जम्मू दूरदर्शन के साढे़ चार घंटे के प्रसारण को आधा घंटा करने की तैयारी
लंबे संघर्ष के बाद वर्ष 1990 में अस्तित्व में आया जम्मू दूरदर्शन बंद होने की कगार पर है। इसकी तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई हैं।
जम्मू, अशोक शर्मा: लंबे संघर्ष के बाद वर्ष 1990 में अस्तित्व में आया जम्मू दूरदर्शन बंद होने की कगार पर है। इसकी तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई हैं। 15 नवंबर से 25 लो पॉवर ट्रांसमिशन (एलपीटी) रीले स्टेशन बंद करने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। जम्मू दूरदर्शन के करीब साढे़ चार घंटे केर प्रसाण को आधे घंटे का कर दिया जाएगा। जिसमें 15 मिनट का समाचार प्रसारण होगा। इससे तीस हजार के करीब कलाकार, निर्माता निर्देशक, टक्निशन बेरोजगार हो जाएंगे। वहीं राज्य के सांस्कृतिक संगठनों का आरोप है कि सोची समझी साजिश के तहत डुग्गर संस्कृति को नुकसान पहुंचाने की साजिश है। जम्मू दूरदर्शन में पिछले कई वर्षो से अधिकारियों की कमी और पैसे की किल्लत के चलते जम्मू दूरदर्शन करीब चार वर्षो से पिछले कार्यक्रम ही प्रसारित करता जा रहा है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय कोई सिस्टम बनाने के बजाए जम्मू दूरदर्शन के प्रसारण पर ही करीब चार घंटे की कैंची चलाने जा रहा है।
एक तरफ सीमांत क्षेत्रों में केंद्र सरकार करीब तीन लाख निशुल्क डीटीएच लगाने जा रहा है, दूसरी तरफ क्षेत्रीय प्रसारण ही बंद होने जा रहा है। इस स्टेशन से डोगरी, हिन्दी, पंजाबी, भद्रवाही, गोजरी, पहाड़ी, कश्मीरी कार्यक्रमों का प्रसारण होता है। जिसमें डोगरी लोक गीत, सुगम संगीत, डोगरी नाटक, धारावाहिक प्रसारित होते हैं। करीब 362 प्राइवेट निर्माता जम्मू दूरदर्शन से जुडे़ हुए हैं। किसानों के लिए प्रसारित होने वाला कार्यक्रम साढ़ी धरती साढे लोग बंद हुए तीन वर्ष के करीब हो गए हैं। इस पर जब किसानों ने आपत्ति जताई थी तो उन्हें जबाव मिला कि किसानों के लिए किसान चैनल शुरू किया गया है। उस चैनल से जम्मू की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए कोई भी ऐसा कार्यक्रम प्रसारित नहीं होता जिसका जम्मू के किसानों को कोई लाभ होता हो। वहीं पिछले पांच वर्षो से कार्यक्रम बंद होने के सिलसिले में कई बार कलाकार, निर्माता, निर्देशक उच्चाधिकारियों और मंत्रियों से मिल चुके हैं लेकिन उन्हें हमेशा हल्के में लिया गया।
जितेन्द्र सिंह ने कहा था कि अब दूरदर्शन सरकार की प्राथिमकता नहीं है
वरिष्ठ निर्देशक सुरेंद्र गोयल, वरिष्ठ कलाकार जनक खजूरिया, जेएस बबली, संजीव निर्दोष आदि ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डा. जितेंद्र सिंह ने तो कहा था कि अभी जम्मू दूरदर्शन सरकार की प्राथिमकता नहीं है। जम्मू के लोग तो पूर्ण डुग्गर चैनल की मांग कर रहे थे, अपना चैनल मिलने के बजाए उनसे जम्मू दूरदर्शन भी छीना जा रहा है।
निर्माता सुदेश वर्मा ने कहा कि सूचना प्रसारण के क्षेत्र में दूसरे राज्यों को तो प्रोत्साहित किया जा रहा है लेकिन जम्मू दूरदर्शन को बंद किया जा रहा है। यह कैसे अच्दे दिन हैँ कि जो मिल रहा था, वह भी छीना जा रहा है। प्रसार भारती अगर नए कार्यक्रम नहीं बना पा रही या उनके पास काम करने वाले लोग नहीं हैं तो यह मंत्रालय की कमी है। इसका खामियाजा जम्मू के लोग क्यों भुगतें।
कोरियोग्राफर राकेश कोना ने कहा कि जम्मू में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। लेकिन उन्हें मंच ही नहीं मिलता। जम्मू दूरदर्शन से कलाकारों को अपनी प्रतिभा का कुछ हद तक प्रदर्शन करने का मौका मिल जाता था। जब जम्मू दूरदर्शन से भी मौके नहीं मिल रहे हैं तो कलाकार कहां जाएगा। जम्मू दूरदर्शन बंद करने के बजाए इसका प्रसारण समय बढ़ना चाहिए ताकि स्थानिय कलाकारों को मौका मिलता रहे। नाट्य संस्था हिल थैस्पियन के निर्देशक सुनील शर्मा ने कहा कि रंगमंच से जुड़े अधिकतर कलाकार चाहते हैं कि उन्हें दूरदर्शन और दूसरे चैनलों में मौके मिलें। निजी चैनलों से भी ऐसा कोई प्रसारण नहीं होता कि कलाकारों को मौका मिले। अगर जम्मू दूरदर्शन का प्रसारण समय भी आधा घंटा ही रह जाएगा तो कलाकारों को मौके कहां से मिलेंगे। जम्मू दूरदर्शन को तो श्रीनगर दूरदर्शन भी अधिक समय मिलना चाहिए। युवा निर्देशक रोहित वर्मा ने कहा कि वह काफी देर मुंबई रहे हैं। वहां क्षेत्रीय प्रसारण का बढ़ावा देने में दूरदर्शन का विशेष सहयोग है। जम्मू दूरदर्शन अगर बंद हो रहा है तो यह जम्मू के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।
डांसर जेआर जैक्सन ने कहा कि वह तो पूरी तरह से दूरदर्शन पर निर्भर हैं। अगर जम्मू दूरर्शन का प्रसारण कम हो गया तो न तो उन्हें कोई कार्यक्रम मिलेगा और न ही उनके प्रशिक्षित डांसरों को। जब कलाकारों को मौका ही नहीं मिलेगा तो कोई उनसे प्रशिक्षण भी क्यों लेगा। जम्मू दूरदर्शन के अलावा कोई ऐसा चैनल नहीं है कि कलाकारों को मौका मिले।
डुग्गर मंच के प्रधान मोहन सिंह ने कहा कि जम्मू दूरदर्शन ही एक चैनल है, यहां से पाकिस्तान के दुष्प्रचार का जवाब संभव है। इस चैनल को मजबूत करने की जरूरत है। यहां के भूभाग और कला संस्कृति को देखते हुए, यहां बोली जाने वाली भाषाओं और दूसरी विभिन्नताओं को देखते हुए प्रसारण समय बढ़ाने की जरूरत है। अगर जम्मू दूरदर्शन का प्रसारण समय कम किया गया तो कलाकारों को मजबूरन सड़कों पर आना पड़ेगा।
मंत्रालय से जो आदेश होगा उसका पालन होगा
इंचार्ज डायरेक्टर जम्मू दूरदर्शन विनोद भान ने कहा कि उन्हें मंत्रालय से जो आदेश होगा वह उसका पालन करेंगे। फंड्स मिलेंगे तो कार्यक्रम बनेंगे। प्रसारित होंगे नहीं तो हम क्या कर सकते हैं। पैसा नहीं होगा तो स्टेेशन कैसे चल सकता है।