सियाचीन में 18 हजार फुट की ऊंचाई पर लहराया तिरंगा
हिमवीरों द्वारा बर्फ के बीच लोगों से दूर मनाए गए इस गणतंत्र दिवस समारोह और तिरंगे को सलामी देता उनका वीडियो भी इन जवानों ने तैयार किया। आईटीबीपी ने भी यह वीडियो बाद में शेयर किया।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। हिमवीर-यह नाम भारत तिब्बत सीमा पुलिस आईटीबीपी के जवानों व अधिकारियों को यूूं ही नहीं मिला है। बर्फ से लदी चोटियों के बीच विपरीत मौसमी परिस्थितियों में डटे रहते हुए देश की एकता,अखंडता को बनाए रखने के लिए हमेशा अपना सर्वस्व बलिदान करते हुए तिरंगे की शान बनाए रखने के उनके जोश और जज्बे ने उन्हें दिलाया है। यह जोश शनिवार की सुबह लद्दाख प्रांत में काराकोरम पर्वतश्रृंखला में बिछी बर्फ की तीन से चार फुट मोटी परत के बीच गणतंत्र दिवस को मनाते जवानों के चेहरे पर नजर आया।
समुद्रतल से करीब 18 हजार फुट की ऊंचाई, चाराें तरफ बर्फ से अटी बर्फीली चोटियां और तापमान शून्य से नीचे -30 डिग्री। अपने हथियारों से लैस आईटीबीपी के 14 जवानों का एक दस्ता आज तड़के ही चीन के साथ सटे इलाके में गश्त पर निकला था। सूर्याेदय होते ही जब पूरे देश में गणतंत्र दिवस समारोह शुरु हुए तो हिमवीरों ने भी समय का अनुमान लगाते हुए राष्ट्रध्वज लिया और फिर एक जवान ने उसे हिमाच्छदित चोटियों के बीच लहराया तो अन्य जवानों ने भारत माता का जयघोष करते हुए उसे सलामी दी। हड्डियां गला देने वाली ठंड में जवानों ने तिरंगा लेकर मार्च भी किया।
हिमवीरों द्वारा बर्फ के बीच लोगों से दूर मनाए गए इस गणतंत्र दिवस समारोह और तिरंगे को सलामी देता उनका वीडियो भी इन जवानों ने तैयार किया। आईटीबीपी ने भी यह वीडियो बाद में शेयर किया। आईटीबीपी के जवानों के इस वीडियो पर प्रतिक्रिया जताते हुए कर्नल (रिटायर्ड)राजवीर सिंह ने कहा कि हमारे जवान और अधिकारी तिरंगे को हमेशा ऊंचा रखने के लिए हर रोज संघर्ष करते हैं। दुश्मन की गोली हो या मौसम की मार,उन्हें किसी की फिक्र नहींहोती,अगर फिक्र होती है तो सिर्फ देश की एकता,अखंडता और राष्ट्रध्वज के मान की। आईटीबीपी के जवानों का यूं बर्फ में तिरंगा लहराना उनकी देशभक्ति,जोश-जज्बे का प्रतीक है। यह सभी के लिए प्रेरणास्रौत है।
यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि भारत तिब्बत सीमा पुलिस का गठन ही चीन के साथ सटी सरहदों की निगहबानी व सुरक्षा के लिए हुआ है। भारत तिब्बत सीमा पुलिस के जवान और अधिकारी पहाड़ों में लड़े जाने वाले युद्ध में पारंगत होने के अलावा अच्छे पर्वतरोही व स्कीईर भी होते हैं। यह लोग लद्दाख में काराकोरम से लेकर अरुणाचल प्रदेश मे जाछेप ला दर्रे तक सीमा की सुरक्षा का जिम्मा संभाले हुए हैं।