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Jammu And Kashmir: कश्मीर में तिरंगा फहराने की अब नहीं छिपती खुशियां

विलय दिवस पर आतंक-अलगाववादियों को ठेंगा दिखाकर तिरंगा रैलियां निकाली गई पुलिस ने लाल चौक पर नहीं फहराने दिया तिरंगा फिर भी नहीं कम हुआ जोशएसकेआइसीसी में कार्यक्रम में विलय के लिए महाराजा का जताया गया आभार ।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 10:01 AM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 10:01 AM (IST)
Jammu And Kashmir: कश्मीर में तिरंगा फहराने की अब नहीं छिपती खुशियां
कश्मीर में तिरंगा फहराने की अब नहीं छिपती खुशियां

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। कश्मीर की आबोहवा ही नहीं, जनमानस की सोच भी बदल गई है। तभी तो वह अब अलगाववादियों और आतंकियों के खौफ में और चुप रहकर उनके पीछे नहीं भाग रही है। इसके बजाय अब उसके हाथ में तिरंगा है। अब यह भीड़ बिना मुंह छिपाए तिरंगा लेकर शान से गलियों और बाजारों में निकल रही है। अब तिरंगा फहराने की खुशियां छिप नहीं रही हैं। हालांकि, कई बार जब पुलिस कानून का हवाला देकर भले ही रोक लेती है, लेकिन इससे उसके जोश पर कोई फर्क नहीं पड़ता।

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लाल चौक में तिरंगा लेकर निकले कुपवाड़ा के युवक हों या फिर डल झील किनारे स्थित शेर कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआइसीसी) के आंगन में नाचती-गाती महिलाएं.. सभी सोमवार को तिरंगा लहराते हुए कह रही थे कि आज सिर्फ विलय दिवस नहीं है, यह तो आभार दिवस है। अगर महाराजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय न किया होता तो आज हम जम्हूरियत में नहीं, मिलिट्री राज में होते ।

सोमवार को जम्मू कश्मीर के भारत में विलय की 73वीं वर्षगांठ थी। कश्मीर में सुबह से ही तिरंगा रैलियां शुरू हो गई थीं। गेटवे ऑफ मिलिटेंसी कहलाने वाले कुपवाड़ा से आए भाजपा कार्यकर्ता भारत माता के जयकारे लगाते हुए श्रीनगर के घंटाघर पर तिरंगा फहराने पहुंच गए। हालांकि, पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इसके लिए धारा 144 और कोरोना पाबंदियों का हवाला दिया। इसके बावजूद तिरंगा लिए युवक पुलिसकर्मियों से धक्कामुक्की कर आगे बढ़े, फिर भी तिरंगा फहराने नहीं दिया गया। इन युवकों में कुपवाड़ा जिला भाजपा के प्रवक्ता मीर बशारत, मीर इश्फाक और अख्तर खान शामिल थे।

बशारत ने कहा कि हम यहां कोई तस्वीर खिंचवाने नहीं आए थे। हमार मकसद सिर्फ पीपुल्स एलायंस बनाने वाले डॉ. फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को जवाब देना था। हम उन्हें बताना चाहते हैं कि कश्मीरी अवाम अब उनके पीछे या पाकिस्तान द्वारा भेजे गए जिहादियों के फरमान पर नहीं चलने वाला। हम कश्मीरी हिंदूस्तानी हैं, यह उन्हें समझ लेना चाहिए।

जश्न मनाने के लिए अब नहीं छिपा रहे चेहरा

श्रीनगर के टैगोर हॉल में विलय दिवस पर समारोह कहने को तो इसे भाजपा ने आयोजित किया था, लेकिन इसमें पूर्व एमएलसी विवोध गुप्ता, पूर्व एमएलसी सोफी यूसुफ, अल्ताफ ठाकुर व द्राक्षा अंद्राबी जैसे सभी चिरपरिचित चेहरे में इसमें मौजूद थे। आम लोगों की विशेषकर युवाओं की अच्छी खासी तादाद थी। कोई अपना चेहरा नहीं छिपा रहा था। वक्ताओं ने बताया कि महाराजा हरि सिंह ने विलय आम कश्मीरियों की बेहतरी के लिए किया था। टैगोर हॉल से एसकेआइसीसी तक तिरंगा रैली भी निकाली गई।

रास्ते में यह गुपकार मार्ग पर डॉ. फारूक अब्दुल्ला और फिर तिरंगा न उठाने की धमकी देनी वाली पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के घर के आगे से निकली। यहां जमकर भारत माता के जयकारे लगाए गए। इस दौरान नेकां या पीडीपी नेताओं व उनके समर्थकों की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। इसके बाद एसकेआइसीसी में महिलाओं ने नाच-गाकर तिरंगा फहराया।

आतंकियों के डर से पहले दबी रहती थीं खुशियां

26 जनवरी 1947 को सिख रेजिमेंट के जवानों ने श्रीनगर एयरपोर्ट पर उतरते ही कश्मीर की बहू-बेटियों को अपनी दरिंदगी का शिकार बना रहे पाकिस्तानी फौजी और कबाइलियों को खदेड़ना शुरू कर दिया था। विलय दिवस हर साल जम्मू कश्मीर में मनाया जाता रहा है, लेकिन कश्मीर में आतंकियों और अलगाववादियों के डर से कभी आम कश्मीरी खुलकर नहीं मना पाया। अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद अब व्यवस्था बदलने का असर पूरे कश्मीर में नजर आ रहा है। 


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