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एकीकृत खेती से किसानों की पहचान ही नहीं आमदनी भी बढ़ेगी

एकीकृत खेती का मतलब विभिन्न खेती के साथ साथ खेती से जुड़े दूसरे काम को भी करना है। इससे खेती खर्च घटेगा और किसानों की खेती लाभकारी बन जाएगी।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 14 Feb 2019 11:16 AM (IST)Updated: Thu, 14 Feb 2019 11:16 AM (IST)
एकीकृत खेती से किसानों की पहचान ही नहीं आमदनी भी बढ़ेगी
एकीकृत खेती से किसानों की पहचान ही नहीं आमदनी भी बढ़ेगी

जम्मू, जागरण संवाददाता। जम्मू कश्मीर में 90 फीसद किसान छोटे तबके के हैं जिनके पास बहुत ज्यादा खेती की जमीन नही। ऐसे में एकीकृत (इंटीग्रेटिड) खेती ही किसानों की आमदनी को बढ़ा सकती है। अगर किसानों के पास एक साथ कम से कम चार पांच कनाल भूमि है तो फिर इसका सदउपयोग किया जाए। कृषि विशेषज्ञ अमरीक सिंह ने बताया कि एकीकृत खेती का मतलब विभिन्न खेती के साथ साथ खेती से जुड़े दूसरे काम को भी करना है। इससे खेती खर्च घटेगा और किसानों की खेती लाभकारी बन जाएगी। अगर आप इसी तरह की खेती के बारे में सोच रहे हैं तो आगे आएं और शानदान अपना फार्म हाऊस बनाएं । जैसे आपके पास पांच कनाल या इससे ज्यादा की खेती है तो उसमें गेहूं व धान की खेती कर रहे हैं तो इसके साथ ही साथ आप मशरूम की खेती भी कर सकते हैं। कम से कम 300 पेटियां लगाने के लिए शेड बनाया ही जा सकता है।

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अब कंपोस्ट बनाने के लिए आपको भूसा चारा खरीदने के लिए बाहर नही जाना पड़ेगा। फार्म में लगी गेहूं की खेती से ही भूसा चारा पनपेगा जोकि मशरूम की खेती में काम आएगा। मशरूम के साथ ही आप चार पांच गाए से छोटी से डेयरी भी स्थापित कर सकते हैं। इसके लिए उचित शेड बनाया जाए। माल मवेशियों के लिए अब भूसा चारा व हरा चारा की जरूरत आपके खेतों से ही पूरी हो जाएगी। वहीं दूध की बिक्री से आपकी आमदनी बढ़ जाएगी। जबकि डेयरी फार्म से मिलने वाला गोबर भी बड़े काम आने वाला है। आप चाहे तो गोबर गैस का यूनिट अलग से लगा सकते हैं। यहां गोबर की खपत कर गोबर गैस बनाई जा सकती है। जो गोबर बच जाए, से वर्मी कंपोस्ट का यूनिट अलग से लगाया जा सकता है।

वर्मी कंपोस्ट का मतलब केंचुआ खाद। चूंकि गोबर आपको अपनी ही डेयरी से मिल जाएगा, ऐसे में केंचुआ खाद बनाकर आप अपने खेतों के लिए खाद बना सकते हैं। यहां तक की यह खाद बेच भी सकते हैं। अगर और जगह हो तो मछली पालन का काम भी आरंभ हो सकता है। बचा खुचा गोबर तालाब में डालकर मछलियों को खुराक उपलब्ध कराई जा सकती है। ऐसे ही बहुत कुछ सोच कर आप साग सब्जियां व फल लगा सकते हैं। नई नई तकनीक का इस्तेमाल कर फार्म हाऊस को हाईटेक कर सकते हैं। आज कल इसी तरह के फार्म हाऊस बन रहे हैं।

ऐसे करें लीची के पेड़ों की देखभाल

फरवरी माह में बाग बगीचों की तरफ विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। बागवानी अधिकारी डॉ.अ इअमित सरार्फ ने कहा कि लीची के पेड़ों से सूखी शाखाएं हटाई जाएं। मध्य फरवरी में इस पेड़ को यूरिया खाद की खुराक दिए जाने की जरूरत रहती है। इसलिए समय पर किसान यह काम कर दें। अगर बारिया नही हो रही तो समय समय पर लीची के पेड़ को पानी दें। इन दिनों लीची के पेड़ाें पर लीफ रोलर कीटों का हमला हो सकता है। इसे बचे के लिए बागवान एक एमएल डिमेथोएट को एक लीटर पानी में मिलाएं और पेड़ों पर छिड़काव करें। अभी उठाए गए कदमों से बागवानाें को बाद में भरपूर फसल प्राप्त होगी। वहीं बागों को साफ सुथरा रखें।

गेंहू की फसल से घासफूस निकालने के लिए खपतमार का करे छिड़काव

जिक किसानों की गेहूं की फसल 30 से 35 दिन की हो चुकी है, पर अब खपतमार दवा का छिड़काव करने का समय आ गया है। अगर अभी ठोस कदम नही उठाए गए तो फसल में घास अपनी पकड़ बना लेगी जोकि गेहूं को पनपने नही देगी। अगर फसल लगाए महीना भर हो गया है तो घासफूस पनपने से रोकने के उपाय होेने चाहिए। किसान 25 एमएल 2,4 -डी इथाइल इस्टर दवा का एक कनाल भूमि पर इस्तेमाल कर सकता है या 10 ग्राम मेटरिबुजिन दवा का इस्तेमाल किया जा सकता है। कुछ किसान ऐसा उपाय नही करते। बाद में गेहूं की फसल में अनचाही बहुत सी घास आ जाती है जोकि गेहूं के पौधे को पनपने नही देती। खपतमार के लिए दवा डालने से पहले देख लें कि कहीं बारिश तो नही होने वाली। क्योंकि बारिश होने से दवाओं का असर चला जाता है। वहीं जो गेहूं की फसल देरी से यानि 20-25 दिन पहले लगी थी, को यूरिया खाद देने का समय भी है। बारिश के बाद जैसे ही जमीन में नमीं उचित बन आती है तो यूरिया खाद इस फसल को दी जा सकती है।

क्या करें किसान

  • - अगर अमरूद के पेड़ों की पतली टहनियों की काट छाट नही की है तो तुरंत कर दें क्योंकि समय जा रहा है। हल्की टहनियों की कटिंग होने से अगली आने वाली फसल और बेहतर होगी।
  • -फसलों को पानी देने का क्रम बंद करें क्योंकि बारिश का समय है। ऐसे में अगर बारिश हो जाती है तो खेतों में अतिरिक्त पानी जमा हो जाएगा। इसलिए कुछ दिनों तक पानी देने का क्रम थामा जाए।
  • -माल मवेशी को बहुत ठंडा पानी न पिलाया जाए। इससे माल मवेशी बीमार हो सकता है।
  • - गाए या भैंस से दूध दोहने के बाद थनों को पानी से साफ करें और क्रीम आदि लगाएं। क्योंकि दूध के थन के छिद्र लंबे समय तक खुले रहते हैं और ऐसे में बैक्टीरिया अंदर प्रवेश कर सकता है। ऐसे में थनों की सफाई जरूरी है।
  • -जिन किसानाें ने मधुमक्खी पालन कर रखा है, मधुमक्खी की कालोनियों को सरसों के खेतों में ले जाएं। क्योंकि इन दिनाें यहां पर फूल खिले हुए हैं। 

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