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जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को वकीलों को आर्थिक सहयोग देने पर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को वकीलों को आर्थिक सहयोग देने पर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने मोहम्मद अबुबकर पंडित की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह निर्देश दिए।परिस्थितियां पहले की तरह ही है सरकार की ओर से आर्थिक मदद दी जानी चाहिए।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Wed, 02 Jun 2021 04:39 PM (IST)Updated: Wed, 02 Jun 2021 04:39 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को वकीलों को आर्थिक सहयोग देने पर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया
जम्मू-कश्मीर के वकीलों व उनके आश्रितों का स्वास्थ्य व जीवन बीमा करवाने की भी मांग की गई है।

जम्मू, जेएनएफ। जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को वकीलों को आर्थिक सहयोग देने पर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने मोहम्मद अबुबकर पंडित की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह निर्देश दिए।

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याचिका में हर वकील को 25 हजार रुपये की आर्थिक मदद दिए जाने की मांग करते हुए कहा गया कि पिछले साल लॉकडाउन होने पर सरकार ने वकीलों को आर्थिक मदद दी थी। इस बार भी लॉकडाउन हुआ। परिस्थितियां पहले की तरह ही है, लिहाजा सरकार की ओर से आर्थिक मदद दी जानी चाहिए।

याचिका में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के वकीलों व उनके आश्रितों का स्वास्थ्य व जीवन बीमा करवाने की भी मांग की गई है। इस पर हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी करते हुए स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया।

मुगल रोड खोलने को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई

मुगल रोड को खोलने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सरकार से इस पर फैसला लेने के निर्देश जारी किए हैं। चीफ जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस विनोद चटर्जी कौल की अध्यक्षता में गठित बेंच ने इस संदर्भ में प्रदेश सरकार से दो सप्ताह में जबाव मांगा है। कोर्ट में सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल डीसी रैना पेश हुए जिन्होंने इस संदर्भ में पेश हुई याचिका की कॉपी मांगी ताकि उस पर उठाए सवालों का जबाव दिया जा सके। वहीं कोर्ट ने काउंसिल को निर्देश दिए कि वह एडवोकेट जनरल को कॉपी दे।

कोर्ट ने पीएसए खारिज किया

जानीपुर इलाके में दिन-दहाड़े हुई फायरिंग के मामले में हाईकोर्ट ने आरोपित होशियार सिंह पर लगाए गए पब्लिक सेफ्टी एक्ट(पीएसए) को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने पाया कि इस मामले में न तो इस मामले में पीएसए लगाते समय ठोस तथ्य रखे गए और न ही सलाहकार बोर्ड के समक्ष केस पेश हुआ। कोर्ट ने पाया कि इस मामले में पीएसए लगाते समय कानून के बुनियादी नियमों की अनदेखी की गई, लिहाजा पीएसए लगाने का फैसला कानून की नजर में गलत है। 


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