Kashmir Situation: बर्फ से लदे पहाड़ों में 'खैरियत' के फरिश्ते बने सैनिक
वहीं 15वींकोर के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों ने कहा कि खैरियत दल बनाने का उद्देश्य ही अवाम की सेवा है।
जम्मू, राहुल शर्मा। बर्फबारी के दौरान कश्मीर के पहाड़ी इलाकों में विघटनकारी परिस्थितियों का सामना कर रहे स्थानीय लोगों के लिए सेना का कल्याणकारी दल 'खैरियत' किसी फरिश्ते से कम नहीं है। हिमस्खलन, बर्फानी तूफान जैसी समस्याओं से खुद जूझ रही सेना अपनी परेशानियों को भूल तुरंत मदद के लिए पहुंच जाती है। यही वजह है कि सेना की सेवा भावना से प्रभावित होकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जवानों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि हमारी सेना अपनी वीरता और व्यावसायिकता के लिए तो जानी ही जाती है। लेकिन मानवीय भावना के लिए भी उसका सम्मान किया जाता है। जब भी लोगों को मदद की जरूरत हुई, हमारी सेना मौके पर पहुंच गई है और हर संभव मदद की है।
कमर तक बर्फ जिस पर आम आदमी का चलना भी मुमकिन नहीं है, ऐसे में इलाकों में पहुंचकर सेना के जवान न सिर्फ लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचा रहे हैं बल्कि जरूरत पड़ने पर उन्हें कई-कई किलोमीटर पैदल चल अस्पताल तक भी पहुंचा रहे हैं। अभी हाल ही में 14 जनवरी को कुपवाड़ा के लालपाेरा से एक युवक ने सेना के कल्याणकारी दल 'खैरियत' को फोन पर बताया कि उनके 75 वर्षीय पिता गुलाम नबी गनई की हालत बहुत खराब हो गई है। उन्हें अस्पताल पहुंचना बहुत जरूरी है। बाहर बर्फबारी हो रही है और उनके पास ऐसा कोई साधन नहीं है, जिससे वह अपने पिता को अस्पताल ले जाएं। फिर क्या था फोन के कुछ घंटों बाद भी 'खैरियत' का दल गुलाम नबी के घर पहुंच गया। टीम के साथ आए सेना के डाक्टरों ने पहले तो उन्हें प्राथमिक उपचार प्रदान किया फिर उन्हें स्ट्रेचर पर लेकर अस्पताल ले जाने के लिए निकल पड़ा।
सेना के इस दल में सौ से अधिक जवान थे। बारी-बारी से सैनिकों ने गुलाम नबी गनई को अपने कंधों पर उठाकर करीब दो किलोमीटर बर्फ में पैदल चल प्राइमरी हेल्थ सेंटर पहुंचाया। अब उनका स्वास्थ्य बेहतर बताया जा रहा है। यह कोई पहली घटना नहीं है। जिला बडगाम, बारामुला, कुलगाम, जम्मू के बनिहाल आदि पहाड़ी इलाकों में जहां इन दिनों बर्फबारी के कारण घरों से बाहर निकलना मुश्किल है, 'खैरियत' दल के इन जवानों ने एक फोन कॉल पर पहुंच कई गर्भवती महिलाओं को समय पर अस्पताल पहुंचाया।
उसी दिन के दूसरे वाक्या का जिक्र करते करते हुए सेना के एक अधिकारी ने बताया कि उत्तरी कश्मीर के जिला बारामुला के तंगमर्ग क्षेत्र के दर्दपोरा गांव से एक निवासी रियाज मीर ने फोन कॉल कर सूचना दी कि उसकी पत्नी शमीमा को प्रसव पीड़ा हो रही है। भारी बर्फबारी की वजह से वह उसे अस्पताल तक पहुंचा पाने में असमर्थ हैं। बस फिर क्या था उपलोना गांव स्थित सेना के बेस कमांडर बिना समय गंवाए स्थानीय चिकित्सा अधिकारी के साथ बर्फ में पांच किलोमीटर पैदल चलकर मदद को पहुंच गए। सेना के एक दल ने गर्भवती महिला के लिए सड़क का रास्ता साफ किया, दूसरे दल ने हेलिपैड तक बर्फ साफ की और तीसरे ने कनिसपोरा तक बर्फ हटाकर बारामुला जिला मुख्यालय से क्षेत्र को जोड़ने वाला रास्ता साफ किया। यह अभियान छह घंटे तक चला। इसमें सेना के सौ जवानों व 25 स्थानीय लोग भी शामिल हुए। कड़ी मशक्कत के बाद महिला को बारामुला अस्पताल पहुंचाया गया। इसके बाद भी सेना के जवान रियाज के साथ अस्पताल में तब तक मौजूद रहे जब तक डाक्टरों ने जच्चा और बच्चे की कुशलता का संदेश नहीं दे दिया।
सेना के ये जवान बर्फबारी वाले इलाकों में गर्म कपड़े, खाना, दवाइयां पहुंचाकर भी मदद कर रहे हैं। बर्फबारी के कारण तापमान जमाज बिंदु से नीचे पहुंच गया है। ऐसे में पहाड़ी इलाकों में जल स्रोत भी जम चुके हैं। इस वजह से पानी की भी भीषण किल्लत उत्तपन हो गई है। ऐसे समय में भी सेना के जवान लोगों के साथ हैं। बर्फ में जहां चलना मुश्किल है, सेना के जवानों ने कई दल बनाकर मार्ग से बर्फ हटाते हुए लोगों तक पीने का पानी पहुंचा रहे हैं। इन इलाकों में रहने वाले लोगों का कहना है कि खाकी वर्दी में ये लोग उनके लिए फरिश्ते से कम नहीं है।
वहीं 15वींकोर के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों ने कहा कि 'खैरियत' दल बनाने का उद्देश्य ही अवाम की सेवा है। खैरित दल ने अपने मोबाइल नंबर गांव के निवासियों को दे रखे हैं ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति में वे सेना से संपर्क कर सकें।