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Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने दोषी राजस्व अधिकारियों के खिलाफ जिम्मेदारी तय करने के निर्देश दिए

आपत्तियों में कहा है कि जमीन के दाखिल खारिज को लेकर कुछ अलग बयान हैं। इसलिए कोर्ट किस पर यकीन करे। बेहतर होगा कि मामले का निपटारा तथ्यों के आधार पर हो जिससे दोनों पार्टियों में झगड़े की कोई नौबत न रह जाए।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 17 Jun 2021 08:40 AM (IST)Updated: Thu, 17 Jun 2021 08:40 AM (IST)
Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने दोषी राजस्व अधिकारियों के खिलाफ जिम्मेदारी तय करने के निर्देश दिए
अभी भी याचिकाकर्ता इस जमीन पर खेतीबाड़ी करता है।

जेएनएफ, जम्मू: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने भूमि को अवैध रूप से हथियाने के एक मामले में राजस्व अधिकारियों की सांठगांठ पाए जाने पर असिस्टेंट कमिश्नर रेवेन्यू को जिम्मेदारी तय करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने यह निर्देश प्रेम सिंह द्वारा दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान दिए। याचिका में कहा गया कि ग्रेटर कैलाश के चौआदी इलाके में दो कनाल भूमि पर बिजली का रिसीविंग स्टेशन बनना था, जिसको लेकर आपत्ति दर्ज की गई। तत्कालीन तहसीलदार से भी विरोध किया गया था, लेकिन मामला हल नहीं हुआ।

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यह मामला 6 जुलाई वर्ष 2020 का है। पावर डेवलपमेंट डिपार्टमेंट (पीडीडी) ने दावा किया कि उन्होंने चौआदी गांव में दो कनाल जमीन जिसका खसरा नंबर 96 है, को रिसीविंग स्टेशन बनाने के लिए 25 जून वर्ष 2019 में अपने कब्जे में लिया। तत्पश्चात कोर्ट में एक अन्य प्रतिवादी ने कोर्ट में तर्क दिया कि दो कनाल भूमि जिसका खसरा नंबर 96 और 1328 है, वह गांव चौआदी में है और इस जमीन पर उसका मालिकाना हक है और उसका परिवार वर्षों से इस पर खेती करता रहा है।

जस्टिस संजीव कुमार ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि जमीन के दाखिल खारिज करने को लेकर तो बयान सामाने आए हैं। एक बयान यह है कि जमीन का दाखिल खारिज नंबर 272, तिथि 8 जून, 1957 है, जिसे रिकार्ड सहित कोर्ट में पेश किया गया। जबकि वरिष्ठ अतिरिक्त महाअधिवक्ता एसएस नंदा ने प्रतिवादियों की ओर से पेश की गई आपत्तियों में कहा है कि जमीन के दाखिल खारिज को लेकर कुछ अलग बयान हैं। इसलिए कोर्ट किस पर यकीन करे। बेहतर होगा कि मामले का निपटारा तथ्यों के आधार पर हो, जिससे दोनों पार्टियों में झगड़े की कोई नौबत न रह जाए।

जम्मू-कश्मरी में भूमि सुधार अधिनियम के तहत कोई भी जमींदार 182 कनाल जमीन से अधिक नहीं रख सकता। जाहिर है कि याचिकाकर्ता के पूर्वजों को भूमि अधिकार का हक नहीं मिल सका। याचिकाकर्ता के पिता बालकराम का इस भूमि पर कोई अधिकार नहीं बनता। राजस्व विभाग ने भी इस जमीन पर बालकराम के नाम से जमीन को खारिज नहीं किया। इससे उसके और उसके आने वाली संतानों के अधिकार अभी तक कायम हैं। कोर्ट ने कहा कि इसके लिए याचिकाकर्ता को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। अभी भी याचिकाकर्ता इस जमीन पर खेतीबाड़ी करता है।

पीडीडी ने उक्त जमीन पर रिसीविंग स्टेशन बनाना शुरू कर दिया है। अदालत ने याचिका का निपटारा करते हुए राजस्व विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर को निर्देश दिया कि वह बाहु क्षेत्र के तहसीलदार के साथ मिलकर मामले की तह तक जाएं। अधिनियम के तहत प्रावधानों की पड़ताल करें, ताकि इसकी सिफारिशों को डिप्टी कमिश्नर लागू कर सकें।  


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