फायरिंग में पत्थरबाजों की मौत की जांच शुरू
जांच शुरू है और इसमें पता लगाया जाएगा कि पथराव कब, क्यों हुआ, किसने किया और गोली किसने और क्यों चलाई। जो दोषी होगा, उसे सजा मिलेगी।
इस बीच, राज्य पुलिस महानिदेशक डॉ. एसपी वैद ने शोपियां मामले में एफआइआर का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें किसी सैन्य अधिकारी को चिन्हित नहीं किया गया है। मामले की जांच की जा रही है।गौरतलब है कि 27 जनवरी को शोपियां के गनवनपोरा में आतंकियों की समर्थक भीड़ ने एक सैन्य काफिले पर हमला किया था। हिंसक भीड़ ने सैन्य वाहनों को जलाने का प्रयास करने के अलावा एक जेसीओ को भी पीट-पीटकर मौत के घाट उतारने की कोशिश की थी। हालात बेकाबू होते देखकर जवानों ने आत्मरक्षा में गोली चलाई थी, जिसमें दो पत्थरबाज मारे गए थे। इसके बाद पूरे दक्षिण कश्मीर में तनाव पैदा हो गया और मामला भी सियासी तूल पकड़ गया। राज्य पुलिस ने इस घटना के संदर्भ में जहां सेना के खिलाफ हत्या और हत्या के प्रयास का मामला दर्ज करते हुए एक मेजर व उसके अधीनस्थ सैन्यकर्मियों को एफआइआर में नामजद किया, वहीं राज्य सरकार ने पूरे मामले की न्यायिक जांच का आदेश जारी करते हुए जिला मजिस्ट्रेट को 20 दिन में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। जिला मजिस्ट्रेट शोपियां ने सोमवार को सभी लोगों से आग्रह किया कि अगर कोई 27 जनवरी को गनवनपोरा में हुई घटना के संदर्भ में पक्ष रखना चाहता है या घटना के बारे मे कोई जानकारी देना चाहता है तो वह 30 जनवरी से एक सप्ताह के भीतर अपना बयान जिला मजिस्ट्रेट शोपियां के कार्यालय में आकर दर्ज करा सकता है।इस बीच, डॉ. एसपी वैद ने एक ट्वीट के जरिए स्पष्ट किया कि शोपियां मामले में दर्ज एफआइआर में किसी सैन्याधिकारी को दोषी या आरोपी के तौर पर चिन्हित नहीं किया गया है। एफआइआर तो जांच प्रक्रिया का एक हिस्सा है। जांच शुरू की जा चुकी है और इसमें पता लगाया जाएगा कि पथराव कब, क्यों हुआ, किसने किया और गोली किसने और क्यों चलाई। जो दोषी होगा, उसे सजा मिलेगी।