स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़े बदलाव की ओर जम्मू कश्मीर; इमरजेंसी सेवाओं में सुधार होगा, रिक्त पद भी भरे जाएंगे
तीनों कॉलेज 325-325 करोड़ की लागत से बन रहे हैं। कॉलेजों पर 90 फीसद रुपये केंद्र सरकार और 10 फीसद जम्मू कश्मीर प्रशासन खर्च कर रहा है।
जम्मू, रोहित जंडियाल। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में यह साल जम्मू कश्मीर के लिए उम्मीदों भरा है। इमरजेंसी सेवाओं में सुधार के लिए कदम उठाए जा रहे हैं तो और मेडिकल कॉलेज खोलने की दिशा में भी काम तेजी से चल रहा है। डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ के रिक्त पद भरने की प्रक्रिया भी शुरू हो सकती है।
नए मेडिकल कॉलेजों पर कामः इस साल तीन नए मेडिकल कालेज खुलने की उम्मीद है। इनमें डोडा मेडिकल कॉलेज में पिछले साल से ही भर्ती प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इमारत के निर्माण का काम भी जारी है। दो नए मेडिकल कॉलेजों ऊधमपुर और कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा को भी मंजूरी मिली है। दोनों ही कॉलेजों को इसी सत्र से खोलने के लिए काम भी शुरू हो गया है। डोडा कॉलेज में जहां एमबीबीएस की 50 सीटें मिलने की उम्मीद है। ऊधमपुर और हंदवाड़ा में एमबीबीएस की 100-100 सीटें मिल सकती हैं। दोनों मेडिकल कॉलेजों के लिए भी जगह का चयन कर दिया है।
ये होगा इन कॉलेजों में : तीनों कॉलेज 325-325 करोड़ की लागत से बन रहे हैं। कॉलेजों पर 90 फीसद रुपये केंद्र सरकार और 10 फीसद जम्मू कश्मीर प्रशासन खर्च कर रहा है। कुल 325 करोड़ में से 115 करोड़ प्रशासनिक और एकेडमिक ब्लॉक के निर्माण पर खर्च होंगे। 80 करोड़ रुपये हॉस्टल और आवासीय सुविधाओं पर खर्च होंगे। 60 करोड़ रुपये वर्तमान जिला अस्पतालों में टीचिंग फैकल्टी को अपग्रेड करने पर खर्च होंगे। 70 करोड़ से मशीनरी और उपकरणों की खरीदारी होगी।
कैंसर इंस्टीट्यूट पर काम तेजः पिछले साल सितंबर में 120 करोड़ की लागत से बन रहे कैंसर इंस्टीट्यूट का निर्माण कार्य भी तेजी के साथ चल रहा है। प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के प्रागंण में हो रहा है। इसके बनने से मरीजों को काफी राहत मिलेगी। अभी तक सरकारी स्तर पर सिर्फ जीएमसी के आनकालोजी विभाग में यह सुविधा है।
कैंसर इंस्टीट्यूट में होगी यह सुविधा : कैंसर इंस्टीट्यूट में न्यूक्लीयर मेडिसीन विभाग, रेडिएशन ऑनकालोजी विभाग, मेडिकल ऑनकालोजी विभाग, सर्जिकल ऑनकालेाजी विभाग होंगे। यही नहीं जहां पर पेट स्कैन मशीन सहित सभी आधुनिक मशीनरी होगी। इस समय यह मशीन सिर्फ निजी अस्पताल में ही है।
बोन एंड ज्वांइट अस्पतालः पिछले साल श्रीनगर की तर्ज पर जम्मू में बोन एंड ज्वाइंट अस्पताल का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। इस साल इस अस्पताल के निर्माण पर भी सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। इस प्रोजेक्ट का नींव पत्थर दो साल तत्कालीन स्वास्थ्य एवं चिकित्सा राज्य मंत्री बाली भगत ने रखा था। इसके बाद महीनों प्रोजेक्ट पर काम शुरू नहीं हो पाया। पिछले साल फरवरी में निर्माण कार्य शुरू हुआ। यह अस्पताल चेस्ट डिजिजेस अस्पताल की खाली पड़ी जगह पर बन रहा है।
यह होगी इसमें सुविधा : 38 करोड़ की लागत से बन रहे इस अस्पताल में 300 बिस्तरों की क्षमता होगी। दो चरणों में तीन मंजिला इमारत का निर्माण होगा। इसमें आधुनिक सुविधाएं होगी। माडयूलर ऑपरेशन थियेटर बनाए जाएंगे। प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत इसे बनाया जा रहा है। अस्पताल में पदों को सृजित करने के लिए प्रस्ताव पहले से ही वित्त विभाग के पास है।
इमरजेंसी ब्लाक खुलने की उम्मीद : मेडिकल कॉलेज जम्मू में पिछले साल जनवरी में 100 बिस्तरों की क्षमता वाले नए इमरजेंसी ब्लॉक का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। इसका मकसद इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाना था। इसकी दो मंजिलों का निर्माण कार्य पूरा हो गया है। उम्मीद है कि इसी साल इसे मरीजों के लिए खोल दिया जाएगा। इसके निर्माण पर 1150.50 लाख रुपये खर्च आएगा।
फिर से शुरू होगा चोपड़ा नर्सिंग होम : ढाई साल से बंद पड़े सर कर्नल चोपड़ा नर्सिंग होम को फिर से खोलने का काम भी इसी साल शुरू होने की उम्मीद है। यह अकेला सरकारी नर्सिंग होम है। तकनीकी खराबी के कारण इसे बंद कर दिया गया है। स्वासथ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इसकी मरम्मत के लिए फंड मंजूर कर दिया है।
जच्चा-बच्चा अस्पताल अंतिम चरण में : जम्मू के गांधीनगर अस्पताल के ओपीडी कांप्लेक्स के ठीक सामने बन रहे पहले जच्चा-बच्चा अस्पताल का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। इस साल उम्मीद है कि इसे मरीजों के लिए खोल दिया जाएगा। 50 करोड़ की लागत से बन रहे इस अस्पताल के खुलने से श्री महाराजा गुलाब सिंह अस्पताल में मरीजों का रश कम होगा। एक ही बिस्तर पर दो-दो मरीजों को भर्ती करने की जरूरत नहीं रहेगी।
102, 108 एंबुलेंस सेवा होगी शुरू : करीब दो साल से जम्मू-कश्मीर में बंद 102 और 108 एंबुलेंस सेवा इसी साल शुरू होने की उम्मीद है। राज्य में 102 एंबुलेंस सेवा पहले हिमाचल प्रदेश की कंपनी मैसर्स एस्टीम इंडस्ट्रीज उपलब्ध करवाती थी। कंपनी के साथ दिसंबर 2016 तक का टेंडर था। कांट्रेक्ट खत्म होने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग के अनुरोध पर कंपनी ने कुछ और समय पर सेवाएं दी। जब कंपनी गई तो राज्य में यह सेवा ठप होकर रह गई। इस सेवा को अब मैसर्स बीवीजी इंडिया लिमिटेड शुरू कर रही है। 102 एंबुलेंस सेवा से मां और बच्चों को मदद मिलती है। यह एंबुलेंस केवल अस्पताल में मरीज को एडमिट ही नहीं बल्कि घर तक भी पहुंचाने का काम करेगी।
रिक्त पदों पर होगी भर्तीः इस साल डॉक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ के रिक्त पद भरने की उम्मीद है। इस समय जम्मू-कश्मीर में मेडिकल ऑफिसर्स के 30 फीसद पद रिक्त हैं। यही स्थिति पैरामेडिकल स्टाफ को लेकर है। पदों को भरने के लिए विभाग के वित्त आयुक्त ने निर्देश भी दिए हैं। नेशनल हेल्थ मिशन के तहत भी पैरामेडिकल स्टाफ के पदों पर भर्ती प्रक्रिया चल रही है।