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शहीद भगत सिंह ने जिंदगी नहीं, उसूलों को चुना : जगमोहन सिंह

जलियांवाला बाग नरसंहार पर भगत सिंह काफी आहत हुए थे और कहा था कि अंग्रेज इतना जालिम हो सकता है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 14 Apr 2018 04:29 PM (IST)Updated: Sat, 14 Apr 2018 04:29 PM (IST)
शहीद भगत सिंह ने जिंदगी नहीं, उसूलों को चुना : जगमोहन सिंह
शहीद भगत सिंह ने जिंदगी नहीं, उसूलों को चुना : जगमोहन सिंह

जम्मू, राज्य ब्यूरो। शहीद-ए-आजम भगत सिंह ने असमानता को समाप्त करने के लिए काम किया। उनका संघर्ष सिस्टम को बदलने के लिए था। देश को आजाद होने के बाद भी क्या मजदूरों और किसानों को उनका हक मिला है। ये बातें शहीद भगत सिंह के भांजे डॉ. जगमोहन सिंह ने गुरुद्वारा यादगार श्री गुरु नानक देव जी चांद नगर जम्मू में देश भगत यादगार कमेटी की तरफ से जलियांवाला बाग के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित समारोह में कहीं।

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शहीद भगत सिंह की तरफ से लिखे गए पत्रों, देश की आजादी के इतिहास के विभिन्न पहलुओं को उजागर करते हुए डॉ. जगमोहन सिंह ने कहा कि हमें पुराने भ्रम को मौजूदा दौर में आगे नहीं लाना चाहिए। पत्रों में भगत सिंह ने कहा है कि महात्मा गांधी ने देश की आजादी के संघर्ष में आम लोगों को एकजुट किया। जो बातें महात्मा गांधी की दो फरवरी से संबधित की जाती है। वो ब्रिटिश रिकार्ड में है। जब कौम पर समझौता होता है तो व्यक्ति कोई मुद्दा नहीं होता। भगत सिंह ने हिंदुस्तान को बड़ा परिवार समझा। इसलिए भगत सिंह को समझने के लिए हमें उनके विचारों को जानना होगा।

कृषि विश्वविद्यालय में कंप्यूटर साइंस विभाग के अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त व भगत सिंह के भांजे डॉ. जगमोहन सिंह ने बताया कि ईस्ट इंडिया कंपनी ने किस तरह से भारत में अपनी जड़े जमाई थी। अंग्रेजों ने लोगों को कमजोर करने के लिए जमीन छीन ली। भगत सिंह ने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया। भगत सिंह ने अपने पिता से कहा था कि जब मुझे उसूलों या जिंदगी में एक को चुनने के लिए कहा जाएगा तो मैं उसूलों को ही चुनूंगा। जलियांवाला बाग के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें हिदूु, सिख, मुस्लिम समुदाय के लोग शहीद हुए।

जलियांवाला बाग नरसंहार पर भगत सिंह काफी आहत हुए थे और कहा था कि अंग्रेज इतना जालिम हो सकता है। डॉ. जगमोहन सिंह से जब पूछा गया कि भगत सिंह को शहीद का दर्जा नहीं दिया गया तो उन्होंने कहा कि सरकार ने नहीं लोगों ने शहीद का दर्जा दिया है। भगत सिंह ने अपने भाई को तीन शब्द भेजे थे, जिसमें उन्होंने सेहत, हौसले से रहने और मेहनत करने के लिए कहा था। भगत सिंह किसी को डराने के लिए नहीं है, शहादत बहुत बड़ी है लेकिन जिंदगी जीना भी बड़ी बात है। कार्यक्रम में कामरेड़ सुखदेव सिंह, बलकार सिंह, सुनील डिम्पल व अन्य नेता भी मौजूद रहे।

रसाना जैसी घटनाओं के खिलाफ दिल से आवाज आनी चाहिए 

शहीद-ए-आजम भगत सिंह के भांजे डॉ. जगमोहन सिंह ने कठुआ के रसाना में आठ वर्षीय बच्ची की हत्या मामले पर गहरा दुख जताया। उन्होंने कहा कि बच्ची के साथ देवी स्थल पर जुल्म हुआ है। हमें यह सोचना है कि क्या हमने देवी स्थल को बचाना है या इंसानियत को बचाना है।

डॉ. जगमोहन सिंह ने कहा कि मैं भरे मन से आया हूं। आपके कठुआ में जो घटना हुई है। उसका दुख हुआ है, बेटी के साथ जुल्म हुआ है। वो हमारी बेटी है, हमारी कंजक है। बेटी पर जुल्म होना और वो भी देवी स्थल में। ऐसी वारदातों के खिलाफ दिल से आवाज आनी चाहिए। आपकी भी बेटियां हैं। वर्ष 1947 में भी कई गुंडे पैदा हुए। इन लोगों ने लूटपाट व हत्याएं की थी। इन लोगों ने समाजवाद पर काफी समस्याओं को पैदा किया। उन्होंने कहा कि ऐसे मुद्दों पर वोट बैंक की राजनीति नहीं होनी चाहिए। 


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