सीएए से किसी की नागरिकता को खतरा नहीं: इंद्रेश
कहा-बिखरने की ओर बढ़ रहा है पाकिस्तान संशोधित कानून पर कुछ लोग भ्रमित कर रहे -----
जागरण संवाददाता, जम्मू : राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के मुख्य संरक्षक एवं आरएसएस कार्यकारी मंडल के सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा कि पीड़ितों और प्रताड़ित लोगों को शरण देने में भारत ने कभी भेदभाव नहीं किया। भारत ही एक देश है जहां हर धर्म, वर्ण, वर्ग, जातियां, उपजातियां सुरक्षित हैं।
फोरम फॉर अवेयरनेस ऑन नेशनल सिक्योरिटी (फैंस) की ओर से 'जियो स्ट्रेटजिक इंप्लीकेशनस ऑफ राइजिग फाल्ट लाइंस इन पाकिस्तान' विषय पर दो दिवसीय सम्मेलन में उन्होंने कहा कि भारत में किसी की नागरिकता को कोई खतरा नहीं है। नागरिकता देने के लिए संशोधन कानून सीएए बना है। इससे किसी की नागरिकता छीनने की कोई बात नहीं है। जो लोग इसे लेकर जनता को भ्रमित कर रहे हैं या इसके हटने की बात कर रहे हैं वह ऐसा स्वप्न देख रहे हैं, जो कभी पूरा होने वाला नहीं है। उल्टा नफरत, कट्टरता, हिसा की नींव पर बना पाकिस्तान बिखरता जाएगा और जल्द छह हिस्सों में बंट जाएगा। पाकिस्तान की अत्याचारी प्रवृत्ति के कारण 1971 में पाकिस्तान टूट गया। सिध, बलूचिस्तान पख्तूनिस्तान और बलूचिस्तान आज पाकिस्तान में अपनी आजादी की मांग कर रहा है। मुजफ्फराबाद जो मीरपुर का हिस्सा पीओके कहा गया है। भारत ने उस पीओके के लिए आज भी जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सीटें रिक्त रखी हैं।
आज पाकिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति कैसी हो गई है। इसका मानवता पर क्या असर पड़ रहा है। इस पर दो दिवसीय सम्मेलन में चर्चा होगी। इंद्रेश ने विश्वास जताया कि इस कांफ्रेंस से पाकिस्तान की जमीनी हकीकत लोगों के सामने आएगी। पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. निर्मल सिंह ने कहा कि भारत विरोधी नीति के जवाब देने के बजाए हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोचने की जरूरत है। हर व्यक्ति को अपनी भूमिका को समझना चाहिए। इस मौके पर वीएस सम्बयाल, प्रमोद कोहली, सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल आरएन सिंह ने भी विचार रखे। जम्मू कश्मीर के दो राज्य भी बन सकते हैं
इंद्रेश कुमार ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर आने वाले समय में फिर से राज्य, दो राज्य या दो केंद्र शासित प्रदेश भी बन सकता है। अनुच्छेद 370, 35 ए हटने से लोगों को पूर्ण भारतीय होने के अधिकार मिले हैं। गो-बैक इंडियन कहने वाले भी इंडियन बन गए हैं। केंद्र शासित प्रदेश बनते ही लोगों की बहुत सी धारणाएं बदल गई हैं। उन्होंने कहा कि अलग नागरिकता से रोजगार नहीं मिल जाता। अस्पताल नहीं मिल जाते। इसके उलट इससे कश्मीरियत ही खतरे में पड़ी। कश्मीरी नेताओं की गिरफ्तारी से कश्मीर में पत्थरबाजी बंद हो गई। आतंकवाद से मरने वालों की संख्या कम हो गई। इससे पहले कश्मीरी पीड़ित रहा। डोगरा, पंजाबी पीड़ित रहा। पांच लाख लोगों को कश्मीर से विस्थपित होना पड़ा।