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इजरायल के फिल्मकार ने The Kashmir Files को बताया प्रोपेगंडा, कश्मीरी पंडितों ने एफआइआर दर्ज करने की मांग की

हाल ही में गोवा में आयोजित 53वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल आफ इंडिया (आइएफएफआइ) में ज्यूरी के प्रमुख एवं इजरायली फिल्ममेकर नदव लैपिड ने कहा था कि वह विवेक अग्निहोत्री की कश्मीरी हिंदुओं पर बनी फिल्म द कश्मीर फाइल्स को को देखकर हैरान हैं।

By naveen sharmaEdited By: Vikas AbrolPublished: Tue, 29 Nov 2022 08:21 PM (IST)Updated: Tue, 29 Nov 2022 08:21 PM (IST)
इजरायल के फिल्मकार ने The Kashmir Files को बताया प्रोपेगंडा, कश्मीरी पंडितों ने एफआइआर दर्ज करने की मांग की
नदव लैपिड ने कहा था कि वह कश्मीरी हिंदुओं पर बनी फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' को को देखकर हैरान हैं।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। कश्मीरी हिंदुओं के अत्याचार पर बनी बालीवुड फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' फिर चर्चा में आ गई है। इजरायल के फिल्मकार एवं समीक्षक द्वारा इस फिल्म को प्रोपेगंडा बताए जाने पर कश्मीरी हिंदुओं ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। वह उसके इस आचरण के लिए केंद्र सरकार को भी जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इजरायली फिल्मकार ने एक तरह से जिहादी मानसिकता और विचारधारा का समर्थन किया है। ऐसे व्यक्ति पर एफआइआर और उसे आमंत्रित करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री को भी कश्मीरी हिंदू समाज से माफी मांगनी चाहिए।

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दरअसल, हाल ही में गोवा में आयोजित 53वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल आफ इंडिया (आइएफएफआइ) में ज्यूरी के प्रमुख एवं इजरायली फिल्ममेकर नदव लैपिड ने कहा था कि वह विवेक अग्निहोत्री की कश्मीरी हिंदुओं पर बनी फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' को को देखकर हैरान हैं। ये दुष्प्रचार वाली भद्दी फिल्म है जो कि इस मशहूर फिल्म समारोह के लिए उचित नहीं थी। इस पर पनुन कश्मीर के अध्यक्ष डा. अजय चुरंगु ने कहा कि गोवा फिल्म महोत्सव में ज्यूरी में जिस व्यक्ति को शामिल किया है, उसकी पृष्ठभूमि अगर आपको पता नहीं है तो यह आपकी नाकामी है। अगर कश्मीर फाइल्स प्रोपेगंडा है तो फिर वह शिंडलर्स लिस्ट को क्या कहेंगे। किसी भी जाति विशेष का विध्वंस एकतरफा ही होता है। इससे ज्यादा निराशा तो हमें केंद्र सरकार के रवैये से है। कश्मीर फाइल्स जब बनी थी तो उस समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद में कहा था कि यह वह कड़वा सच है जिसे कांग्रेस द्वारा बनाए गए इकोसिस्टम ने कभी बाहर नहीं आने दिया। वही इकोसिस्टम आज भी मौजूद है। केंद्र सरकार आज तक कश्मीरी हिंदुओं के कत्लेआम को नरसंहार घोषित नहीं कर सकी है।

कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के चेयरमैन संजय टिक्कू ने कहा कि यह तो शुरुआत है। आगे-आगे देखिए क्या-क्या होगा। इजरायल से आए एक फिल्म समीक्षक ने हमारी पीड़ा को दर्शाती फिल्म को प्रोपेगंडा करार देकर हमारे जख्मों पर नमक छिड़का है। ऐसा व्यक्ति जिसने यहूदी के होने के बावजूद यहूदियों के कत्लेआम के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कभी खुलकर बात नहीं की है, वह कैसे कश्मीर फाइल्स को सही कहेगा। वह हमारे ही देश में आकर हमारे ही एक बड़े मंत्री की उपस्थिति में कश्मीरी हिंदुओं के पलायन और उनके नरसंहार का उपहास उड़ाता है, यह तो केंद्र सरकार के मुंह पर तमाचा है। उसके व्यवहार के लिए केंद्रीय मंत्री को कश्मीरी हिंदू समुदाय से क्षमा याचना करनी चाहिए।

कश्मीरी हिंदू समाज के प्रेस सचिव चुन्नी लाल ने कहा कि इजरायल के फिल्मकार लिपिड ने हमारा अपमान किया है। अगर वह हमारे समुदाय के नरसंहार को झुठला रहे हैं तो वह यहूदियों पर हुए अत्याचारों को कैसे सही ठहरा सकते हैं। इस स्थिति के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है। आखिर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक ऐसे व्यक्ति को क्यों आमंत्रित किया, जिसे मानवता पर अत्याचार एक प्रापेगंडा नजर आता है। यहां किसी को अगर मंत्री से मिलना होता है तो उसका पूरा बैकग्राउंड पूछा जाता है और एक व्यक्ति जिसे आप विदेश से बुला रहे हैं, उसकी मानसिकता और विचारधारा को आप नहीं जानते। यह किसका दोष है-केंद्र सरकार और संबंधित मंत्री का। सूचना एवं प्रसारण मंत्री को हमसे माफी मांगनी चाहिए। मंत्री ने उसे रोका क्यों नहीं, क्यों एतराज नहीं जताया बल्कि वह वहां बैठकर तालियां पीट रहे थे।

पनुन कश्मीर के नेता विरेंद्र रैना ने कहा कि इजरायली फिल्मकार ने पांच लाख कश्मीरी हिंदुओं के जख्मों पर नमक छिड़का है। उसने न सिर्फ हमारे समुदाय के प्रति बल्कि हमारे राष्ट्र के प्रति अपराध किया है। उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज होनी चाहिए, उससे पूछा जाए कि आखिर उसने यह घटिया बात क्यों की। वह एक केंद्रीय मंत्री की मौजूदगी में हमारी पीड़ा का मजाक उड़ाता रहा और मंत्री चुपचाप बैठे रहे, क्या वह मंत्री उससे सहमत हैं?


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