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Jagran Sanskarshala 2022 : इंटरनेट पर निर्भरता से बच्चों की सोच का दायरा हुआ सीमित

Jagran Sanskarshala 2022 आज के बच्चे तो पुस्तक से ज्यादा इंटरनेट पर समय व्यतीत करते हैं। इससे उनकी पढ़ने व समझने की क्षमता पर भी लगातार असर पड़ रहा है। पहले बच्चों को अगर किसी विषय पर कुछ लिखना होता था तो वे उसकी खोज करते थे।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 10 Nov 2022 10:05 AM (IST)Updated: Thu, 10 Nov 2022 10:13 AM (IST)
Jagran Sanskarshala 2022 : इंटरनेट पर निर्भरता से बच्चों की सोच का दायरा हुआ सीमित
बच्चों का रूझान शोध की तरफ कम होता जा रहा है।

इंटरनेट की दुनिया काफी आकर्षित है और ज्ञान का भंडार है, इसमें कोई दो राय नहीं है लेकिन कहीं न कहीं आज हम सब इस पर निर्भर होते जा रहे हैं। खास करके बच्चे इंटरनेट पर निर्भर हो रहे हैं जिससे उनके सोचने का दायर सीमित होता जा रहा है। आज बच्चों को जिस सवाल का भी जवाब चाहिए होता है, वो इंटरनेट पर खोज लेते हैं।

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ऐसा करने से उनके दिमाग के द्वार नहीं खुलते और वे खुद कुछ सोचने का प्रयास नहीं करते। बच्चों को जब कोई जानकारी चाहिए होती है तो वे किताबों में खोजने की बजाय इंटरनेट का सहारा लेते हैं। आज के बच्चे तो पुस्तक से ज्यादा इंटरनेट पर समय व्यतीत करते हैं। इससे उनकी पढ़ने व समझने की क्षमता पर भी लगातार असर पड़ रहा है। पहले बच्चों को अगर किसी विषय पर कुछ लिखना होता था तो वे उसकी खोज करते थे। इसके लिए दर्जनों पुस्तकें खंगालते थे। इससे उनका ज्ञान बढ़ता था।

पढ़ने व लिखने की क्षमता बढ़ती थी लेकिन आज इंटरनेट पर विषय डालते ही ढेर सारी जानकारियां आ जाती है और बच्चों के लिए सिर्फ कापी-पेस्ट का काम शेष रह जाता था। यहीं हाल तस्वीरों को लेकर भी रहता है। अगर किसी को किसी प्रजाति के पेड़ों की तस्वीरें लाने के लिए बोला जाए तो वे इंटरनेट पर उन तस्वीरों की खोज करता है। अगर यहीं खोज अपने आसपास की जाए तो ज्ञान का भंडार मिलता है और बच्चों को काफी कुछ सीखने काे मिलता है लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। यहीं कारण है कि बच्चों का रूझान शोध की तरफ कम होता जा रहा है।

विद्यार्थियों को कक्षा में कई तरह के शोध करवाए जाते हैं ताकि वे खुद से कुछ सोचे और भविष्य में अपने शोध से कुछ नया करें लेकिन अगर बच्चों की इंटरनेट पर निर्भरता इसी तरह बनी रही तो आने वाले दिनों में बच्चों की सोच सीमित होगी। इंटरनेट पर हर जानकारी सहीं हो, यह भी जरूरी नहीं। इसलिए अगर किसी विषय पर इंटरनेट की खोज करनी भी है तो विस्तार से की जाए।

विषय के विभिन्न पहलुओं को समझा जाए। अपनी समझ लगाई जाए और उसके बाद विषय पर खुद लिखा जाए। इससे विषय को अधिक बारीकी से समझने का भी अवसर मिलेगा। जो जानकारियां इंटरनेट पर उपलब्ध हो, उन्हें क्रास चेक अवश्य करें ताकि आप जो लिख या प्रस्तुत कर रहे हैं, वो सहीं हो।

-डॉ. आरती दुरानी, शिक्षक


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