Jammu Kashmir Back to village program: राजौरी में 12 लापरवाह अधिकारियों का वेतन रोका गया
मुख्य सचिव के निर्देश पर जिला आयुक्त ने बुलाई थी बैठक 12 वरिष्ठ अधिकारियों ने नहीं दिखाई कोई दिलचस्पी-बैठ टू विलेज कार्यक्रम की समीक्षा और दूसरे चरण पर की जानी थी चर्चा
राजौरी, जागरण संवाददाता। नये जम्मू कश्मीर में सरकार बैक टू विलेज जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम के माध्यम से ग्रामीण परिवेश में प्रशासनिक तंत्र की विश्वास बहाली के प्रयास में जुटी है, मगर कई अधिकारी अपने पुराने रवैये से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना में रोड़ा बन रहे हैं। ऐसे ही 12 वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ जम्मू संभाग के राजौरी जिला के आयुक्त ने कड़ी कार्रवाई करते हुए उनका वेतन रोक दिया है।
इसके साथ ही तीन दिन के भीतर यानी बुधवार तक कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है। इसके साथ-साथ संबंधित विभाग के सचिवों को भी इस संबंध में सूचित कर दिया है, ताकि लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक और कठोर कार्रवाई की जा सके।
जानकारी के अनुसार जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव के निर्देश पर 16 नवंबर शनिवार को जिला आयुक्त ने एक बैठक बुलाई थी। इसमें पिछले बैक टू विलेज कार्यक्रम की समीक्षा और 25 नवंबर से शुरू हो रहे दूसरे चरण की तैयारियों पर चर्चा की जानी थी। इस बैठक में सभी विभागों के अधिकारियों की उपस्थिति आवश्यक थी, लेकिन कई विभागों के लापरवाह अधिकारियों ने इस बैठक में जाना उचित नहीं समझा। इन अधिकारियों ने बैठक में अनुपस्थित रहने के संबंध में किसी को सूचित भी किया और न ही अपने कार्यस्थल पर उपस्थित रहे।
रविवार को छुट्टी होने के कारण सोमवार को जब इन अधिकारियों से जानकारी मांगी गई तो पाया गया कि उक्त अधिकारियों ने जिला आयुक्त से अनुमति लिए बिना ही अपना स्टेशन छोड़ दिया और जिले से बाहर चले गए। अधिकारियों ने बैक टू विलेज बैठक के महत्व पर ध्यान न देकर प्रशासनिक मानदंडों का उल्लंघन किया। इस पर जिला आयुक्त ने कड़ा संज्ञान लेने हुए सभी अधिकारियों का अगले आदेश तक वेतन रोक दिया है। इसके साथ ही सभी को कारण बताओ नोटिस जारी कर बुधवार यानी 20 नवंबर तक बैठक में शामिल न होने का कारण स्पष्ट करने को कहा है। इसके अलावा सभी विभाग के सचिव को भी आयुक्त ने अपनी कार्रवाई के संबंध में सूचित कर दिया है, ताकि उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके।
यह अधिकारी हैं लापरवाह-
बैठक में मुख्य बागवानी अधिकारी राजौरी, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग के कार्यकारी अभियंता नौशहरा डिवीजन, कार्यकारी अभियंता प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना राजौरी डिवीजन, बुद्धल डिवीजन में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के कार्यकारी अभियंता, कार्यकारी अभियंता प्रोजेक्ट विंग डिवीजन राजौरी, सहायक निदेशक पर्यटन विभाग राजौरी शामिल नहीं हुए। इसके अलावा खंड विकास अधिकारी मंजाकोट, खंड विकास अधिकारी ढांगरी, खंड विकास अधिकारी सुंदरबनी, जोनल शिक्षा अधिकारी राजौरी, जोनल शिक्षा अधिकारी नौशहरा और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के ब्लॉक प्रबंधक भी बैठक से नदारद रहे।
यह है बैक टू विलेज कार्यक्रम
जम्मू एवं कश्मीर के विभिन्न जिलों में 20 जून 2019 को महत्वाकांक्षी 'बैक टू विलेज' कार्यक्रम शुरू हुआ था और 27 जून तक चला था। इस दौरान राज्य सरकार का पूरा प्रशासनिक तंत्र गांवों में पहुंच बनाने के लिए राज्य, प्रांतीय और जिला स्तरीय कार्यालयों से बाहर रहा था। राज्य की लगभग 4,500 पंचायतों में से प्रत्येक पंचायत में एक राजपत्रित अधिकारी ने दो दिन और एक रात बिताई थी। पंचायतों के निर्वाचित पंचों और सरपंचों के साथ बैठक की। जमीनी स्तर के लोगों से संवाद स्थापित करने के अलावा ग्राम और महिला सभाएं की गई थी। इस योजना का मूल उद्देश्य सरकारी तंत्र को उसकी कुर्सी से उठाकर गांवों में बसे लोगों के घरों के दरवाजों तक ले जाना है।
हर पंचायत की उठाई जाती हैं पांच प्रमुख समस्याएं
जम्मू कश्मीर के ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों, स्कूलों, स्वास्थ्य केंद्रों, बिजली, स्वच्छता और स्वच्छ पेयजल जैसी कई समस्याएं हैं। बैक टू विलेज कार्यक्रम के तहत इन्हीं समस्याओं में से प्रत्येक पंचायत की पांच मुख्य समस्याओं को उठाए जाने का प्रावधान है। सभी आंकड़े इकट्ठे होने के बाद इसे संबंधित प्रशासनिक विभाग को सौंपा जाता है, ताकि समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर सुलझाया जा सके। गांव का दौरा करने वाले व्यक्ति को उस गांव के नोडल अधिकारी के रूप में नामित किया जाता है।