कैसे बनेंगे स्मार्ट: स्वच्छता सर्वेक्षण-2019 में जम्मू 117 और श्रीनगर 73 अंक लुढ़का
सर्वेक्षण रिपोर्ट में जम्मू शहर 5000 अंकों में से 1635 अंक लेकर 329वें रैंक पर रहा। पिछले वर्ष जम्मू 212वें स्थान पर रहा था।
जागरण संवाददाता, जम्मू : स्वच्छता के बड़े-बड़े दावे और तमाम घोषणाएं फिर फिसड्डी साबित हुईं। लापरवाही और कागजी योजनाओं ने स्मार्ट सिटी बनने की ओर अग्रसर जम्मू व श्रीनगर शहर पर गंदगी का दाग लगा दिया है। बुधवार को आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय की ओर से जारी स्वच्छता सर्वेक्षण-2019 की रिपोर्ट में जम्मू 117 और श्रीनगर 73 अंक लुढ़क गया। जम्मू का सौ अंक से भी ज्यादा नीचे आना साबित करता है कि पिछले एक साल में स्वच्छता के नाम पर कुछ नहीं हुआ।
सर्वेक्षण रिपोर्ट में जम्मू शहर 5000 अंकों में से 1635 अंक लेकर 329वें रैंक पर रहा। पिछले वर्ष जम्मू 212वें स्थान पर रहा था। 117 अंक की गिरावट के साथ जम्मू शहर गंदे शहरों की श्रेणी में शामिल हो गया है। इसके लिए जम्मू में म्यूनिसिपल कमिश्नर का बार-बार तबादला व कचरा निस्तारण के प्रबंध न होने को प्रमुख कारण माना जा रहा है। श्रीनगर शहर को 357वां रैंक मिला। वर्ष 2018 को यह 284 व 2017 को 241 रैंक पर आया था। वहीं अनंतनाग को 258 व टंगमर्ग को 335वां रैंक मिला। अलबत्ता, 28 राज्यों स्वच्छ की रैंङ्क्षकग में जम्मू कश्मीर को 15वां स्थान मिला है। इस सर्वे में देश की विभिन्न सैन्य क्षेत्रों के वर्ग में जम्मू कैंटोनमेंट 1786.2 अंकों के साथ 37वें और बादामीबाग श्रीनगर 1645.43 अंकों के साथ 48वें स्थान पर हैं।
चार से 31 जनवरी के बीच हुआ सर्वे :
जम्मू समेत पूरे देश के सभी शहरी निकायों में चार से 31 जनवरी के बीच स्वच्छता सर्वेक्षण कराया गया। इसका मुख्य उद्देश्य शहरों को कचरा और खुले में शौच से मुक्त कराने में जन भागीदारी सुनिश्चित करना तथा समाज के सभी वर्गों को शहरों में जीने लायक माहौल बनाने के प्रति जागरूकता पैदा करना था।
सात प्रमुख कारणों से पिछड़ा जम्मू व श्रीनगर शहर :
1. सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट नहीं होना
2. डोर-टू-डोर कचरा नहीं उठाया जाना
3. शहर में प्रतिबंधित पालीथिन की धड़ल्ले से बिक्री
4. शहर के अधिकतर क्षेत्रों में सीवरेज नहीं होना
5. सफाई कर्मियों की कमी।
6. कचरा न उठाया जाना।
7. पर्याप्त आनलाइन प्रजेंटेशन न होना
4,237 शहरी निकायों को शामिल किया गया :
स्वच्छता सर्वेक्षण-2019 कई मायनों में पिछले सर्वेक्षणों से अलग था, इसमें देश के सभी 4,237 शहरी निकायों को शामिल किया गया। इनमें अलग-अलग वर्ग में रैैंकिंग जारी की गई। ऑनलाइन के माध्यम से डिजिटल सर्वे, सर्वेक्षण के संकेतक/प्रश्नावली में 5000 अंक रखे गए थे, हालांकि 2018 में 4000 अंक रखे गए थे। पश्चिम बंगाल ही एक मात्र ऐसा राज्य है जिसने केंद्र सरकार के इस स्वच्छता सर्वेक्षण में हिस्सा नहीं लिया।
जम्मू कश्मीर के 80 शहरों ने लिया भाग :
स्वच्छता सर्वेक्षण में जम्मू कश्मीर के 80 शहरों ने भाग लिया। देश के सभी 4,237 शहरी निकायों के सर्वे में जम्मू कश्मीर के चार शहर जम्मू, श्रीनगर, अनंतनाग व टंगमर्ग शाामिल थे। वहीं उत्तरी क्षेत्रों के छोटे शहरों के सर्वे में जम्मू कश्मीर के 76 शहर शामिल थे।
कसबों में बड़ी ब्राह्मणा सबसे साफ
राज्य ब्यूरो, जम्मू : नार्थ जोन के कस्बों की स्वच्छ सर्वेक्षण रिपोर्ट-2019 बुधवार को जारी हुई। इसमें जम्मू कश्मीर के भी 76 कस्बों को शामिल किया गया था। इसमें सांबा का बड़ी ब्राह्मणा राज्य के सबसे साफ कस्बों में सबसे ऊपर रहा। बड़ी ब्राह्मणा 2290 अंक के साथ जोन में 77वें नंबर पर है। इस सूची में उत्तरी कश्मीर में एलओसी के साथ सटा उड़ी 1897 अंक के साथ राज्य में दूसरा और पूरे उत्तरी जोन में 310वें नंबर पर है। लखनपुर 341वें रैंक के साथ राज्य में तीसरे नंबर पर है। पुलवाम, अच्छाबल, कालाकोट, रामबन, अवंतीपोर, त्राल, गांदरबल, ऊधमपुर, बिश्नाह, खौड़, लेह, पहलगाम, वत्रगाम, रियासी, अशमुकाम और बिलावर ने राज्य में क्रमश: चौथे से 20वां स्थान प्राप्त किया है। इस सूची में सबसे निचले पायदान 996 रैंक पर डोडा है, जबकि जिला कठुआ का कस्बा 720वें रैंक पर है।
जम्मू व श्रीनगर शहर पर लगा गंदगी का दाग, राज्य के चार बड़े शहरों की रैंकिग
- अनंतनाग : 258
- जम्मू : 329
- श्रीनगर : 327
- टंगमर्ग : 335
(सर्वे में देश के सभी 4,237 शहरी निकायों को शामिल किया गया था)
- 'यह दुखद है कि इस बार जम्मू स्वच्छता सर्वे में पिछड़ा। नगर निगम में जनता के प्रतिनिधियों को आए चार महीने हुए हैं। इन चार महीनों में सफाई व्यवस्था में सुधार हुआ है। हम कोशिश करेंगे कि अगले सर्वे में जम्मू अच्छी स्थिति बना पाए। जल्द ही कचरा निस्तारण के प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहे हैं। सफाई कर्मियों की संख्या बढ़ाने के साथ हम कचरा उठाने में भी तेजी लाएंगे। -चंद्र मोहन गुप्ता, मेयर, जम्मू नगर निगम
- हमें कामकाज संभाले अभी तीन-चार माह ही हुए हैं। कश्मीर के हालात, श्रीनगर नगर निगम के सीमित संसाधन, शहर में सीवरेज व्यवस्था का पर्याप्त न होना, सफाई कर्मियों की संख्या में कमी, कचरा निष्पादन की वैज्ञानिक और पर्यावरण अनुकूल व्यवस्था न होने के कारण ही हमारी यह स्थिति है, लेकिन हम स्थिति पर काबू पा रहे हैं और हमें पूरी उम्मीद है कि अगले सर्वे में हम देश के पहले 20 शहरों में शामिल होंगे। - शेख इमरान ने, डिप्टी मेयर श्रीनगर