भारत बंद से अछूता जम्मू कश्मीर
एससी, एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के विरोध में भारत बंद का असर जम्मू कश्मीर में दिखाई नहीं दिया।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। एससी, एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के विरोध में भारत बंद का असर जम्मू कश्मीर में दिखाई नहीं दिया। अलबत्ता बहुजन समाज पार्टी सहित कुछ संगठनों ने विरोध प्रदर्शन जरूर किए हैं।
जम्मू कश्मीर में किसी भी संगठन ने बंद का आह्वान नहीं किया था। लेकिन अंबेडकर सेना, बहुजन समाज पार्टी, जम्मू एंड कश्मीर रिजर्व केटागिरी एम्पावरमेंट अलायंस, भीम समाज इस फैसले के विरोध में प्रदर्शन जरूर कर रहे हें।
अंबेडकर सेना ने तरसेम खुल्लर के नेतृत्व में प्रेस क्लब के बाहर प्रदर्शन किया। वे दलित विरोधी एक्ट को वापस लेने की मांग कर रहे थे। उन्होंने सरकार से निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू करने की मांग की।
वहीं अंबेडकर सेना की युवा इकाई ने भी प्रदर्शन किया। दोपहर को बहुजन समाज पार्टी व अन्य संगठन भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं।
एक्ट के विरोध में हिंसक हुआ प्रदर्शन
सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के विरोध में दलित और आदिवासी संगठनों ने देशभर में आज भारत बंद का एलान किया है। अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (एसएसी/एसटी एक्ट) को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के विरोध में दलित और आदिवासी संगठनों ने देशभर में आज भारत बंद का एलान किया है। दलित संगठन से जुडे लोग जगह जगह इक्ठ्ठे होना शुरू भी गए हैं।
एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के बाद दलित संगठनों के दो अप्रैल को भारत बंद के मद्देनजर पंजाब, बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों की सरकारों ने चौकसी कड़ी कर दी है। सरकार सुप्रीम कोर्ट में आज एक पुनर्विचार याचिका दायर कर एससी-एसटी के कथित उत्पीड़न को लेकर तुरंत होने वाली गिरफ्तारी और मामले दर्ज किए जाने को प्रतिबंधित करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को चुनौती देगी। सरकारी सूत्रों ने बताया कि सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय द्वारा दाखिल किए जाने वाली इस याचिका में यह तर्क दिया जा सकता है कि कोर्ट के फैसले से एससी और एसटी एक्ट 1989 के प्रावधान कमजोर हो जाएंगे। याचिका में सरकार यह भी तर्क दे सकती है कि कोर्ट के मौजूदा आदेश से लोगों में कानून का भय खत्म होगा और इस मामले में और ज्यादा कानून का उल्लंघन हो सकता है।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट 1989 में सीधे गिरफ्तारी पर रोक लगाने का फैसला किया था। कोर्ट ने कहा था कि एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों में तुरंत गिरफ्तारी की जगह शुरुआती जांच हो। कोर्ट ने कहा था कि केस दर्ज करने से पहले डीएसपी स्तर का अधिकारी पूरे मामले की प्रारंभिक जांच करेगा और साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि कुछ मामलों में आरोपी को अग्रिम ज़मानत भी मिल सकती है।