार मिल रहा है। हालांकि पिछले सात माह से काेरोना महामारी का दौर होने के कारण लोगों के कारोबार प्रभावित हुए। देश दुनियां की अर्थव्यवस्था नीचे चली गई।

निजी संस्थानों में काम करने वाले लोगों के रोजगार पर असर पड़ा। लेकिन राजेंद्र गुप्ता ने दवाइयों की दुकानों में कार्यरत कर्मचारियों के राेजगार पर असर नही आने दिया। आज सबका रोजगार चल रहा है। उनका कहना है कि सबका ख्याल रखना भी हमारी ही जिम्मेदारी है। काेरोना काल के दौरान भी अपनी दुकानों पर समय पर दवाइयां पहुंचाने का काम बखूबी से किया गया ताकि लोगों को किसी भी तरह की परेशानी न हो। इन कठिन दिनों में मेडिकल की दुकानें हर हाल में खुली रहनी चाहिए।

आप भी बन सकते हैं बड़े कारोबारी: राजेंद्र गुप्ता आज के युवाओं से कहते हैं कि वे भी एक बड़े कारोबारी बन सकते हैं लेकिन यह सपना साकार करने के लिए मेहनत को अपना साथी बनाना होगा। यह नही कि कोई काम शुरू किया लेकिन उस काम में दिलचस्पी नही दिखाई। अगर आप अपने काम में जुटे रहेंगे और चुनौतियों का सामना करते जाओगे तो एक दिन बुलंदियों को जरूर छू सकोगे। काम कोई भी हो, छोटा बड़ा नही होता बस अपनी मेहनत से काम को सफलता की ओर लाया जा सकता है। इसलिए जो युवा पढ़े लिखे हैं और बेरोजगार हैं, उनको कोई भी काम जरूर शुरू करना चाहिए। फिर मेहनत करते जाएं तो सफलता अपने आप दौड़ी चली आएगी।

समाज सेवा में भी आगे: राजेंद्र गुप्ता बड़े कारोबारी होने के साथ साथ समाज सेवी में भी आगे हैं। जरूरतमंद लोगों का ख्याल रखना अपनी जिम्मेदारी समझते हैं। काेरोना महामारी के दौरान भी उन्होंने समाज सेवा में हाथ बंटाया। जगह जगह शिविर भी लगवाए। जरूरतमंद लोगों के लिए भोजन व जरूरत का सामान जुटाया। यह क्रम अभी भी जारी है। उनका कहना है कि सबका ख्याल रखा जाना चाहिए। इस कठिन समय में अगर कोई भोजन से मोहताज हो रहा हो, तो उसको भोजन उपलब्ध कराया जाए। चूंकि कोरोना महामारी का दौर है, इसलिए लोगों को कोरोना से बचाव के लिए जागृत करना भी हमारी ही जिम्मेदारी है। समाज सेवा हम सबको बढ़चढ़ कर करनी चाहिए। वह कहते हैं कि प्रभु का नाम लेकर कभी कभी दान भी करना चाहिए। लेकिन यह ऐसा हो कि किसी दूसरे को पता न चले।


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