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जम्मू के तराई क्षेत्रों में कई नायब किस्म के पक्षियों ने बसाया बसेरा

जम्मू के तराई क्षेत्रों में कई नायब किस्म के पक्षी बसेरा बनाकर लोगों को चकित कर रहे हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 02 Feb 2018 03:38 PM (IST)Updated: Fri, 02 Feb 2018 03:42 PM (IST)
जम्मू के तराई क्षेत्रों में कई नायब किस्म के पक्षियों ने बसाया बसेरा
जम्मू के तराई क्षेत्रों में कई नायब किस्म के पक्षियों ने बसाया बसेरा

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v style="text-align: justify;">जम्मू,जागरण संवाददाता।तीन दशक बाद भी जम्मू के वेटलैंड पक्षियों के लिए सुरक्षित नहीं हो पाए हैं। 1982 में सरकार ने जम्मू में करीब छह तराई क्षेत्रों को वेटलैंड का दर्जा दिया, इसके बावजूद तराई क्षेत्र की जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जा सका है। हालांकि वन्यजीव संरक्षण विभाग सारा कसूर राजस्व विभाग पर डाल रहा है, जिसने भूमि की निशानदेही कर जमीन को वन्यजीव संरक्षण विभाग के हवाले नहीं किया है।
यही कारण है कि आज परगवाल, संग्राम, घराना, नंगा, कुकरेयाल, अब्दुलियां आदि तराई क्षेत्रों में अतिक्रमण हो रहा है और विभाग चाह कर भी कार्रवाई नहीं कर पा रहा। हालांकि घराना वेटलैंड को लेकर बरसों बाद हलचल हुई है और न्यायालय के दिशा निर्देश के बाद राजस्व विभाग ने पहल की है और जमीन की निशानदेही की है। विभाग के कागजों में इस वेटलैंड की जमीन 1500 कनाल है मगर हकीकत में 98 कनाल ही वेटलैंड बचा है। मगर अब इस वेटलैंड के सरंक्षण की उम्मीद जरूर बनी है। पक्षी प्रेमियों का कहना है कि जम्मू के सीमांत क्षेत्र प्रवासी पक्षियों के लिए बेहतरीन बसेरा हैं। इसको बचाने के लिए सामूहिक तौर पर प्रयास होने चाहिए। पेड़ परिचर्चा के सक्रिय कार्यकर्ता मंजीत सिंह का कहना है कि घराना वेटलैंड आज सुर्खियों में है, क्योंकि यहां पर पक्षियों का जमावाड़ा लगता है। इसलिए सरकार की जिम्मेदारी है कि पहले इसे बचाए। उन्होंने कहा कि सीमांत क्षेत्र में घराना वेटलैंड ऐसा स्थल है जहां प्रवासी पक्षी बहुतायत में आते हैं और इंसान के एकदम करीब होते हैं। इस स्थल को विकसित करना सरकार की पहल होनी चाहिए। कुछ काम हुआ है मगर बहुत कुछ किया जाना बाकी है। 1कुकरियाल वेटलैंड की हदबंदी भी नहीं हो पाई है। तवी नदी के किनारे इस वेटलैंड की सही जगह की निशानदेही होनी चाहिए और उसका संरक्षण होना चाहिए। वहीं परगवाल वेटलैंड की भी भूमि अभी वन्यजीव संरक्षण विभाग के हवाले नहीं है। ऐसे में इस वेटलैंड को संरक्षित करने में विभाग कठिनाई महसूस कर रहा है। पर्यावरणविद् ओपी शर्मा का कहना है कि अब समय आ गया है कि प्रवासी पक्षियों के ठिकानों को सुरक्षित करना ही होगा।
वेटलैंड को लेकर विभाग नहीं है गंभीर
वन्यजीव संरक्षण विभाग के वार्डन अमित शर्मा का कहना है कि वेटलैंडों के संरक्षण के लिए विभाग अपनी प्रकिया में जुटा हुआ है। घराना को लेकर काफी काम आगे बढ़ा है। ऐसे ही हम दूसरे वेटलैंड क्षेत्रों को संरक्षित करने में लगे हुए हैं। परगवाल, संग्राम, घराना, नंगा, कुकरेयाल, अब्दुलियां तराई क्षेत्रों में अतिक्रमण को नहीं हटाया जा सका
ये नायाब पक्षी बनाते हैं बसेरा
जम्मू के तराई क्षेत्रों में कई नायब किस्म के पक्षी बसेरा बनाकर लोगों को चकित कर रहे हैं। सफेद बुज्जा (ब्लेक हेडड इबीज), व्हाइट फ्रंटेड गूज, सिलेटी सवन (ग्रे लाग गूज), लांग टेल्ड डक, चम्मच सू (स्पून बिल), जांघिल (पेंटिड स्ट्रोक ) सीमांत क्षेत्रों में नजर आए। दुनिया में सबसे ऊंचाई पर उड़ने के लिए माने जाने वाले राजहंस भी सीमांत इलाकों के तराई क्षेत्रों में उतर रहे हैं।

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