जम्मू-कश्मीर में दस सालों में 9050 लोगों की सड़क हादसों में हुई है मौत, ये हैं कारण Jammu News
यहां पर न तो ओवरलोडिंग को रोकने के लिए कभी ट्रैफिक विभाग गंभीर नजर आया और न ही सड़कों की मरम्मत करने के लिए राज्य प्रशासन।
जम्मू, जेएनएन। जम्मू-कश्मीर विशेषकर जम्मू संभाग के पहाड़ी जिलों डोडा, किश्तवाड़, रामबन, रियासी, पुंछ, राजौरी व दूरदराज के इलाकों में जर्जर सड़कों, ओवरलोडिंग व ट्रैफिक की लचर व्यवस्था से सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि हो रही है। कई बार चालकों की लापरवाही का खामियाजा भी लोगों को भुगतना पड़ता है। सोमवार को किश्तवाड़ हादसे में हुई 35 लोगों की मौत ने एक बार फिर से इन क्षेत्रों में ट्रैफिक नियमों की पोल खोलकर रख दी है। सड़क हादसों में प्रति वर्ष करीब 900 से 1000 लोग अपनी जान गंवाते हैं। हद तो यह है कि राज्य प्रशासन इन हादसों से भी कोई संज्ञान नहीं लेता। पिछले दस सालों की बात करें तो जम्मू-कश्मीर में सड़क हादसों में 9050 लोगों ने अपनी जान गंवाई है।
इससे तो यही लगता है कि सड़क हादसों को रोकने में सरकार नाकाम है। स्टेट ट्रासपोर्ट सलाहकार कमेटी और राज्य विधानसभा की तरफ से गठित हाउस कमेटी ने समय-समय पर सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए कई सुझाव दिए, लेकिन इस पर अमल नहीं हो पाया है। अधिकतर सड़क हादसे पहाड़ी जिलों में होते हैं, क्योंकि वहां की सड़कों की हालत खस्ता होने के साथ कम चौड़ी है। वाहनों में क्षमता के मुकाबले अधिक सवारियों को चढ़ाया जाता है। ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ाई जाती है।
राष्ट्रीय राजमार्ग पर हादसे कॉमर्शियल वाहनों की तेज गति और मदिरापान के सेवन से भी होते हैं। तीन दिन पहले राजौरी में हुए सड़क हादसे का कारण चालक का नशे में होना ही था। यही नहीं मुगल रोड पर हुए हादसे जिसमें 11 विद्यार्थियों की मौत हुई थी, उसका कारण तेज रफ्तार व खस्ताहाल सड़क थी। यही नहीं जम्मू संभाग के अधिकांश पहाड़ी व दूरदराज के क्षेत्रों में सड़क हादसे होने का प्रमुख कारण खस्ताहाल सड़कें व ओवर लोडिंग ही है। यहां पर न तो ओवरलोडिंग को रोकने के लिए कभी ट्रैफिक विभाग गंभीर नजर आया और न ही सड़कों की मरम्मत करने के लिए राज्य प्रशासन।
भूतल परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के 2018 के आंकड़ों के अनुसार राज्य में 928 लोगों की सड़क हादसों में मौत हुई। यही नहीं उससे पिछले साल 2017 में 926, साल 2016 में 958, 2015 में 917 लोगों ने सड़क हादसों में अपनी जान गवाई। इस साल पिछले तीन महीनों की ही बात करें तो राज्य में हुए विभिन्न सड़क हादसों में करीब 100 से अधिक लोग अपनी जान गवां चुके हैं।
वर्ष सड़क हादसों की संख्या घायलों की संख्या मृतकों की संख्या
- 2010 6120 8655 1073
- 2011 6644 10108 1120
- 2012 6709 9776 1165
- 2013 6469 8681 990
- 2014 5861 8043 992
- 2015 4638 6076 688
- 2016 5501 7677 958
- 2017 5624 7419 926
- 2018 5529 7250 928