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जम्मू कश्मीर प्रशासन का फैसला अब अध्यापन से जुड़े कार्यो में ही सेवाएं देंगे अध्यापक

प्रशासन ने प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में सरकारी अध्यापकों की तैनाती को युक्तिसंगत बनाना शुरू कर दिया है। कई स्कूलों में अध्यापकों की संख्या छात्रों से ज्यादा है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 19 Jun 2020 01:04 PM (IST)Updated: Fri, 19 Jun 2020 05:38 PM (IST)
जम्मू कश्मीर प्रशासन का फैसला अब अध्यापन से जुड़े कार्यो में ही सेवाएं देंगे अध्यापक
जम्मू कश्मीर प्रशासन का फैसला अब अध्यापन से जुड़े कार्यो में ही सेवाएं देंगे अध्यापक

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : जम्मू कश्मीर प्रशासन ने छात्रों को पढ़ाने के बजाय विभिन्न कार्यालयों में प्रतिनियुक्ति पर काम कर रहे अध्यापकों को वापस बुलाना शुरू कर दिया है। इन अध्यापकों को अब अपने मूल कार्य अध्यापन को निभाना पड़ेगा। संबंधित अधिकारियों ने बताया कि उपराज्यपाल जीसी मुमरू ने गत दिनों शिक्षा व्यवस्था का जायजा लेते हुए इस मुद्दे पर सख्त निर्देश दिए हैं। उन्होंने ऐसे सभी अध्यापकों को तत्काल प्रभाव से मूल स्थानों पर नियुक्त करने और उनकी सेवाएं सिर्फ अध्यापन से जुड़े कार्यो में ही लेने के लिए कहा है। उन्होंने अध्यापन से जी चुराने वाले अध्यापकों के खिलाफ सेवा नियमों के तहत कार्रवाई करने के लिए भी कहा है।

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उन्होंने बताया कि पहले चरण में कश्मीर घाटी में 196 अध्यापकों और लेक्चररों को चिन्हित किया गया है, जो जिला मुख्य शिक्षाधिकारी व क्षेत्रीय शिक्षाधिकारी के कार्यालय में या फिर स्कूल निदेशालय और शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान में प्रशासकीय पदों पर प्रतिनियुक्ति के आधार पर तैनात हैं। कुछ अध्यापक सचिवालय में भी तैनात हैं। यह सभी नान टीचिंग गतिविधियों से जुड़े पदों पर हैं। स्कूल शिक्षा निदेशक कश्मीर ने करीब 200 अध्यापकों, मास्टर और लेक्चररों की सूची तैयार की है। यह सभी सीईओ, जेडईओ कार्यालयों में नान टीचिंग काम कर रहे हैं। अतिरिक्त सचिव स्कूल शिक्षा विभाग कश्मीर ने भी एक नोटिस जारी किया है। उन्होंने सभी जिला मुख्य शिक्षाधिकारियों, क्षेत्रीय शिक्षाधिकारियों व अन्य प्रशासनिक विभागों को कहा है कि उनके पास 196 अध्यापकों व लेक्चरर की सूची पहुंची है, जो उनके कार्यालय में बीते कई वर्षो से काम कर रहे हैं।

वरिष्ठ नौकरशाहों व प्रभावशाली लोगों के चहेते हैं: शिक्षा विभाग के अनुसार, प्रशासन ने प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में सरकारी अध्यापकों की तैनाती को युक्तिसंगत बनाना शुरू कर दिया है। कई स्कूलों में अध्यापकों की संख्या छात्रों से ज्यादा है। कई स्कूलों में अध्यापकों की संख्या पर्याप्त नहीं है तो कई स्कूलों में अध्यापक ही नहीं हैं। कई जगह विषय विशेष में महारत रखने वाले अध्यापकों की कमी है। इसके बावजूद कई अध्यापक शिक्षा विभाग के विभिन्न प्रशासकीय कार्यालयों या फिर अन्य विभागों में प्रतिनियुक्ति पर काम कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी हैं या फिर वरिष्ठ नौकरशाहों व अन्य प्रभावशाली लोगों के चहेते हैं।


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