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World Environment Day 2021: जम्मू कश्मीर में बीते दो वर्ष में राष्ट्रीय औसत से अधिक बढ़ा वन क्षेत्र

शोधकर्ताओं का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में 1123 औषधिए पौधे हैं।कश्मीर विश्वविद्यालय एवं जेएडंके मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड के सदस्य इरशाद अहमद नावचू का कहना है कि अगर पहले हिमालयन क्षेत्रों में बीते दशक 500 के करीब बहुमूल्य पौधों की प्रजातियां मिल जाती थी अब वह 50 तक रह गई है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 08 Jun 2021 11:22 AM (IST)Updated: Tue, 08 Jun 2021 11:22 AM (IST)
World Environment Day 2021: जम्मू कश्मीर में बीते दो वर्ष में राष्ट्रीय औसत से अधिक बढ़ा वन क्षेत्र
खाजबान नामक पौधे का एक बार फिर से मिलना दिल के मरीजों के लिए अच्छा संकेत है।

जम्मू, अवधेश चाैहान: केंद्रीय शासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू कश्मीर देश भर में वाहिद पहला ऐसा प्रेदेश बन गया है, जहां पर पर्यावरण में सुधार हुआ है।बीते दो साल में पर्यावरण संरक्षण के लिए जो कदम उठाए गए उससे प्रदेश में वन क्षेत्र 348 वर्ग किलोमीटर बढ़ गया है।जिससे यहां की आबोहवा अब बदल चुकी है।

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वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जम्मू कश्मीर में 42 किस्म का वन क्षेत्र है, इसे संरक्षित रखने के लिए विभाग ने इसके रखरखाव में कोई कसर नही छोड़ी। यही कारण है कि आज जम्मू कश्मीर देश की पांच राज्यों में अपना स्थान बना चुका है, जहां पर सर्वाधिक वन क्षेत्र शामिल है।इतना ही नही जम्मू कश्मीर के जंगल विभिन्न प्रकार की औषधिय पेड़ पौधों से भी परिपूण है।

रिप्रोडक्टिव बायोलॉजी में शोध कर रहे छात्र मोहम्मद आदिल का कहना है कि कश्मीर के अफरावट पहाड़ों पर खाजबान नामक पौध बीते कई साल से विलुप्त हो गया था, लेकिन इस बार पौधे का मिलना दिल के मरीजों के लिए अच्छा संकेत है। इस पौधे के सेवन से हार्ट की बीमारियां दूर होती है और यह पौध प्रतिरोधक श्रमता भी बढ़ता है।आदिल ने बताया कि कुछ पौधे श्रृंगार प्रासाधन बनाने में भी इस्तेमाल होते हैं।जिनकी मांग चीन, जापान आदि में बहुत है।इन पौधों की तस्करी भी होती है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि जम्मू कश्मीर में 1123 औषधिए पौधे हैं।कश्मीर विश्वविद्यालय एवं जेएडंके मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड के सदस्य इरशाद अहमद नावचू का कहना है कि अगर पहले हिमालयन क्षेत्रों में बीते दशक 500 के करीब बहुमूल्य पौधों की प्रजातियां मिल जाती थी, अब वह 50 तक रह गई है।वर्ष 2018 में एक स्टडी के मुताबिक प्रदेश में 50 के करीब ऐसी पेड़ पौधे है, जो लुप्त होने के कगार पर है। उनका संरक्षण बेहद जरूरी है।

जम्मू स्टेट फारेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के पूर्व डायरेक्टर ओपी शर्मा का कहना है कि जम्मू कश्मीर में औषधिए पेड़ पौधों कुछ ऐसी प्रजातियां हैं, जो कहीं नही पाई जाती।इनमें कुथ शामिल है,जिसके सेवन से जोड़ों व पीठ में दर्द दूर करने के अलावा अलसर, डायसेंटरी और बुखार को दूर करता है। करेथ के पत्तों के रस से आंख की दवाई बनती है।जिसके सेवन से आंखों की रोशनी बढ़ती है।


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