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Kashmir Terroist: शाकिर बशीर मागरे को दूसरा अफजल गुरु मानता है जैश, शाकिर शातिर और मानसिक रूप से कट्टर जिहादी है

पुलवामा हमले के लिए विस्फोटक जुटाने से लेकर निशाना तय करने के पीछे मागरे था-एनआइए के आरोप पत्र में कई बार सुरक्षाबलों पर हमले के मंसूबे नाकाम होने का भी जिक्र

By Preeti jhaEdited By: Published: Sun, 30 Aug 2020 09:34 AM (IST)Updated: Sun, 30 Aug 2020 09:45 AM (IST)
Kashmir Terroist: शाकिर बशीर मागरे को दूसरा अफजल गुरु मानता है जैश, शाकिर शातिर और मानसिक रूप से कट्टर जिहादी है
Kashmir Terroist: शाकिर बशीर मागरे को दूसरा अफजल गुरु मानता है जैश, शाकिर शातिर और मानसिक रूप से कट्टर जिहादी है

श्रीनगर, नवीन नवाज। शाकिर बशीर मागरे ने ही जैश-ए-मोहम्मद के लिए लेथपोरा पुलवामा में आत्मघाती हमले की रूपरेखा तैयार की थी। विस्फोटक जुटाने से लेकर हमले के लिए निशाना तय करने तक हर जगह शातिर शाकिर का ही दिमाग चला। यही कारण है कि जैश उसे दूसरा अफजल गुरु मानता है।

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हमले के मुख्य आरोपित मोहम्मद उमर फारूक ने करीबी अम्मार अल्वी के साथ बातचीत में कहा था कि शाकिर ने हमारे लिए वह सब किया जो अफजल गुरु ने भारतीय संसद पर हमला करने के लिए किया था। 22 वर्षीय मागरे हमले की अहम कड़ी है। हमले की साजिश में लिप्त पकड़े गए सात लोगों में वही सबसे पहले 28 फरवरी 2020 को पकड़ा गया था। हाजीबल पुलवामा का शाकिर की लेथपोरा के पास फर्नीचर की दु़कान थी।

एनआइए ने पुलवामा हमले के सिलसिले में जो आरोप पत्र दायर किया वह इसकी पूरी तस्दीक करता है कि दुबला-पतला नजर आने वाला शाकिर शातिर और मानसिक रूप से कट्टर जिहादी है। एनआइए से जुड़े सूत्रों की मानें तो अक्टूबर 2018 के अंत में जैश कमांडर उस्मान हैदर के मारे जाने के बाद जैश सरगना अजहर मसूद ने जल्द कश्मीर में बड़े हमले लिए कैडर को कहा था। कश्मीर में जैश आतंकी तैयार हो गए। हाईवे पर एक जगह सुरक्षाबलों की पूरी नाका पार्टी उड़ाने की योजना बन गई। हमले को जिस दिन अंजाम दिया जाना था, उसी दिन सुरक्षाबलों ने नाका हटा लिया। मंसूबा नाकाम हो गया। इसके बाद सुरक्षाबलों के काफिले पर हमले की साजिश रची गई। काफिले पर हमले का विचार सबसे पहले शाकिर ने उमर को दिया था। शाकिर अक्सर दुकान पर बैठ हाईवे से गुजरने वाले सुरक्षाबलों के वाहनों को देखता था। शाकिर की सलाह पर उमर ने पाक बैठे चाचा अजहर मसूद और अम्मार अल्वी के साथ फोन पर बातचीत की।

उन्होंने हमले के लिए हामी भर दी। जगह का चुनाव भी शाकिर ने ही किया। उसने जगह को चुनने के लिए करीब एक माह तक रैकी की। कई बार कार लेकर वह काफिले की आमद के समय हाईवे पर निकला। वाहन बम तैयार करने के लिए विस्फोटकों को जमा करने में वह सक्रिय रहा। उसने विभिन्न स्त्रोतों से आरडीएक्स, जिलेटिन की छड़ें,अल्यमूनियम पाउडर और कैल्शियम नाइट्रेट को जमा कर काफी दिनों तक घर में छिपाए रखा। हमले में प्रयुक्त कार घर के सामने ही काफी दिनों तक खड़ी रही।

वाहन बम तैयार करने के समय वह उमर फारूक, आदिल डार और समीर डार के साथ कई बार तारिक अहमद शाह के हकरीपोरा घर में ठहरा। वह तारिक के घर के आसपास होने वाली गतिविधियों पर भी निगाह रखता था। हमले के लिए हर प्रकार का साजो- सामान जुटाया। वाहन बम को तैयार करने के बाद छह फरवरी 2014 को हमला अंजाम देने के लिए आदिल डार के साथ वह खुद निकला, लेकिन उस दिन हाइवे पर सुरक्षाबलों की आवाजाही बंद होने के कारण हमला नहीं किया गया। इसके बाद 14 फरवरी का दिन चुना गया।

उसने पूछताछ में माना है कि हमले को अंजाम देने के लिए वह आत्मघाती आतंकी आदिल अहमद डार के साथ कार में सवार हुआ था। दो क्विंटल विस्फोटकों से तैयार वाहन बम कार को वही हाइवे पर लेकर आया था। 500 मीटर तक उसने कार को सीआरपीएफ वाहनों के काफिले के साथ भी चलाया। इसके बाद वह उतर गया और आदिल ने हमला अंजाम दिया।

हमले के बाद शाकिर ने प्रमुख आतंकियों के ठिकानों को बदलने व नए सुरक्षित ठिकाने तैयार करने का काम किया। वह पकड़ा नहीं जाता अगर उमर के फोन को सुरक्षा एजेंसियां डिकोड न करती। उसकी गिरफ्तारी के बाद ही साजिश में शामिल अन्य आरोपित पकड़े गए।


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