Roshni Act Scam: गरीबों के नाम पर करोड़ों रूपये मूल्य की जमीन हड़प गए जम्मू-कश्मीर के नेता-नौकरशाह
डिवीजन बेंच ने अफसोस जताया कि यह हम सबके लिए हैरान कर देने वाली बात है। नौ साल पहले इस मुद्दे को जनहित याचिका के जरिए उठाया गया जब हम पूर्व जम्मू कश्मीर और लद्दाख के नागरिक थे और यहां चुनी हुई सरकार थी।
जम्मू, जागरण संवाददाता : जम्मू कश्मीर के अब तक के सबसे बड़े 25 हजार करोड़ के रोशनी भूमि घोटाले के लिए हाईकोर्ट ने नेताओं व नौकरशाहों के लालच को सीधा जिम्मेदार ठहराया है। कोर्ट ने 64 पन्नों के आदेश में साफ लिखा कि रोशनी एक्ट की बुनियाद स्वार्थ पूर्ति के लिए ही रखी थी। नेताओं और नौकरशाहों की नीयत में खोट था जिन्होंने स्वार्थ की खातिर गरीबों जरूरतमंदों के नाम पर सरकारी और वन विभाग की जमीनों को हथिया लिया।
चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस राजेश बिंदल पर आधारित खंडपीठ ने एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) को भी कठघरे में खड़ा कर दोषियों के खिलाफ की कसरत को दिखावा बताया। सीबीआइ को जांच सौंपते हुए कोर्ट ने कहा कि सरकार के सामान्य प्रशासनिक विभाग में हिम्मत नहीं थी कि वह उनके खिलाफ कार्रवाई करते जिन्होंने रोशनी एक्ट की आड़ में लूट-खसोट की। कोर्ट ने कहावत का उल्लेख भी किया कि दान पुण्य की शुरुआत घरों से शुरू होती है। कोर्ट ने यहां तक लिखा है कि रसूखदारों ने सरकारी जमीनों की लूटखसोट लालचवश की है जिससे राष्ट्र और जनहित को नुकसान पहुंचा। कोर्ट ने कहा कि बेईमानी से हथियाई जमीन में अपराधिक प्रवृत्ति झलकती है जिसने सरकार के प्रति विश्वास को झकझोर दिया है। रोशनी एक्ट बनाने वालों में वे लोग शामिल रहे जिनका सभी स्तर पर अच्छा खासा प्रभुत्व था।
लूटखसोट करने वालों को प्रोत्साहित किया: डिवीजन बेंच ने अफसोस जताया कि यह हम सबके लिए हैरान कर देने वाली बात है। नौ साल पहले इस मुद्दे को जनहित याचिका के जरिए उठाया गया, जब हम पूर्व जम्मू कश्मीर और लद्दाख के नागरिक थे और यहां चुनी हुई सरकार थी। वर्ष 2011 में जनहित याचिका दायर हुई उसके बाद 2014 में अन्य याचिका दायर हुई। याचिकाकर्ताओं की न्याय की दलीलों को इन नेताओं के कानों पर कोई असर नहीं हुआ। उन्होंने लूटखसोट करने वालों को प्रोत्साहित किया।
क्लोजर रिपोर्ट तक फाइल कर दी : 64 पन्नों के आदेश में डिवीजन बेंच समावित्यों को मालिकाना हक एक्ट 2001 में समय-समय पर संशोधन हुआ, जो असंवैधानिक था। यह कानून शुरू से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 में लोगों के हित में नही था। जनरल क्लाज अनुच्छेद 6 अतंर्गत इसका लोगों को लाभ नहीं मिलना चाहिए। रोशनी नियम 2007 विधानमंडल की स्वीकृति के प्रकाशित हो गए जिन्हें कानूनी रूप से वैध नहीं माना जा सकता। जिन लोगों ने रोशनी एक्ट के तहत जमीन हथियाई है वे गैर कानूनी हैं और अपराधिक क्षेणी में आती है। डिवीजन बेंच ने तर्क दिया कि पहले विजिलेंस ने दिखावटी कसरत की। संगठन ने उन लोगों को बचाया जो इस गोरखधंधे में शामिल रहे हैं। घोटाले का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 2019 में एंटी करप्शन ब्यूरो ने क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर दी। फिर सामान्य प्रशासनिक विभाग ने 9 सितंबर 2020 में कहा कि न एंटी करप्शन ब्यूरो और न अधिकारियों के पास योग्यता या क्षमता है जो कानूनी कार्रवाई करते हुए उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर वे जमीन वापस ले जो अवैध रूप से हड़पी गई है।
सीबीआइ की अलग टीमें बनेंगी: सीबीआइ सूत्रों के मुताबिक घोटाले की त्वरित जांच के लिए अलग-अलग टीमें तैयार की जाएंगी। एक या दो दिन में सीबीआइ जांच अपने हाथों में लेगी।