पर्यावरण संरक्षण: मंदिरों में चढ़े फूलों की बनी अगरबत्ती घरों में बिखेर रही सुगंध
फूलों के चूरे को एक पाउडर में मिलाकर मशीन में डाला जाता है। मशीन इस चूरे से अगरबत्ती तैयार कर देती है। इन अगरबत्तियां का बंडल बनाया जाता है।
जम्मू, अंचल सिंह। अब शहर के मंदिरों से निकलने वाले फूल कचरे का हिस्सा नहीं बन रहे। न ही यह सूर्यपुत्री तवी नदी को दूषित करते हैं। नहरों में भी अब इन्हें फेंकने की जरूरत नहीं पड़ रही। यह अनूठा प्रयोग संभव हुआ है जम्मू नगर निगम द्वारा शहर के सभी मंदिरों से फूलों को इकट्ठा कर इनसे अगरबत्तियां बनाना शुरू करने से। इससे पूजा घर तो महकने ही लगे हैं, गरीब महिलाओं को रोजगार भी मिल गया है।
निगम ने शहर के पीरखोह स्थित श्री राम आश्रम और बाग-ए-बाहु के प्रेस मोड़ में फूलों से अगरबत्तियां बनाने की यूनिट लगाई है। निगम शहर के 20 मंदिरों से फिलहाल फूलों को एकत्र कर इन दोनों स्थानों पर ला रहा है। यहां रेडक्रॉस की मदद से अगरबत्ती बनाने की मशीन लगाई गई है। इन फूलों को पहले यहां महिलाएं एकत्र करती हैं। यहां फूलों की छंटनी कर कचरे को अलग किया जाता है। इसके बाद फूलों को सुखाकर इसका चूरा बनाया जाता है।
जम्मू शहर में ऐसा पहली बार हो रहा है कि फूलों से अगरबत्तियां बनाई जाने लगी हैं। पहले लोग घरों, मंदिरों से निकलने वाले फूलों को तवी नदी, नहरों व कचरे में फेंक दिया करते थे। अब निगम इनकी छंटनी करता है। मेयर चंद्रमोहन गुप्ता, डिवीजनल कमिश्नर संजीव वर्मा, म्यूनिसिपल कमिश्नर पंकज मगोत्रा, कॉरपोरेटर नरोत्तम शर्मा व शारदा कुमारी के प्रयास से यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ है।
ऐसे बनती है अगरबत्ती
फूलों के चूरे को एक पाउडर में मिलाकर मशीन में डाला जाता है। मशीन इस चूरे से अगरबत्ती तैयार कर देती है। इन अगरबत्तियां का बंडल बनाया जाता है। फिर इन्हें धूप में सुखाया जाता है। सूखने के बाद 12 पीस एक डिब्बी में पैक किए जाते हैं। नगर निगम के लोगो वाली इन डिब्बियों में भरकर फिर अगरबत्तियां टाउन हाल में खोले गए आउटलेट में पहुंचा दी जाती हैं। यहां 10 रुपये प्रति डिब्बी बेची जाती है।
इन महिलाओं को मिला रोजगार
पीरखोह में श्री राम आश्रम में 19 महिलाओं के ग्रुप ने अगरबत्तियां बनाने का काम सीख लिया है। अनुराधा मेहरा की अध्यक्षता में रेखा, संतोष, कमलेश, बुन्ना, ममता, नीलम, निशा, नीना, राधा, चांदनी, शशि, सुमन, मालती, सोनिया, प्रकाशो, सुनीता, प्रवीण, उर्मिला अगरबत्तियां बनाने के काम को अंजाम तक पहुंचा रही हैं। कुछ महिलाएं तो बूटीक, स्कूल में काम छोड़कर इससे जुड़ी हैं। ऐसे ही प्रेस मोड़ में 12 महिलाओं का समूह अगरबत्तियां बनाने का काम कर रहा है।
- फूलों से अगरबत्तियां बनाने का अनुभव बहुत अच्छा है। उम्मीद है कि यह अगरबत्तियां शहर वासी पसंद करेंगे। इससे हमें आमदनी भी होगी। - अनुराधा मेहरा
- लोकल मेड यह अगरबत्तियां बहुत अच्छी हैं। कुछ पैसे मिलना शुरू हो जाएंगे तो सभी को अच्छा लगेगा। निगम इन अगरबत्तियों को बाजारों में उपलब्ध करवाए। - सुमन शर्मा
- फूलों से अगरबत्ती बनाने से हमें आत्मनिर्भर बनने का मौका मिला है। उम्मीद है कि प्रशासन हमें अच्छे पैसे भी देना शुरू करेगा। लोग इनका इस्तेमाल करें। - संतोष कुमारी
- पहले फूलों को तवी, नहर में फेंक दिया जाता था। अब सारे फूल निगम के ऑटो मंदिरों से उठाते हैं। इनसे फिर अगरबत्तियां बनाई जा रही हैं। सस्ते दाम में इन्हें निगम के आउटलेट में रखा गया है। कोशिश कर रहे हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग इन्हें खरीदें। इस प्रक्रिया को और प्रभावी बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। मोहल्लों में आउटलेट खोलने की भी सोच रहे हैं। -डॉ. जफर इकबाल, नोडल ऑफिसर, स्वच्छ भारत मिशन, जम्मू नगर निगम
- रेडक्रॉस सोसायटी से मिलकर निगम ने दो यूनिट लगाईं। बहुत ही अच्छा रिस्पांस मिला। फूलों से अगरबत्तियां बन रहीं और महिलाओं को रोजगार भी मिला। ऐसे और यूनिट लगाई जाएंगी जिससे गरीब व जरूरतमंद लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करवाया जा सके। शहर वासियों से अपील है कि वे अपने लोगों के हाथों बनी इन अगरबत्तियां को खरीदें। -सुनैना शर्मा, सचिव, जम्मू नगर निगम