जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के ने दिए निर्देश- केवल स्वस्थ कर्मचारी की ही हो कठिन परिस्थितियों में तैनाती
बेंच ने कहा कि मेडिकल बोर्ड गठित करने में सरकार को किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। बेंच ने कैट के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि सरकार मेडिकल बोर्ड से याची की जांच कराए और उसके बाद ही कोई अंतिम निर्णय ले।
जम्मू, जेएनएफ: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट(जीएडी) की एक अपील को खारिज करते हुए कहा कि यह सरकार का दायित्व बनता है कि वह कठिन परिस्थितियों में केवल उन्हीं कर्मचारियों की तैनाती करें जो शारीरिक रूप से पूरी तरह से स्वस्थ हो। इस मामले में सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) ने भी सरकार को याची के स्वास्थ्य जांच के लिए मेडिकल टीम गठित करने का निर्देश देते हुए कहा था कि अगर याची पूरी तरह से स्वस्थ है, तभी उसकी कठिन परिस्थितियों में तैनाती की जाए।
केस के मुताबिक सरकार ने 27 अक्टूबर 2020 को केसर अहमद काे डेपुटेशन पर केंद्र शासित प्रदेश लेह में भेजा था। याची ने इस आदेश को खारिज करने की मांग को लेकर कैट में अपील की थी। याची ने दावा किया था कि वह स्वयं गंभीर बीमारी से ग्रस्त है और उसकी मां व बेटा भी बीमारियों से ग्रस्त है। लिहाजा वह इस स्थिति में नहीं कि लद्दाख जैसे कठिन क्षेत्र में जाकर ड्यूटी दे सके।
कैट ने इस पूरे मामले पर गौर करने के बाद कहा कि लद्दाख में वातावरण ऐसा है कि वहां केवल एक स्वस्थ व्यक्ति को ही तैनात किया जा सकता है। लिहाजा सरकार एक मेडिकल बोर्ड का गठन करें जो याची के स्वास्थ्य की जांच करके अपनी रिपोर्ट दे। उस रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार तबादले पर अंतिम फैसला ले।
कैट के इस आदेश को जीएडी ने हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच में चुनौती दी थी जिसे बेंच ने खारिज करते हुए कहा कि मेडिकल बोर्ड गठित करने में सरकार को किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। बेंच ने कैट के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि सरकार मेडिकल बोर्ड से याची की जांच कराए और उसके बाद ही कोई अंतिम निर्णय ले।