'मिनी डायनासोर' सा प्राणी देख लोगों में मचा हड़कंप, मुंह चूहे सा व शरीर की बनावट डायनासोर सी
mini dinosaur सीमांत क्षेत्र में दिखा ट्री पैंगुलिन लोगों ने बोरे में बंद किया बाद में नाले में बने बांध के पास छोड़ा लगभग 20 किलो के वजन के इस जानवर के पूरे शरीर पर धारियां है
जम्मू, जेएनएन। जम्मू कश्मीर के सीमांत क्षेत्र में सुबह रहस्यमय जानवर को देख लोगों में हड़कंप मच गया। मिनी डायनासोर से दिखने वाले इस प्राणी को देख लोग एकाएक घबरा गए पर कुछ लोगों ने साहस कर उसे बोरे में बंद कर दिया। बाद में प्रशासन को सूचना दी गई। इससे पहले की वन्य प्राणी विभाग की टीम वहां पहुंच पाती ग्रामीणों ने उसे नाले के किनारे बने सुरक्षा बंध के पास छोड़ दिया। टीम ने तस्वीरें देख बताया कि यह ट्री पैंगुलिन है और मिट्टी में रहता है।
यह जानवर लुप्त होने के कगार पर
आरएसपुरा निवासी रमेश कुमार ने बताया कि सुबह कुछ लोगों ने इसे सड़क किनारे देखा और ग्रामीणों लोगों को सूचना दी। इसका मुंह चूहे सा और शरीर की बनावट डायनासोर सी थी। ऐसे में लोगों में हड़कंप मच गया। कुछ लोगों ने इसे पानी पिलाने का प्रयास किया। आसपास देखने वाले का तांता लगा लेकिन उसे छूने से लोग कतरा रहे थे।कुछ ग्रामीणों ने एसडीएम आरएसपुरा जगदीश सिंह को इसकी सूचना दी।
एसडीएम ने वन्य जीव संरक्षण विभाग के अधिकारियों को इस संदर्भ में आगाह किया। घंटों तक विभाग की टीम नहीं पहुंची तो लोगों ने नाले में बने सुरक्षा बांध में छोड़ दिया था। टीम ने बताया कि शिकार अधिक होने के कारण यह जानवर लुप्त होने के कगार पर है।
मिट्टी में घर बनाकर रहता है
वन्य जीव संरक्षण विभाग के मनोहर लाल ने बताया कि इस अद्भुत जानवर का नाम सरगल (ट्री पैंगुलिन) है। यह मिट्टी में घर बनाकर रहता है। इस जानवर का बड़े पैमाने पर शिकार किया जा रहा है। लगभग 20 किलो के वजन के इस जानवर के पूरे शरीर पर धारियां हैं। मुंह चूहे के समान है। पंजे नुकीले हैं और मिट्टी को तुरंत खोद सकते हैं। यह सीमा क्षेत्र में काफी पाया जाता है। यह कीड़े-मकोड़े बड़े चाव से खाता है।
डायनासोर सी है इसकी आकृति
यह जानवर भारत में ऐसा दुर्लभ स्तनधारी वन्यजीव है जो अन्य स्तनधारियों से बिलकुल अलग व विचित्र आकृति का लगता है। इसके शरीर का पिछला भाग खजूर के पेड़ के छिलकों की भांति ठोस व मजबूत चौड़े शल्कों से ढका रहता है। दूर से देखने पर यह छोटा डायनासोर प्रतीत होता है। गहर-भूरे, पीले-भूरे अथवा रेतीले रंग का यह निशाचर लंबाई में लगभग दो मीटर तथा वजन में लगभग 20 किलो तक का होता है। चूंकि इसके शरीर पर शल्क होने से यह 'वज्रशल्क' नाम से भी जाना जाता है तथा कीड़े-मकोड़े खाने के कारण इसको 'चींटीखोर' भी कहते हैं।