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Jammu Kashmir Union Territory: जम्मू-कश्मीर में शिक्षा क्षेत्र में सुधार की तैयारी, पर चुनौतियां भी कई

पिछली फरवरी तक तो करीब 16 हजार से अधिक स्कूलों में बिजली नहीं थी। प्रयास जार हैं। अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 19 Nov 2019 11:05 AM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 11:05 AM (IST)
Jammu Kashmir Union Territory: जम्मू-कश्मीर में शिक्षा क्षेत्र में सुधार की तैयारी, पर चुनौतियां भी कई
Jammu Kashmir Union Territory: जम्मू-कश्मीर में शिक्षा क्षेत्र में सुधार की तैयारी, पर चुनौतियां भी कई

जम्मू, राज्य ब्यूरो। केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) जम्मू कश्मीर में शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक सुधार होने में जल्द पहल होने जा रही है। केंद्र का शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने का रास्ता साफ हो गया है। छह से 14 साल तक के बच्चों को निशुल्क ऐलीमेंटरी शिक्षा उपलब्ध करवाने का प्रावधान शामिल है। केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति भी अंतिम चरण में है। इससे जम्मू कश्मीर व लद्दाख में सीधे पर तौर लागू करने में मदद मिलेगी। हालांकि, जम्मू कश्मीर में शिक्षा के बुनियादी ढांचे को पटरी पर लाने के लिए कई चुनौतियां हैं जिसमें सभी स्कूलों में बिजली और पानी उपलब्ध करवाना है। पिछली फरवरी तक तो करीब 16 हजार से अधिक स्कूलों में बिजली नहीं थी। प्रयास जार हैं। अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है।

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शिक्षा नीति : जम्मू कश्मीर में कभी शिक्षा नीति नहीं बनी। पूर्व जम्मू कश्मीर में कई बार शिक्षा नीति बनाने के प्रयास किए गए। इसमें राजनीति आड़े आती रही। शिक्षा नीति का अभाव हमेशा ही खटकता रहा। अब यह कमी भी पूरी हो जाएगी। उप राज्यपाल जीसी मुमरू ने स्कूली शिक्षा का कायाकल्प करने के लिए निर्देश पहले दिए हैं। जम्मू कश्मीर में शिक्षा की गुणवत्ता की तरफ उचित ध्यान दिया जाएगा। बच्चों के स्वास्थ्य की जांच को लाजिमी बनाया जाएगा। जब शिक्षा के अधिकार कानून को प्रभावी तरीके से लागू किया जाएगा तो ड्राप आउट कम होगा। जम्मू कश्मीर में शिक्षा के बुनियादी ढांचे, अध्यापकों की कमी, अटैचमेंट, अध्यापकों को समय पर वेतन न मिलने समेत कई ऐसे मसले हैं जिनका समाधान किए जाने की जरूरत है। दूर दराज इलाकों में स्कूलों की हालत अधिक खस्ता है।

10 हजार से अधिक स्कूलों में बिजली नहीं

जम्मू कश्मीर में अभी दस हजार से अधिक स्कूल ऐसे हैं जिनमें बिजली नहीं है। इनमें दूर दराज व ग्रामीण इलाकों के प्राइमरी और मिडिल स्कूल शामिल हैं। जम्मू कश्मीर में शिक्षा के बुनियादी ढांचे को लेकर पूर्व सरकारों ने समय समय पर काफी दावे किए जो कभी हकीकत में बदल नहीं पाए। नई शिक्षा नीति को लागू करने से पहले केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में स्कूलों का ढांचा मजबूत करने के लिए उप राज्यपाल की तरफ से पहल हो चुकी है।

पीने वाला पानी उपलब्ध करवाएं : उप राज्यपाल ने निर्देश दिए हैं कि 31 दिसंबर तक सभी स्कूलों में पीने वाला पानी उपलब्ध करवाया जाए। साइंस व कंप्यूटर लैबों में उपलब्ध सुविधाओं का सर्वे पूरा होना चाहिए ताकि इसके लिए जो भी खामियां हैं, उन्हें दूर किया जाए।

ढांचा मजबूत करने के लिए प्रभावी कदम उठाने की जरूरत

शिक्षा का ढांचा मजबूत करने के लिए प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू कश्मीर में शिक्षा का ढांचा मजबूत होगा। अब नई शिक्षा नीति भी आ रही है। शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए बेहतर व्यवस्था किए जाने की जरूरत है। सबसे जरूरी है कि शिक्षा का अधिकार कानून और नई शिक्षा को मंजूरी के बाद सही तरीके से लागू करें। - प्रो. जसबीर सिंह, जम्मू विश्वविद्यालय में इकोनॉमिक्स विभाग।

शिक्षा का कायाकल्प किया जा सकता है

शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करके, अध्यापकों की नियमित ट्रेनिंग करवा कर और गुणवत्ता लाकर शिक्षा का कायाकल्प किया जा सकता है। निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था तो एलीमेंटरी तक जम्मू कश्मीर में थी लेकिन इसमें व्यापक सुधार की जरूरत है। अब जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन गया है तो सारे केंद्रीय कानून लागू होंगे। जम्मू कश्मीर में सबसे पहले सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध करवानी होगी। - शिक्षाविद् प्रो. देश बंधु

शिक्षा के क्षेत्र में मुख्य चुनौतियां

  • स्कूलों में बुनियादी ढांचे की कमी
  • दूरदराज और ग्रामीण इलाकों के प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में पानी और बिजली उपलब्ध न होना
  • पारदर्शी तबादला नीति का न होना
  • अध्यापकों की बड़े पैमाने पर अटैचमेंट होना
  • विषय विशेष के अध्यापकों की कमी होना
  • दूर दराज और ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में खस्ता हालत इमारतें, चाहरदिवारी का न होना 

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