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जम्मू कश्मीर प्रशासन ने शीर्ष कोर्ट में कहा- उमर को रिहा किया तो हालात फिर बिगड़ सकते

पीठ ने इस याचिका को गुरुवार के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता जम्मू-कश्मीर प्रशासन के जवाब पर जवाबी हलफनामा दायर कर सकती हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 03 Mar 2020 11:11 AM (IST)Updated: Tue, 03 Mar 2020 11:11 AM (IST)
जम्मू कश्मीर प्रशासन ने शीर्ष कोर्ट में कहा- उमर को रिहा किया तो हालात फिर बिगड़ सकते
जम्मू कश्मीर प्रशासन ने शीर्ष कोर्ट में कहा- उमर को रिहा किया तो हालात फिर बिगड़ सकते

नई दिल्ली, प्रेट्र : जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की नजरबंदी का जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने शीर्ष कोर्ट में बचाव किया और कहा कि उनके ‘पूर्व आचरण’ के कारण ही उनको पीएसए के तहत नजरबंद रखा गया है। प्रशासन ने कहा कि अगर उनको रिहा किया जाता है तो वह पुन: ‘पूर्व आचरण’ शुरू कर सकते हैं जिससे राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है। उमर को अनुच्छेद 370 खत्म करने का धुर विरोधी बताते हुए प्रशासन ने कहा कि उनके कृत्य पूरी तरह से लोक व्यवस्था के दायरे में आते हैं, क्योंकि इसका मकसद सार्वजनिक शांति और सद्भाव को भंग करना था। जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को श्रीनगर जिला मजिस्ट्रेट द्वारा दाखिल जवाब के बारे में बताया। प्रशासन ने कहा कि याचिकाकर्ता यह बताने में विफल रही हैं कि वह पहले हाई कोर्ट क्यों नहीं गईं। यह याचिका खारिज करने का अनुरोध करते हुए शीर्ष कोर्ट से कहा गया कि इस पर विचार करने से ही यहां ऐसी याचिकाओं का अंबार लग जाएगा।

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नजरबंदी के खिलाफ याचिका पर पांच मार्च को होगी सुनवाई

व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह नेशनल कांफ्रेंस के नेता एवं जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत नजरबंदी को चुनौती देने वाली सारा अब्दुल्ला पायलट की याचिका पर पांच मार्च को सुनवाई करेगा। न्यायमूर्ति अरुण मिश्र और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी की पीठ ने कहा, ‘मामला व्यक्तिगत स्वतंत्रता का है।’ पीठ के समक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह सारा अब्दुल्ला पायलट की याचिका पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से जवाब दाखिल करेंगे। अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने शीर्ष कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि नजरबंदी के मामले में याचिकाकर्ता को पहले हाई कोर्ट जाना चाहिए। पीठ ने इस याचिका को गुरुवार के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता जम्मू-कश्मीर प्रशासन के जवाब पर जवाबी हलफनामा दायर कर सकती हैं। बता दें कि उमर की बहन सारा ने शीर्ष कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर अपने भाई की नजरबंदी के पांच फरवरी के प्रशासन के आदेश को चुनौती दी है। सारा ने यचिका में कहा है कि नजरबंदी का आदेश गैरकानूनी है।


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