Jagran Sanskarshala 2022: प्यार और समझदारी से होता है समस्या का हल
Jagran Sanskarshala 2022 पहले जमाने के बच्चे और आज के जमाने के बच्चों की जरूरतें अलग हैं। उनकी समस्याएं अलग हैं। उनका रहन-सहन। सब कुछ अलग है। ऐसे में हमें विनम्रता से काम लेना चाहिए और हमें बच्चों को बहुत शांति और प्रेम से समझाना चाहिए।
Jagran Sanskarshala 2022: हर दंपत्ति के लिए माता-पिता बनना एक बेहद खूबसूरत पल होता है। माता-पिता बनने के एहसास से खूबसूरत कोई एहसास नहीं होता। यह ओहदा हमारे अंदर जिम्मेदारी का अहसास पैदा करता है। हमें विनम्र, शांत, जिम्मेदार और सहनशील बनाता है। पर क्या हम हमेशा इन बातों पर खरा उतर पाते हैं। शायद नहीं।
कई बार हमारे बच्चे कुछ ऐसा कर बैठते हैं कि हमारे सब्र का बांध टूट जाता है और हम उन्हें सजा देने पर मजबूर हो जाते हैं। हमें इस बात से अनभिज्ञ नहीं रहना चाहिए कि पहले के जमाने के और आज के जमाने के बच्चों की परवरिश के मायने ही बदल गए हैं। पहले जमाने के बच्चे और आज के जमाने के बच्चों की जरूरतें अलग हैं। उनकी समस्याएं अलग हैं। उनका रहन-सहन। सब कुछ अलग है। ऐसे में हमें विनम्रता से काम लेना चाहिए और हमें बच्चों को बहुत शांति और प्रेम से समझाना चाहिए।
बच्चों को सजा देने से पहले विचार करें : दैनिक जागरण के बुधवार के अंक में प्रकाशित कहानी ‘प्यार और समझदारी है समस्या का हल’ के माध्यम से बड़े अच्छे तरीके से समझाया गया है कि हमें छोटों बड़ों से किस तरह का व्यवहार करना चाहिए। बच्चों को सजा देने से पहले विचार करें कि क्या यह वाकई जरूरी है। हममें से शायद ही कोई ऐसा है, जिसने अपने बचपन में दूध गिराने, स्कूल में पेंसिल बाक्स खोने या खिलौने तोड़ देने जैसी तमाम गलतियां नहीं की हो।
बच्चों के बर्ताव को अच्छी तरह से समझें : हमें समझना होगा कि बच्चे बच्चे होते हैं और उनमें हमारी तरह हर बात की अच्छाई बुराई की समझ नहीं होती। इसलिए जरूरी है कि बच्चे को डांटने की बजाय उसके बर्ताव को अच्छी तरह से समझें, उसकी गलती के लिए उसे प्यार से समझाएं और उसकी गलती का एहसास दिलाए, जिससे बच्चे ऐसी गलती दोबारा करने से बच सकें। परंतु यदि वह फिर भी ना समझे तो कड़ा रवैया अपनाने की आवश्यकता जरूरी है। यह कड़ा रवैया हमारा आखिरी हथियार होना चाहिए। हमें यह सदा याद रखना चाहिए कि जो काम प्यार कर सकता है। वह डांट कभी नहीं कर सकती। जब सूई से काम हो सकता है तो तलवार की क्या जरूरत है?
-रुपिका अबरोल, शिक्षिका।