जन्न्त में राह आसान बना रही पहाड़ों की रानी, बर्फबारी के बीच भारतीय रेल बनी कश्मीर की लाइफ लाइन
बर्फबारी में जब 300 किलोमीटर लंबा श्रीनगर-जम्मू हाईवे बंद होता है और वादी का देश-दुनिया से जब जमीनी संपर्क कट जाता है तब यही रेल हजारों लोगों को एक-दूसरे से जोडऩे का काम करती है।
बारामुला, पांपोश रशीद। भारतीय रेल वादी-ए-कश्मीर के लिए लाइफ लाइन साबित हुई है। यह अब आम कश्मीरी की जरूरत बन चुकी है। आंधी हो या तूफान या फिर बर्फबारी, पहाड़ों की रानी बनीं आठ ट्रेनें मौसम के हर रुख का मुकाबला कर यात्रियों को कश्मीर से जम्मू (बनिहाल) और जम्मू (बनिहाल) से कश्मीर पहुंचाती हैं।
रेल ने कश्मीरियों की आधी परेशानियां हर ली है, इसलिए बनिहाल-बारामुला रेल सेवा को और विकसित करने के अलावा जम्मू-बारामुला प्रोजेक्ट जल्द पूरा करने की मांग हो रही है। बनिहाल से बारामुला के बीच प्रतिदिन आठ ट्रेनें चलती हैं। प्रतिदिन 12-15 हजार यात्री यात्र करते हैं। बर्फबारी में जब 300 किलोमीटर लंबा श्रीनगर-जम्मू हाईवे बंद होता है और वादी का देश-दुनिया से जब जमीनी संपर्क कट जाता है और लोग सुरंग के आर-पार फंस जाते हैं, तब यही रेल हजारों लोगों को एक-दूसरे से जोडऩे का काम करती है। अलबत्ता, लोगों की मांग है कि रेल सेवा को जम्मू-बारामुला किया जाए, ताकि श्रीनगर-जम्मू हाइवे के बंद होने से आम जनता को परेशानी न हो।
बिना थमे बढ़तीं मंजिल की ओर : पहाड़ी क्षेत्र में सर्दियों में बर्फबारी होती है तो कई बार रेल सेवा बंद होने का खतरा रहता है। रेल के इंजन के आगे लगे ब्लेडनुमा खांचे बर्फ को साफ करते जाते हैं। बर्फबारी के कारण कभी रेल सेवा बंद नहीं हुई। हां, आतंकी हमलों के दौरान ही आवाजाही रोकी जाती है।
खत्म हुई दिक्कतें : अहितशाम कहते हैं कि बनिहाल-बारामूला रेल सेवा ने कश्मीरियों की परेशानियां दूर कर दी हैं। मगर बनिहाल से जम्मू पहुंचना फिर किसी चुनौती से कम नहीं है, इसलिए यह सेवा जम्मू तक बढ़ाएं। जिस दिन जम्मू-बारामूला रेल सेवा बहाल होगी तो समङिाये सारी दिक्कतें खत्म हो जाएंगी।
मायके जाना हुआ आसान : नौगाम की परवीन ने कहा कि बनिहाल में मेरा ससुराल है। रेल सेवा शुरू होने से पहले मुङो जब मायके जाना होता था तो 10-15 दिन पहले योजना बनानी पड़ती थी।
लगा है हीटिंग सिस्टम : वादी में चलने वाली ट्रेन में यात्रियों को ठंड से बचाने हीटर की सुविधा है। हीटर ट्रेन को अंदर से गर्म रखते हैं। आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन के दौरान शरारती तत्वों ने डिब्बों के शीशे तोड़ दिए हैं, जिस कारण उन डिब्बों में हीटर की सुविधा नहीं मिल पाती है।
10 साल हुए : वादी में रेल सेवा आठ अक्टूबर 2008 में शुरू हुई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पहले चरण में 66 किलोमीटर लंबी रेल सेवा को हरी झंडी दी थी। बाद में इसे विकसित कर 22 मार्च 2016 को बनिहाल-बारामुला कर दिया और तब से लेकर लगातार यह रेल सेवा जारी है।
1990 में देखा था सपना: कश्मीर के पहाड़ी क्षेत्र में रेल लाइन बिछाना चुनौती से कम नहीं था। इस सपने को वर्ष 2016 में पूरा किया। तब से लेकर आज तक 130 किलोमीटर लंबी बनिहाल-बारामुला रेल सेवा लोगों को सेवाएं दे रही है। वहीं, 345 किलोमीटर लंबे जम्मू-बारामुला रेल प्रोजेक्ट पर काम जारी है। इसको 15 अगस्त 2007 में पूरा किया जाना था, लेकिन किन्हीं कारणों के तहत अभी तक यह प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सका।
नेमत से कम नहीं: पेशे से अध्यापक मुहम्मद इलयास कहते हैं कि जब घाटी में रेल सेवा नहीं थी तो गाड़ी से बनिहाल पहुंचा मुश्किल होता था। मौसम ठीक रहता तो लोग सुरंग पार कर पाते थे। अगर मौसम खराब हुआ तो कई दिनों तक हाइवे खुलने का इंतजार करना पड़ता था। बनिहाल-बारामूला रेल शुरू होना कश्मीरियों के लिए किसी नेमत से कम नहीं।