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Dainik Jagran Sanskarshala : Jammu Kashmir : वैज्ञानिक युग में अंधविश्वास से नुकसान ही होगा

हर व्यक्ति थोड़ा बहुत अंधविश्वासी तो जरूर होता है और अंधविश्वास को अपने दिल के किसी कोने में समेटे रखता है। जब किसी से पूछा जाता है कि क्या वह अंधविश्वासी है तो वह साफ झूठ बोल देता है कि वह अंधविश्वासी नहीं है।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Wed, 27 Oct 2021 06:14 PM (IST)Updated: Wed, 27 Oct 2021 06:14 PM (IST)
Dainik Jagran Sanskarshala : Jammu Kashmir : वैज्ञानिक युग में अंधविश्वास से नुकसान ही होगा
वहीं अंधविश्वास, पाखंड, धार्मिक कर्मकाडों को बढ़ावा देकर समाज में कई विकृतियों को भी जन्म दिया।

जम्मू, जागरण संवाददाता। दैनिक जागरण संस्कारशाला के तहत प्रकाशशित कहानी बच गए इमली के पेड के माध्यम से कहानी के लेखक अशोक जमनानी ने अंधविश्वास से बचने का संदेश देते हुए यह समझाने का प्रयास किया है कि किसी भी अंधविश्वास का नुकसान होता है। जिस गांव में आकाश लंबे समय बाद गया और उन इमली के पेड़ों को मात्र अंधविश्वास के कारण कटा हुआ पाया यहां पर आकाश ने बचपन में कई बार इमली खाई हुई थी।

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गांव में अंधविश्वास का लोगों के सिर पर सवार था। जिसके चलते वह लोग इमली के दूसरे पेड़ों को भी कटवाने की तैयारी में थे। लेकिन आकाश ने अपनी सूझबूझ से वहां के लोगों को समझाया कि भूत प्रेत नहीं होते और वह इन पेड़ों पर नहीं रहते हैं। जब कोई व्यक्ति किसी भी चमत्कार अथवा होनी-अनहोनी बात पर बिना कुछ सोचे-समझे विश्वास करने लगता है तो उस विश्वास को हम अंधविश्वास कहते हैं। इसे हम तर्कहीन विश्वास की संज्ञा भी दे सकते हैं। भारत के बहुत से गांव में आज भी अंधविश्वास लोगों के सिर चढ़ा हुआ है। अंधविश्वास ही डर को जन्म देता है। हमारे पास जो है, उसे खोने का डर हमें हमेशा सताता रहता है। अंधविश्वास से मतलब ऐसे सिद्धान्त अथवा प्रथाएं हैं, जिन पर सावधानीपूर्वक चिंतन करने पर भी विश्वास नहीं किया जा सकता तथा उचित नहीं बताया जा सकता।

हर व्यक्ति थोड़ा बहुत अंधविश्वासी तो जरूर होता है और अंधविश्वास को अपने दिल के किसी कोने में समेटे रखता है। जब किसी से पूछा जाता है कि क्या वह अंधविश्वासी है, तो वह साफ झूठ बोल देता है कि वह अंधविश्वासी नहीं है।आधुनिक युग में शिक्षा व विज्ञान के अत्याधिक प्रभाव के बावजूद देश में धर्मान्धता की जड़ें बहुत गहरी जमी हुई हैं। शिक्षित-अशिक्षित, ज्ञानी-अज्ञानी सभी इसके शिकार हैं। इस वैज्ञानिक युग में लोग धार्मिक पाखंड और अंधविश्वास रूपी शिकंजे में जकड़े हुए हैं। धर्म और परंपरा ने जहां भारतीय समाज को खंडित होने से बचाया।

वहीं अंधविश्वास, पाखंड, धार्मिक कर्मकाडों को बढ़ावा देकर समाज में कई विकृतियों को भी जन्म दिया। प्रकाशित कहानी के माध्यम से लेखक समझाना चाहता है कि हमें मात्र सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए। चीजों को समझने और परखने की जरूरत रहती है। जिस तरह आकाश समझ गया कि जिन लोगों ने बोझा उठाया हुआ था या थके हुए जो लोग इमली के पेड़ के नीचे बैठते थे। उन्हीं को चक्कर आने लगता था। इसी कारण लोग यह समझ लेते थे कि पेड़ों पर भूत-प्रेत का निवास है। आकाश लोगों का अंधविश्वास तोड़ने के उद्देश्य से पेड़ पर भी चड़ता है और वहां से इमली भी तोड़ कर लाता है। देश में अंधविश्वास को मिटाने के लिए जरूरी है कि पढ़े लिखे युवा आगे आएं और चीजों को साइंसी ढंग से समझाने का प्रयास करें। अक्सर देख गया है कि ग्रामीण लोगों को कुछ लोग रसायन का प्रयोग कर कहीं आगे लगा देते हैं और कहीं लगी आग को बुझा देते हैं। उन्हें मालूम होता है कि किस रसायन का क्या प्रभाव होता है। जबकि अनपढ़ ग्रामीण जनता इन चीजों से दूर होती है। जिसका कुछ शरारती लोग लाभ उठाते हैं। लोगों में अंधविश्वास फैलाते हैं। ऐसे लोगों को जब तक नंगा नहीं किया जाता तब तक अंधविश्वास पर अंकुश लगा पाना संभव नहीं है। कहीं भी अगर अंधविश्वास की आढ़ में गलत कार्य हो रहा हो तो उसे रोकना पढ़े लिखे युवाओं का फर्ज है। लोगों की जागरूकता में पढ़े लिखे लोगों को काम करते रहना चाहिए ताकि अंधविश्वास की आढ़ में दुनिया को किसी प्रकार का नुकसान न हो।


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