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Kashmir: सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए अब आतंकी कर रहे जिलेटिन का इस्तेमाल

पुलिस टीम ने आतंकियों की बताइ जगह पर छापा मारा और वहां से जिलेटिन 143 छड़ें और नाइट्रिक एसिड सहित अन्य सामान जब्त कर लिया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 18 Jan 2020 02:16 PM (IST)Updated: Sat, 18 Jan 2020 03:30 PM (IST)
Kashmir: सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए अब आतंकी कर रहे जिलेटिन का इस्तेमाल
Kashmir: सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए अब आतंकी कर रहे जिलेटिन का इस्तेमाल

जम्मू, राहुल शर्मा। जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा पकड़े गए जैश-ए-मुहम्मद के पांच आतंकवादियों से की गई प्राथमिक पूछताछ में यह पता चला है कि घाटी में सक्रिय आतंकी संगठन अब आइईडी बनाने में आरडीएक्स का नहीं बल्कि जिलेटिन का इस्तेमाल कर रहे हैं। दरअसल जिलेटिन कश्मीर में सरकारी काउंटरों पर आसानी से उपलब्ध है। कश्मीरी इसका इस्तेमाल पत्थर की खदानों में करते हैं। यही नहीं पकड़े गए आतंकियों ने यह भी बताया कि उन्होंने गणतंत्र दिवस से पहले सुरक्षाबलों को निशाना बनाने की योजना बनाई थी। इसके लिए वे आइईडी तैयार करने ही वाले थे और इसके लिए उन्होंने 100 से 200 जिलेटिन छड़ों का प्रबंध कर लिया था।

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पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार किए गए इन पांच जैश-ए-मुहम्मद के आतंकियों ने ही हाल ही में हजरतबल और हबक इलाकों में दो ग्रेनेड हमलों में शामिल थे। अधिकारी ने बताया कि जिलेटिन एक विस्फोटक पदार्थ है जिसमें कोलोडायन-कॉटन (एक प्रकार का नाइट्रोसेल्यूलोज या गनकॉन) होता है। इसे नाइट्रोग्लिसरीन या नाइट्रो-ग्लाइकोल में घोलकर लकड़ी की लुगदी और नमक (सोडियम नाइट्रेट या पोटेशियम नाइट्रेट) के साथ मिलाया जाता है।

पुलिस ने जांच में यह भी पाया कि जैश के गिरफ्तार आतंकवादियों ने श्रीनगर में किसी इलाके में जिलेटिन की 143 छड़ें छिपाई हुई हैं। आतंकियों से जगह का पता पूछने के बाद पुलिस टीम ने उस जगह छापा मारा और जिलेटिन की छड़ें और नाइट्रिक एसिड सहित अन्य सामान जब्त कर लिया। इन आतंकियों का मकसद गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर एक बड़ी वारदात को अंजाम देना था।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि भले ये जिलेटिन सरकारी काउंटर पर उपलब्ध होता है परंतु इसे कोई भी जाकर प्राप्त नहीं कर सकता। हम इस पर भी जांच कर रहे हैं कि आतंकवादियों को यह जिलेटिन उपलब्ध कराने में आखिरकार किसने मदद की। कश्मीर में जिलेटिन बड़े पैमाने पर पत्थर-खदान मालिक करते हैं। वह निर्माण के लिए छोटे और बड़े पत्थरों को निकालने के लिए जिलेटिन से ही पहाड़ को तोड़ते हैं। पुलिस ने इसका पता लगाने के लिए विशेष जांच दल बनाया है। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों तक जिलेटिन पहुंचाने में किसी खदान मालिक-कर्मचारी या फिर सरकारी काउंटर में तैनात कर्मचारी मदद कर रहे हैं। पुलिस ने दावा किया कि वे जल्द ही पता लगा लेंगे कि आतंकवादी जिलेटिन की खरीद कहां से कर रहे हैं।

क्या है जिलेटिन

जिलेटिन एक विस्फोटक है। ये नाइट्रोसेल्यूलोज या गन कॉटन है, जिसे नाइट्रोग्लिसरीन या नाइट्रोग्लायकोल में तोड़कर इसमें लकड़ी की लुगदी या शोरा मिलाया जाता है। यह धीरे-धीरे जलता है पर बिना डेटोनेटर्स के विस्फोट नहीं कर सकता।

कहां होता है इस्तेमाल

जिलेटिन से बनी छड़ों का उपयोग गिट्टी क्रशर पर चट्टानों को तोड़ने के लिए किया जाता है। पहाड़ों को तोड़ने के लिए भी विस्फोटक के तौर पर इसका इस्तेमाल किया जाता है।

क्या होता है डेटोनेटर

डेटोनेटर की मदद से बम को सक्रिय किया जाता है। सामान्य भाषा में इसे बम का ट्रिगर भी कह सकते हैं। इसका इस्तेमाल गड्ढा खोदकर छुपाए गए बमों आईईडी (इम्प्रोवाइज एक्सप्लोजिव डिवाइसेस) में किया जाता है। डेटोनेटर से बम की विस्फोटक क्षमता बढ़ जाती है। नक्सली आमतौर पर ऐसे ही बमों का उपयोग करते हैं।


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