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राज्य में बना सांस्कृतिक, साहित्यक माहौल : हाजिनी

कला, संस्कृति एवं साहित्य के प्रोत्साहन के लिए गठित जम्मू कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी

By Edited By: Published: Mon, 02 Apr 2018 03:19 AM (IST)Updated: Mon, 02 Apr 2018 01:04 PM (IST)
राज्य में बना सांस्कृतिक, साहित्यक माहौल : हाजिनी
राज्य में बना सांस्कृतिक, साहित्यक माहौल : हाजिनी
कला, संस्कृति एवं साहित्य के प्रोत्साहन के लिए गठित जम्मू कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी राज्य की प्रतिभा से कितना न्याय कर पाई है। अकादमी से कैसे कला प्रेमी मदद ले सकते हैं। इस तरह की कई जानकारियां अकादमी के सचिव डॉ. अजीज हाजिनी ने वरिष्ठ संवाददाता अशोक शर्मा के साथ साप्ताहिक साक्षात्कार में दी। प्र. आप को अकादमी के सचिव की जिम्मेदारी संभाले तीन वर्ष हो गए हैं। क्या बदलाव महसूस कर रहे हैं? उत्तर : मैंने जब अकादमी के सचिव की जिम्मेदारी संभाली थी तब कश्मीर का टैगोर हॉल नौ वर्षो से बंद पड़ा था। अभिनव थियेटर पांच वर्ष से बंद पड़ा था। मैंने आते ही मुख्यमंत्री से बात की और छह महीने में दोनों हॉल तैयार कर कला प्रेमियों के हवाले कर दिया। आज हालत खराब होने के बावजूद हर दिन कार्यक्रमों का नियमित आयोजन हो रहा है। प्र. आप प्रोफेसर हैं। कश्मीरी के साहित्य अकादमी से सम्मानित साहित्यकार हैं फिर अकादमी में आने का क्या मकसद था? उत्तर : शुरू से ही साहित्य से जुड़ा रहा हूं। जब सचिव बना उस समय भी साहित्य अकादमी नई दिल्ली में कश्मीरी सलाहकार बोर्ड का अध्यक्ष था। राज्य में कला, साहित्य की स्थिति को देखते हुए निराशा होती थी। मुझे लगता था कि राज्य में कला संस्कृति का जो माहौल होना चाहिए वह नहीं है। दिल में कुछ करने की चाहत थी, जिसे देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय मुफ्ती मोहम्मद सईद ने उन्हें अकादमी के सचिव की जिम्मेदारी सौंपी। प्र. अकादमी पर अक्सर कभी रंगकर्मी तो कभी साहित्यकार भेदभाव का आरोप लगाते रहते हैं? उत्तर : मैंने अपनी तरफ से सभी के साथ न्याय करने का प्रयास किया है। सभी को बराबर मौके मिले हैं। वर्ष में करीब दो सौ किताबें अकादमी के सहयोग से प्रकाशित हो रही हैं। संगीत के कार्यक्रम लगभग हर सप्ताह हर जिले में हो रहे हैं। प्र. रंगमंच के लिए क्या किया? उत्तर : कश्मीर में हालात खराब होने के बावजूद वहां चार महीने से साप्ताहिक रंगमंच शुरू किया गया है। जम्मू में भी जल्द ही यह प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। थियेटर ओलंपिक्स जम्मू में हुआ। विश्व रंगमंच दिवस पर कश्मीर में नादिरा बब्बर के निर्देशन में नाटक का मंचन किया गया। राज्यभर में करीब 51 नुक्कड़ नाटकों का मंचन किया गया। वार्षिक नाट्योत्सव के अलावा अब कोशिश है कि पहले दूसरे स्थान पर रहे नाटकों का मंचन हो। सांस्कृतिक आदान प्रदान होता रहे इसके प्रयास लगातार जारी हैं। प्र. साहित्यकारों व कलाकारों का अकादमी किस तरह सहयोग करती है? उत्तर : अकादमी के पास कम से कम 50 योजनाएं हैं। इसके तहत कलाकार, साहित्यकार, संगीतकार लाभ उठा सकते हैं। अकादमी से जुडे़ करीब 127 संगठनों की वित्तीय सहायता की गई है। अब सभी संगठनों को समय पर आर्थिक मदद मिल रही। इसको लेकर कलाकारों में अक्सर निराशा रहती थी। बुजुर्ग कलाकारों, साहित्यकारों की मासिक राहत राशि बढ़ाकर 750 रुपये कर दी गई है। प्र. क्या कुछ सम्मान भी शुरू किए गए हैं? उत्तर : लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड शुरू किया गया है। इसके तहत इस बार ज्ञानपीठ सम्मान से सम्मानित प्रो. रहमान राही को दस लाख नकद इनामी राशि से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा संगीत, रंगमंच, चित्रकला के लिए सम्मान शुरू किए गए हैं। इसके तहत हर वर्ष चार लोगों को एक-एक लाख रुपये अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। प्र. अक्सर शिकायत रहती है कि अकादमी की बैठकें तयसमय पर नहीं होती, जिसके चलते स्वायत्त बॉडी न रहकर सचिव के हाथों की कठपुतली बनकर रह गई है। उत्तर : ऐसा नहीं है। उनके कार्यकाल में 35 वर्षो के बाद जनरल काउंसिल बैठक हुई। दूसरी सभी कमेटियों को सक्रिय किया गया है। हर फैसला सभी की सहमति से होता है। हर प्रस्ताव कमेटियों की सहमति के बाद ही मंजूर होता है। -------------

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