जम्मू-कश्मीर में जीवन रक्षकों की फौज तैयार, आतंकवादग्रस्त इलाकों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं ये युवा
सोसायटी ने ऐसे युवाओं को प्रशिक्षण दिया है जो घायल को तत्काल प्राथमिक उपचार दें सकें। सोसायटी अब तक जम्मू संभाग के जम्मू कठुआ और सांबा जिला में हजार युवाओं को प्रशिक्षण दे चुकी है
जम्मू, रोहित जंडियाल। पाकिस्तानी गोलाबारी अथवा सड़क दुर्घटनाओं में घायल होने वाले जम्मू कश्मीर के लोगों को अब बिना उपचार के मौत का शिकार नहीं होना पड़ेगा। क्योंकि यहां ऐसे जीवन रक्षकों की फौज तैयार हो गई है, जो घायलों को तत्काल प्राथमिक उपचार देने में निपुण है। क्षेत्रीय रेडक्रॉस सोसायटी जम्मू ने बीते दो वर्षों में जम्मू संभाग में ऐसे चार हजार युवाओं को प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण दिया है, जो अब लोगों की जीवन को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। जम्मू में एक ऐसा ही प्राथमिक उपचार प्रशिक्षण शिविर संपन्न हुआ, जिसमें डॉ. शैली महाजन ने युवाओं को प्राथमिक उपचार के गुर सिखाए। प्रशिक्षण में न सिर्फ प्राथमिक उपचार बल्कि हृदयघात, सांप के काटने और सीपीआर में घायलों को उपचार देने के तौर तरीके बताए गए।
सोसायटी के सदस्यों ने बताया कि अक्सर देखने को मिलता है कि गोलाबारी अथवा सड़क दुर्घटनाओं में घायल होने वालों को समय पर प्राथमिक उपचार नहीं मिल पाता है। इस कारण कई बार घायलों की जान भी चली जाती है। इसी को देखते हुए सोसायटी ने ऐसे युवाओं को प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया, जो घायल को तत्काल प्राथमिक उपचार दें सकें। सोसायटी अब तक जम्मू संभाग के जम्मू, कठुआ और सांबा जिला में हजार युवाओं को प्रशिक्षण दे चुकी है। इसमें सीमावर्ती गांवों के युवाओं के साथ विभिन्न प्रकार के निजी संस्थान चलाने वाले और वाहन चालकों को विशेष रूप से प्रशिक्षण दिया गया है।
आए दिन होती है गोलाबारी
जम्मू संभाग के कठुआ, राजौरी, पुंछ, जम्मू और सांबा जिलों में आए दिन पाकिस्तान संघर्ष विराम उल्लंघन कर गोलाबारी करता रहता है। इसमें कई बार बड़ी संख्या में लोग घायल हो जाते हैं। ऐसे में इन घायलों को वहीं पर प्राथमिक उपचार देकर अस्पतालों में पहुंचाने में यह जीवन रक्षक अहम भूमिका निभा सकते हैं।
पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क दुर्घटनाएं
जम्मू संभाग के पहाड़ी क्षेत्रों में अक्सर सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में परिवहन की सुविधाएं कम हैं, ऐसे में घायलों को अस्पताल पहुंचाने से पूर्व प्राथमिक उपचार की जरूरत रही है। ऐसे में अब यह जीवन रक्षक भी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभा सकते हैं।
- दो साल में चार हजार के करीब लोगों को प्राथमिक उपचार की ट्रेनिंग दी गई है। यह क्रम अभी जारी है। अधिक से अधिक लोगों को प्राथमिक उपचार की ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि जरूरत पड़ने पर कोई भी काम आ सके। अधिक से अधिक जीवन रक्षक तैयार किए जाएंगे। सीमावर्ती क्षेत्रों पर विशेष ध्यान है। - दिनेश गुप्ता, आनरेरी सचिव, क्षेत्रीय रेडक्रॉस सोसायटी