Agnipath Scheme : अग्निवीर बनने को तैयार कश्मीर की युवतियों को राह दिखा रही इशरत
पाकिस्तान की गोलाबारी का सामना करने वाले कुपवाड़ा जिले की 30 युवतियों को अग्निवीर बनने के लिए मजबूत इरादा बनाए रखने के लिए इशरत उन्हें कहती हैं जब मैं व्हील चेयर पर बैठकर अपनी मंजिल हासिल कर सकती हूं तो आप भी अपना लक्ष्य हासिल कर सकती हैं।
जम्मू, विवेक सिंह : कश्मीर की युवतियों ने भारतीय सेना में अग्निवीर बनकर देश के दुश्मनों से लोहा लेने की हिम्मत दिखाई तो राह दिखाने के लिए इशरत अख्तर भी मैदान में आ गई। व्हील चेयर पर सीमित होने के बावजूद नई ऊंचाइयां छूने वाली पैरा ओलिंपिक बास्केटबाल खिलाड़ी इशरत इन दिनों कश्मीरी युवतियों को अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए मनोबल बढ़ाने का प्रशिक्षण दे रही हैं।
पाकिस्तान की गोलाबारी का सामना करने वाले कुपवाड़ा जिले की 30 युवतियों को अग्निवीर बनने के लिए मजबूत इरादा बनाए रखने के लिए इशरत उन्हें कहती हैं, जब मैं व्हील चेयर पर बैठकर अपनी मंजिल हासिल कर सकती हूं तो आप भी अपना लक्ष्य हासिल कर सकती हैं। बस, इसे हासिल करने के लिए जी तोड़ मेहनत करने की जरूरत है। इशरत ने उन्हें अपने अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बनने की कहानी भी सुनाई, जिससे कश्मीर की युवतियों में सेना में भर्ती होकर दुश्मन से लडऩे का जज्बा आसमान छूने लगा है।
दरअसल, सेना इस समय कुपवाड़ा में अग्निवीर बनकर मिलिट्री पुलिस में शामिल होने के लिए 30 युवतियों को प्रशिक्षण दे रही है। इन युवतियों को जल्द कश्मीर में होने जा रही महिला अग्निवीरों की भर्ती के दौरान सेना में भविष्य संवारने का मौका मिलेगा। इन युवतियां का मनोबल बढ़ाने के लिए सेना ने इशरत को लेक्चर देने के लिए खास तौर पर बुलाया है। इशरत कश्मीर में भारतीय सेना की अहमियत को अच्छी तरह से जानती हैं। यह सेना ही है जिसके सहयोग से इशरत ने अपने अंतरराष्ट्रीय पैरा ओलिंपिक खिलाड़ी बनने के लक्ष्य को हासिल किया है।
हतोत्साहित करने के लिए कसे जाते हैं तंज पर हौसला बुलंद : सेना के शिविर में प्रशिक्षण लेने रोजाना आने वाले इन युवतियों को कुछ शरारती तत्वों के तानों का भी सामना करना पड़ता है। कुछ युवतियों ने कहा कि हमें आर्मी कैंप के अंदर जाने पर हतोत्साहित किया जाता है, लेकिन हम अपना लक्ष्य हासिल करके ऐसे लोगों को कड़ा जवाब देंगी। वहीं इशरत ने कहा, युवतियों में बहुत जोश है, उन्होंने मुझसे कई प्रश्न पूछे, इससे यह स्पष्ट था कि वे किसी के दवाब में अग्निवीर बनने के अपने सपने को साकार करने से पीछे नहीं हटेंगी।
सपने साकार करने में पूरा सहयोग करेगी सेना : पीआरओ डिफेंस - कश्मीर के पीआरओ डिफेंस लेफ्टिनेंट कर्नल एमरान मुसावी ने कहा कि कश्मीर की युवतियों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। यही कारण है कि सेना उनके इंजीनियर, डाक्टर या अग्निवीर बनने के सपने को साकार करने में पूरी मदद कर रही है। कश्मीर की युवतियों के लिए कुपवाड़ा में चल रहा प्रशिक्षिण इसी अभियान का हिस्सा है।
बुलंद हौसले का दूसरा नाम है इशरत : बारामुला जिले के बंगदारा गांव की इशरत 16 साल की आयु में छत की दूसरी मंजिल से गिरने के बाद गंभीर रूप से घायल हो गई थी। रीढ़ की हड्डी में गहरी चोट से कमर के नीचे के हिस्से ने काम करना बंद कर दिया। श्रीनगर में सर्जरी के बाद एक साल फिजियोथैरेपी हुई। इशरत ने बिस्तर तक सीमित होने के बजाए सबके लिए मिसाल बनने का रास्ता चुना। फिजियोथैरेपी के दौरान कुछ युवाओं को बास्केटबाल खेलता देख इशरत ने खेलना शुरू किया। उसके बाद देश की टीम में शामिल होकर उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। इशरत ने बताया, अगस्त 2019 में अनुच्छेद-370 हटने से उपजे हालात में उन्हें यह पता नहीं था कि उन्हें भारतीय बास्केटबाल टीम के ट्रायल के लिए चुना गया है। मोबाइल, टेलीफोन और इंटरनेट बंद था। ऐसे में भारतीय टीम के कोच व सेना के एक सेवानिवृत्त कर्नल ने केरल से यहां सेना से संपर्क किया। सेना मदद को आ गई और मुझे चेन्नई पहुंचने के लिए एयर टिकट भी दिया। मैं न सिर्फ ट्रायल में पहुंची बल्कि भारतीय टीम में भी चुनी गई।
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