भारत का रंगमंच समृद्ध है : गेमा गलियाना
जागरण संवाददाता, जम्मू : यूएसए की नाट्य संस्था द यूजलेस रूम की निदेशक गेमा गलियाना एवं नाट्य ल
जम्मू, जागरण संवाददाता। यूएसए की नाट्य संस्था द यूजलेस रूम की निदेशक गेमा गलियाना एवं नाट्य लेखक एंथोनी नेकोलचेव ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में कहा कि रंगमंच भाषा या किसी सीमा के बंधन से बंधा हुआ नहीं है।
आज तकनीक सिर चढ़ कर बोल रही है, लेकिन हमें यह समझना होगा कि मोबाइल और रंगमंच में अंतर है। रंगमंच के मामले में भारत से समृद्ध कोई देश नहीं है। अमेरिका की तरह भारत भी विविधता समेटे हुए है। इस देश की संस्कृति, कला, भाषा, पर्व त्योहार लोगों का रहन सहन सब आकर्षित करता है। पहले यहां पारंपिरक रंगमंच ज्यादा होता था, लेकिन अब रियलिस्टिक थियेटर हो रहा है। खासकर थियेटर ओलंपिक्स में भारतीय नाट्य संस्थाओं के जो नाटक देखे हैं, दिल को छू गए। उन्होंने भारत को अध्यात्म के लिए ही जाना जाता था। सोचा हुआ था कि कभी योग के लिए भारत जाएंगे।
करीब तीन वर्ष पहले दिल्ली में ग्रोतस्की इंस्टीट्यूट के साथ दिल्ली और जबलपुर में मंचन करने का मौका मिला। भारत से जाते हुए यही सपना लेकर लौटे थे कि आकाश भारत में कुछ और कर सकें। इस बार जब जम्मू-कश्मीर में मंचन करने का मौका मिला तो बहुत प्रसन्नता हुई। एंथोनी और गेमा पति-पत्नी हैं। दोनों की पहली मुलाकात ग्रोतस्की इंस्टीट्यूट द्वारा पोलैंड में आयोजित एक रंगमंच कार्यशाला के दौरान हुई थी। दोनों ही दुनिया भर के रंगमंच को स्टडी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वह कश्मीर को सिर्फ आतंकवाद के कारण ही जानते थे। जम्मू आने से पहले दिल में एक खौफ था, लेकिन यहां आकर तो कुछ और ही तस्वीर देखने को मिली है। यहां के कलाप्रेमियों के स्नेह ने साबित कर दिया है कि रंगमंच कहानी, भाषा का मोहताज नहीं होता। बस यह समझने की जरूरत है कि फिल्म और रंगमंच में अंतर होता है। रंगमंच कलाकार और दर्शक के बीच सीधा संपर्क होता है। यही संपर्क दुनिया के लिए जरूरी है। अमेरिका में भारत की छवि को लेकर कलाकारों ने कहा कि भारत प्रगतिशील देश है। दुनिया की नजर भारत पर टिकी हुई है। अमेरिका का शायद ही कोई शहर होगा जहां भारतीय न रहते हों। सभी का विशेष सम्मान है। अच्छे दोस्त हैं।