Mysterious disease in Ramnagar: बच्चों की मौत की जांच को रामनगर पहुंची केंद्र से आई विशेषज्ञों की टीम, पड़ताल शुरू
आज सोमवार को भी कई स्कूलों में पहले की अपेक्षा बच्चों की हाजरी कम रही। अभिभावकों को यह डर सता रहा है कि कहीं उनका बच्चा भी अज्ञात बीमारी की चपेट में न आ जाए।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। ऊधमपुर जिले के रामनगर में रहस्यमय हालात में बच्चों की मौत के मामले की जांच करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से विशेषज्ञों की टीम रामनगर पहुंच गई है। इस टीम में सफदरजंग अस्पताल दिल्ली में बच्चों के विशेषज्ञ डा. सुमित मेहनदिराता, नेशनल सेंटर फार डिजीज कंट्रोल दिल्ली के डिप्टी डायरेक्टर माइक्रोबायोलाजी डा. महेश वागमरे, एपीडेमालोजी की असिस्टेंट डायरेक्टर डा. सुनीत कौर, एनआईवी पुणे की माइक्रोबायोलोजिस्ट डा. शिल्पा तोमर और डा. अविनाश दियोशतवार शामिल हैं।
यह टीम सुबह 11 बजे के आसपास रामनगर में पहुंची और सीधे कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर में डॉक्टरों के साथ इस पूरे मामले पर चर्चा शुरू कर दी। टीम से मिलने के लिए रामनगर के कुछ गणमान्य लोगों को भी बुलाया गया है। यह टीम प्रभावित गांव में भी जाएगी और पीड़ित परिवारों के साथ मुलाकात करेगी। टीम के रामनगर से पानी के सैंपल तथा दवाइयों के सैंपल उठाने की भी उम्मीद है। वहीं स्वास्थ्य विभाग जम्मू की डायरेक्टर डॉ रेणु शर्मा भी रामनगर में जा रही हैं। रामनगर में पहले से ही स्वास्थ्य विभाग की तीन टीमें अभी तक दौरा कर पानी और दवाइयों के सैंपल उठाने के अलावा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर चुकी हैं। अभी तक इन टीमों द्वारा उठाए गए सैंपलों की रिपोर्ट का इंतजार हो रहा है।
गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों में रामनगर ब्लाक के अधीन आने वाले करीब 15 गांवों के 10 बच्चों की मौत हो चुकी है जबकि सात से आठ बच्चे अभी भी विभिन्न अस्पतालों में अपना इलाज करवा रहे हैं। इनमें पीजीआई चंडीगढ़ में दो बच्चे कोमा में है जबकि डीएमसी लुधियाना में भी दो बच्चों की हालत गंभीर बनी हुई है। दो बच्चे इस समय श्री महाराजा गुलाब सिंह अस्पताल जम्मू में भर्ती हैं। इसके अलावा तीन बच्चों को जिला अस्पताल ऊधमपुर में रखा गया है। वहीं इस घटना के बाद रामनगर में दहशत का माहौल है। लोग अपने बच्चों को स्कूल भेजने से भी डर रहे हैं।
आज सोमवार को भी कई स्कूलों में पहले की अपेक्षा बच्चों की हाजरी कम रही। अभिभावकों को यह डर सता रहा है कि कहीं उनका बच्चा भी अज्ञात बीमारी की चपेट में न आ जाए। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को जागरूक करने के लिए भी अभियान चलाया हुआ है।