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Jammu and Kashmir में पर्यटकों को मिलेगा निशुल्क और निर्बाध इंटरनेट कनेक्टिविटी का मजा

प्रशासन ने श्रीनगर और उसके साथ सटे विभिन्न दर्शनीय स्थलों पर निर्बाध और निश्शुल्क वाइ फाइ इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराने का फैसला किया है। यह सुविधा लालचौक में भी उपलब्ध होगी।इससे न सिर्फ स्थानीय लोगों को बल्कि कश्मीर आने वाले पर्यटकों को भी लाभ पहुंचेगा।

By Jagran NewsEdited By: Jagran News NetworkPublished: Sat, 01 Apr 2023 04:09 PM (IST)Updated: Sat, 01 Apr 2023 04:09 PM (IST)
Jammu and Kashmir में पर्यटकों को मिलेगा निशुल्क और निर्बाध इंटरनेट कनेक्टिविटी का मजा
पर्यटकों को मिलेगा निश्शुल्क, निर्बाध इंटरनेट कनेक्टिविटी

जागरण संवाददाता, जम्मू। जम्मू कश्मीर प्रदेश प्रशासन ने श्रीनगर और उसके साथ सटे विभिन्न दर्शनीय स्थलों पर निर्बाध और निश्शुल्क वाइ फाइ इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराने का फैसला किया है। इसके लिए दूर संचार विभाग और निजी दूर संचार कंपनियों से संपर्क किया जा रहा है। यह सुविधा लालचौक में भी उपलब्ध होगी।

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कश्मीर में बदल रहें है हालात 

प्रशासन के मुताबिक, इससे न सिर्फ स्थानीय लोगों को बल्कि कश्मीर आने वाले पर्यटकों को भी लाभ पहुंचेगा। इसे कश्मीर में बदले सुरक्षा परिदृश्य से भी जोड़कर देखा जा सकता है, क्योंकि वर्ष 2008 से वर्ष 2020 की शुरूआत तक कश्मीर देश और दुनिया के उन गिने चुने क्षेत्रों में एक था, जहां अक्सर कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए इंटरनेट को बंद किया जाता रहा है।

जंतर-मंतर पर पांच को धरना देंगे किसान

जागरण संवाददाता, जम्मू: आल इंडिया किसान सभा के आह्वान पर जम्मू कश्मीर के किसान दिल्ली में पांच अप्रैल को जंतर-मंतर पर धरना देंगे और अपने हक की आवाज को बुलंद करेंगे। करीब 400 किसान दिल्ली के लिए कूच करेंगे, जिसमें काफी किसान कश्मीर से होंगे। दिल्ली जाने के लिए जम्मू कश्मीर तहरीक-ए-किसान के सदस्य तैयारियों में जुटे हुए हैं और जगह जगह बैठकें कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार महज दिखावा कर रही है। हकीकत में किसानों का भला नहीं हो रहा है। जम्मू कश्मीर के किसानों पर मौसम की मार पड़ रही है।

नहर के पानी के लिए संघर्ष

दूसरी ओर किसानों को आज भी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। तहरीक-ए-किसान जम्मू कश्मीर के प्रधान किशोर कुमार ने कहा कि हर साल धान उत्पादक किसान नहर के पानी के लिए संघर्ष करते हैं। पंपसेट के जरिए खेती करने वाले किसान मोटा बिजली बिल अदा करने को मजबूर हैं। सीमांत के किसानों के लिए कोई योजना नहीं है। प्रदेश का किसान परेशान है। उनकी परेशानी को समझा जाना चाहिए। यही कारण है कि अब यहां के किसानों को दिल्ली जाकर आवाज को बुलंद करना पड़ रहा है। किशोर कुमार ने कहा कि चार अप्रैल को किसान रेल, बस के जरिए रवाना होंगे।


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